महाराष्ट्र मंदिर न्यास-परिषद में ‘मंदिरों का सरकारी नियंत्रण एवं संघर्ष’ इस विषय पर उद्बोधन सत्र !
जळगांव : सरकारीकरण हो चुके मंदिर सरकार मुक्त कर भक्तों के नियंत्रण में देने चाहिए । ‘राम मंदिर तो झांकी है, देश भर के 4 लाख मंदिर अभी बाकी है ।’ इस कारण सरकार द्वारा नियंत्रण में लिए गए सभी मंदिरों को सरकार मुक्त करने का आइए मंदिर परिषद के माध्यम से संकल्प करें । मंदिरों को सरकार मुक्त करने के लिए तथा प्रत्येक मंदिर का संरक्षण होने हेतु मंदिर के पुजारी, न्यासी, मंदिरों के सदस्य, अधिवक्ता इनका संगठन करना आवश्यक है । अन्य पंथियों को उनके प्रार्थनास्थलों में उनके धर्मगुरु धर्म शिक्षा देते हैं; परंतु हिंदुओं को मंदिरों में धर्म शिक्षा नहीं दी जाती । मंदिर शक्ति केंद्र, भक्ति केंद्र और धर्म शिक्षा देनेवाले केंद्र बनने चाहिए । मंदिर में श्रद्धालु भक्ति भाव से दान करते हैं । इस कारण मंदिरों की धनराशि का राजनीतिक स्वार्थ के वशीभूत किए जानेवाले विकास कार्य के लिए उपयोग न किया जाए । मंदिरों के न्यासी, सदस्य इनका उत्तम संगठन हो जाए, तो देश के 4 लाख मंदिर सरकार मुक्त हो जाएंगे । हिन्दू जनजागृति समिति का कोई मंदिर नहीं है; परंतु प्रत्येक मंदिर हिन्दू जनजागृति समिति के लिए धर्म का केंद्र है । इसलिए जिनका सरकारीकरण हो चुका है, ऐसा प्रत्येक मंदिर सरकार मुक्त होने के लिए हम संघर्ष करेंगे, ऐसी घोषणा हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने की । महाराष्ट्र मंदिर न्यास परिषद के दूसरे दिन ‘मंदिरों का सरकारी नियंत्रण एवं संघर्ष’ इस विषय के उद्घाटन सत्र में वे बोल रहे थे ।
इस समय व्यासपीठ पर श्री काळाराम मंदिर के आचार्य महामंडलेश्वर महंत श्री सुधीरदासजी महाराज, पंढरपुर के ‘श्री विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर संरक्षक कृति समिति’ के अध्यक्ष श्री. गणेश लंके, हिन्दू विधिज्ञ परिषद के संस्थापक सदस्य अधिवक्ता (पूज्य) सुरेश कुलकर्णीजी एवं पुणे की श्रीक्षेत्र भीमाशंकर संस्थान के अध्यक्ष श्री. सुरेश कौदरे उपस्थित थे ।
मंदिरों का प्रबंधन भक्तों के पास हो, तभी मंदिरों का विकास सुनिश्चित होगा ! – महंत श्री सुधीरदासजी महाराज, श्री काळाराम मंदिर, नाशिक
राजनीतिक एवं न्याय व्यवस्था क्षेत्र के कुछ व्यक्ति अपनी बडाई के लिए न्यासी मंडलों में आने का प्रयास कर रहे हैं । मंदिर व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं है । जब मंदिरों का प्रबंधन भक्तों को मिलेगा, तभी मंदिरों का विकास सुनिश्चित होगा । भगवान को दिए जानेवाले धन एवं सोने-चांदी पर भगवान का अधिकार है । मंदिरों के विषय में अभियोग आरंभ होने पर मंदिरों के लाखों रुपए अधिवक्ताओं के शुल्क में खर्च हो रहे हैं । मंदिरों के प्रबंधन की दृष्टि से यह उचित नहीं है । यदि इसे नहीं रोका गया, तो मंदिर में अनावश्यक लोगों की भीड बढ़ती जाएगी । भगवान से बडा कोई भी नहीं है । हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ता तन-मन-धन अर्पण कर मंदिरों के लिए पूरे भारत में घूम रहे हैं । इस प्रकार सभी को इस कार्य में योगदान देना आवश्यक है , ऐसा प्रतिपादन ‘श्री काळाराम मंदिर’ के आचार्य महामंडलेश्वर महंत श्री सुधीरदासजी महाराज ने किया ।
श्री विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर सरकार मुक्त होने हेतु न्यायालय में याचिका करेंगे ! – श्री. गणेश लंके, अध्यक्ष, श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर संरक्षण कृति समिति, पंढरपुर
मंदिरों का वैभव एवं प्रतिष्ठा बढने पर मंदिरों के सरकारीकरण का षड्यंत्र रचा जाता है । पुजारी एवं न्यासियों के आपसी कलह के कारण मंदिरों का सरकारीकरण होता है; परंतु मंदिरों के सरकारीकरण के उपरांत भी मंदिरों की समस्याएं समाप्त नहीं होती । इसके विपरीत मंदिरों में विविध घोटाले होने लगते हैं । इस कारण पंढरपुर विट्ठल रुक्मिणी मंदिर भक्तों के नियंत्रण में आने हेतु भाजपा के सांसद डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी के मार्गदर्शन में हम मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका करनेवाले हैं, ऐसा प्रतिपादन पंढरपुर की ‘श्री विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर संरक्षक कृति समिति’ के अध्यक्ष श्री गणेश लंके ने किया ।
न्यासी एक दूसरे को विश्वास में लेकर काम करेंगे, तो मंदिरों के विवाद समाप्त होंगे ! – अधिवक्ता सुरेश कौदरे, अध्यक्ष, श्रीक्षेत्र भीमाशंकर संस्थान, पुणे
मंदिरों के पुजारी एवं न्यासियों में विवाद निर्माण हो रहे हैं । भीमाशंकर देवस्थान में वर्ष 1980 से निर्माण हुआ विवाद आगे 20 वर्ष चलता रहा । यह विवाद आपसी समझौते से दूर करने के लिए मंदिर के न्यासी एकत्र हुए । इस प्रकार मंदिरों के प्रबंधन हेतु न्यासियों को एक दूसरे को विश्वास में लेकर कार्य करना चाहिए, तो विवाद नहीं होंगे, ऐसा प्रतिपादन पुणे के श्री क्षेत्र भीमाशंकर संस्थान के अध्यक्ष श्री सुरेश कौदरे ने किया ।