घर से उठा लेते हैं लडकिया, दोगुने उम्र वाले मर्दों से निकाह, जबरन बना रहे मुस्लिम : पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की यह है स्थिति
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता जताई है। विशेषज्ञों ने कहा है कि पाकिस्तान में अपहरण, जबरन निकाह और लड़कियों के जबरन धर्मांतरण में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसे रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की जरूरत है।
#Pakistan??: UN experts express alarm at the reported rise in abductions, forced marriages and conversions of girls and young women from religious minorities and call for urgent action.
?https://t.co/99pO2YZZfd pic.twitter.com/WPTWXMiJhz— UN Special Procedures (@UN_SPExperts) January 16, 2023
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने सोमवार (16 जनवरी 2023) को कहा कि पाकिस्तान को अल्पसंख्यकों पर हो रहे अपराधों को रोकने के लिए बिना किसी पक्षपात के कार्रवाई करना चाहिए। साथ ही उन्होंने घरेलू कानून तथा अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार सिद्धांतों के हिसाब से इस तरह की घटनाओं को रोकने और इसकी जाँच करने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत बताई। कहा कि इसमें शामिल अपराधियों को पूरी तरह से जवाबदेह ठहराया जाए।
Reports suggest these so-called marriages and conversions take place with the involvement of religious authorities..Courts have on occasion misused interpretations of religious law to justify victims remaining with their abusers: UN Experts
— Sidhant Sibal (@sidhant) January 16, 2023
उन्होंने यह भी कहा है, “हमें यह सुनकर बहुत दुख हुआ कि 13 साल से उम्र की लड़कियों को उनके घरों से अगवा किया जा रहा है। इसके बाद तस्करी करके इन लड़कियों को घरों से दूर स्थानों पर भेजा जा रहा है। दोगुनी उम्र के पुरुषों से शादी करने और इस्लाम कबूल करने के लिए उन्हें मजबूर किया जा रहा है। यह सब अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन है।”
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने यह भी कहा है, “हम बहुत चिन्तित हैं कि इस तरह के विवाह और धर्मांतरण लड़कियों या उनके परिवारों को हिंसा की धमकी देकर करवाए जा रहे हैं।” इन विशेषज्ञों ने पाकिस्तान में जबरन धर्मांतरण और अल्पसंख्यक पीड़ित परिवारों को न्याय न मिल पाने को लेकर भी निराशा जताई है।
विशेषज्ञों ने पाकिस्तान में नाबालिग लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्मांतरण में वहाँ की अदालतों और सुरक्षा बलों की मिलीभगत पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है, “परिवार के सदस्यों का कहना है कि पीड़ितों की शिकायतों को पुलिस शायद ही कभी गम्भीरता से लेती है। कई बार पुलिस एफआईआर दर्ज करने से भी इनकार करती है। यही नहीं लड़कियों के अपहरण को ‘लव मैरिज’ का नाम देकर उचित भी ठहरा दिया जाता है।”
विशेषज्ञों ने बताया, “अपहरण करने वाले लोग पीड़ितों को फर्जी दस्तावेजों में हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करते हैं। इन दस्तावेजों में शादी करने के लिए कानूनी तौर पर उम्र के साथ ही अपनी मर्जी से शादी करने की बात लिखी होती है। इसके बाद पुलिस इन दस्तावेजों को यह दिखाने के लिए सबूत के तौर पर पेश करती है कि कोई भी अपराध नहीं हुआ है।”
संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने यह भी कहा है, “पाकिस्तानी अधिकारियों को जबरन धर्मांतरण, बाल विवाह, अपहरण और तस्करी पर रोक लगाने वाले कानून को अपनाना और लागू करना चाहिए। इससे, गुलामी और मानव तस्करी से निपटने में सहायता मिलेगी। साथ ही, महिलाओं व बच्चों के अधिकारों का हनन नहीं होगा। ऐसा करने से अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार के सिद्धांतों का पालन हो सकेगा।”
स्रोत : ऑप इंडिया