महासमुंद जिले के बसना नगर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा स्थल में घर वापसी कार्यक्रम संयोजक प्रबल प्रताप सिंह जूदेव, संपत अग्रवाल, आचार्य राकेश, कपिल शास्त्री, तारा कांत प्रधान,चतुर्भुज आर्य, वासुदेव शास्त्री,घनश्याम द्वीप,रामचंद्र अग्रवाल, प्रद्युमन सिंह के द्वारा बुलंदशहर उत्तर प्रदेश के पंडित हिमांशु कृष्ण भारद्वाज महाराज के उपस्थिति में 1100 लोगों की घर वापसी तांबे के पात्र में गंगा जल डाल कर पैरों को धुलवा कर करवाई गई। घर वापसी करने वाले लोगों को पंडित हिमांशु कृष्ण महाराज ने हिंदू धर्म की शपथ दिलाई। साथ ही उन्होंने कहा कि आज से आप सनातनी हैं, वहीं लोगों का कहना है कि वे सभी भटक गए थे, इसलिए उन्होंने धर्म छोड़ दिया था।
छत्तीसगढ़ के महासमुंद में करीब 1100 ईसाइयों ने र वापसी की है। प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने गंगाजल से चरण पखारकर सबकी हिंदू धर्म में वापसी करवाई।https://t.co/vRkWqBgSGK
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) January 21, 2023
ईसाई धर्म से वापस हिन्दू बने लोगों का कहना है कि, वे सभी भटक गए थे, इसलिए उन्होंने अपने धर्म को छोड़ दिया था, लेकिन जब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ तब वे वापस हिन्दू धर्म में आ गए। श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह आयोजन के दौरान धर्म वापसी कर हिन्दू बने लोगों को कथावाचक पंडित हिमांशु कृष्ण भारद्वाज महाराज ने अपना आशीर्वाद दिया, इसमें सैकड़ों की संख्या में महिलाएं व पुरुष शामिल थे। प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने जय जय श्री राम के जयकारे के साथ अपने संबोधन में कहा कि सर्वप्रथम श्रीमद्भागवत कथा आयोजन समिति को कोटि कोटि नमन करते हैं जिन्होंने श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का भव्य आयोजन किया।
इस कार्यक्रम के दौरान हमारे सनातन धर्म से जो अनेक ग्रामों के लगभग 325 परिवारों के 11 सौ लोग बिछड़ गए थे, उन्हें पुनः सनातन धर्म में वापसी कराया गया। पिता दिलीप सिंह जूदेव के नेतृत्व में जो यह घर वापसी अभियान की शुरुआत किया गया है, उसे हम सब मिलकर आगे बढा रहे हैं। हिन्दू बचाना, हिन्दू बनाना, मंदिर बनाने से भी बहुत बड़ा कार्य है। हिन्दू घटा है, जब जब हिन्दू बटा है, पूर्वजों का सम्मान करें, हिन्दूत्व राष्ट्रीयता का प्रतीक है, आओ हम सब मिलकर हिन्दू राष्ट्र का निर्माण करें। डा. सम्पत अग्रवाल ने कहा कि आज श्री मद्भागवत कथा के दौरान 11 सौ लोगों की घर वापसी उनके पांव धो कर करवाई गई है, यह सनातन एकता, वैभवशाली सनातन संस्कृति की देन है।
स्रोत : नई दुनिया