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‘मंदिरोंके सरकारीकरण’ का महाराष्ट्रमें किया गया विरोध !

वक्ता : श्री. पी.पी. एम्. नायर, केरलीय मंदिर क्षेत्र परिपालन समिति, मुंबई.



१ . ‘हिंदू जनजागृति समिति’ तथा

‘केरलीय मंदिर क्षेत्र परिपालन समिति’के विरोधके कारण

‘मंदिर सरकारीकरण कानून’ बनानेका महाराष्ट्र शासनका प्रयत्न विफल !

वर्ष २००४ में महाराष्ट्र शासनने ‘मंदिर सरकारीकरण दंडविधान (कानून)’ बनानेका प्रस्ताव रखा । वर्ष २००५ में घोषणा की गई, ‘महाराष्ट्रमें स्थित सर्व मंदिरोंका अधिग्रहण किया जाएगा और मंदिरोंकी धनसंपत्ति शासनकी हो जाएगी ।’ तबसे हम इसके विरुद्ध आंदोलन कर रहे हैं । महाराष्ट्रमें केरलकी पद्धतिनुसार चलनेवाले २०० से भी अधिक मंदिर हैं । इन मंदिरोंसे संबंधित भक्तोंसे तथा मंदिर समितियोंके साथ हमने चर्चा की । ‘यह प्रस्तावित विधान हिंदूविरोधी है’, ऐसा सबका मत था । हमने आवाहन किया कि हमारे प्राण जाएं, तो भी चलेगा; परंतु यह विधेयक पारित नहीं होना चाहिए । हिंदुओंसे जो बने, उसे करनेकी वे सिद्धता रखें । हमारे प्रत्येक मंदिरमें १९ सदस्यीय कार्यकारिणी होती है । इन १९ सदस्योंके साथ उनके अन्य परिचित तथा परिजनोंने अपना मत हिंदुत्ववादियोंको ही देनेका निश्चय किया है । ऐसा किया जाए, तो यह शासन सत्तामें नहीं आएगा ।

हमने विलेपार्ले (मुंबई)में महासम्मेलनका आयोजन किया था । उसमें विपक्षी नेता श्री. रामदास कदमने आश्वासन दिया, ‘यह विधेयक हम विधानसभामें प्रस्तुत नहीं करने देंगे ।’ अब राज्यकर्ताओंने यह कानून ‘कोल्ड स्टोरेज’में रखा है; जिस कारण शासन नया विधेयक लानेके प्रयासमें है ।

 

२ . छोटी-बडी सभी वस्तुओंका लेखा-जोखा शासनको

देना पडना, यह मंदिरोंपर शासकीय नियंत्रण प्रस्थापित करनेका नया षड्यंत्र !

‘मंदिरोंमें चोरी होने जैसे प्रकार बंद हों, इस लिए हमने सशस्त्र आरक्षक (पुलिस) की मांग की । अब हमें मंदिरमें स्थापित मूर्ति, मूर्तिपर चढाए अलंकार इत्यादिसे लेकर लोटेतक प्रत्येक वस्तुका लेखा-जोखा शासनको देना पडेगा । वैसा न करनेपर जो सुरक्षाके लिए खडे हैं, वे इन वस्तुओंको चुराकर ले जाएंगे; क्योंकि लेखा-जोखा न देनेके कारण हम उन वस्तुओंके लिए परिवाद नहीं कर पाएंगे । इस प्रकार शासनको प्रत्येक मंदिरकी कुल संपत्तिका अंदाजा आएगा । तत्पश्चात शासनके लिए मंदिरपर नियंत्रण पाना सरल होगा । अबतक सुरक्षाके विषयमें कोई विवाद नहीं था । सुरक्षा व्यवस्थाकी आवश्यकता ही नहीं थी । धनका व्यय करनेकी आवश्यकता नहीं थी । अब किसी मंदिरमें सुरक्षा व्यवस्था करनी हो, तो २५ लाख रुपए व्यय है । इसपर मंदिर नियंत्रणमें लेनेका षड्यंत्र शासनकी ओरसे रचा जा रहा है । इसके विरोधमें हम ‘हिंदू जनजागृति समिति’के साथ प्रयास कर रहे हैं ।

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