बांग्लादेश में एक हिंदू युवक को कथित ईशनिंदा के आरोप में एक अदालत ने 5 साल की जेल की सजा सुनाई है। रंगपुर साइबर ट्रिब्यूनल ने फेसबुक पर आपत्तिजनक टिप्पणी करनेवाले पारितोष सरकार पर 30,000 टका (बांग्लादेशी मुद्रा) का जुर्माना भी लगाया गया है। ट्रिब्यूनल के न्यायाधीश अब्दुल मजीद रॉय ने पारितोष को डिजिटल सुरक्षा अधिनियम के तहत दोषी ठहराया।
परितोष सरकार को कुल 11 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। उसे कुल चार सजा सुनाई गई है, जिसमें एक साल, दो साल, तीन साल और पांच साल की सजा शामिल है। हालांकि, ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी, इसलिए उन्हें 5 साल ही जेल में रहना होगा। अभियोजन पक्ष के वकील रूहुल अमीन तालुकदार ने कहा कि पारितोष को धार्मिक भावनाओं को आहत करने का दोषी ठहराया गया है।
No Value of minorities in Bangladesh: A minor hindu boy (at the time of arrest) poritosh pleads after getting sentenced to 5 year jail for allegedly writing a FB post against atrocities of hindu minorities in country.
No anti-hindu rioters were arrested.pic.twitter.com/RJrWHdqsg8
— Megh Updates ?™ (@MeghUpdates) February 11, 2023
पारितोष को डिजिटल सुरक्षा अधिनियम की धारा 31 (1) के तहत सजा सुनाई गई थी। यह अधिनियम ‘समाज के विभिन्न वर्गों या समुदायों के बीच शत्रुता, घृणा पैदा करने वाली या सांप्रदायिक सद्भाव को नष्ट करने वाली’ किसी भी चीज़ के प्रकाशन को अपराध बनाती है।
परितोष सरकार ने कथित तौर पर अक्टूबर 2021 में फेसबुक पर एक तस्वीर पोस्ट की थी, जिसे मुस्लिमों ने ईशनिंदा माना था। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट की गई छवि के बाद इस्लामवादियों की उन्मादी भीड़ ने उनके गांव पर हमला कर दिया था।
17 अक्टूबर 2021 को पारितोष के गांव को जला दिया गया था। यह घटना रामनाथपुर संघ के बारा करीमपुर हिंदू गांव में हुई थी। यह गांव रंगपुर जिले के पीरगंज उपजिला में स्थित है। कथित ईशनिंदा को लेकर मस्जिद के लाउडस्पीकर से भीड़ को जुटाया गया था।
जब भीड पहुंची थी, तब पुलिस ने समय पर पहुंचकर भीड़ को नियंत्रित किया थी। कुछ देर बाद उन्मादी भीड़ ने अपना गुस्सा पूरे गांव पर निकाला। हालांकि, उन्हें रोकने में पुलिस सक्षम थी, लेकिन वह रोक नहीं पाई।
हिंदुओं के मछली पकड़ने वाले पूरे गांव को इस्लामवादियों ने जला दिया था, क्योंकि हमले में हिंदुओं के 60 से अधिक घरों में आग लगा दी गई थी। घरों में आग लगाने से पहले उन्मादी भीड ने गांव में तोड़फोड़ की थी और कीमती सामान और पशुधन आदि लूटकर ले गए थे।
इतना ही नहीं, इस दौरान गांव के हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ की गई। बाद में पारितोष के घर में भी तोड़फोड़ की गई और भीड़ द्वारा पुलिस पर काबू पाने के बाद गौशाला में आग लगा दी गई। जब गांव को जलाया जा रहा था, तब ग्रामीण भागकर धान के खेतों में चले गए थे।
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हवा में गोलियां चलानी पड़ी थी। पुलिस ने भीड़ पर रबड़ की गोलियाँ चलाई और हवा में फायरिंग की। साथ ही अतिरिक्त पुलिस बल के आने के बाद स्थिति पर काबू पाया गया। परितोष और उसका परिवार भी गांव से भाग गया था।
घटना के बाद न केवल गांव पर हमले के मामले दर्ज किए गए, बल्कि पारितोष सरकार के खिलाफ कथित तौर पर दंगा भड़काने का भी मामला दर्ज किया गया। वह उस समय वह 10वीं कक्षा का छात्र था और उसकी उम्र 15-16 साल थी। पुलिस ने उसे कुछ दिनों बाद जॉयपुरहाट से उसे गिरफ्तार किया था।
पारितोष को कई बार जमानत से वंचित किया गया था और मुकदमे के दौरान उन्हें कई महीनों तक एकांत कारावास में रखा गया था। हालाँकि, जेल अधिकारियों ने उनके वकील और परिवार को बताया था कि उन्हें उनकी सुरक्षा के लिए अलग रखा गया है। आखिरकार उन्हें 9 मई 2022 को जमानत मिल गई, लेकिन इस महीने की शुरुआत में उन्हें फैसला सुनाते ही अदालत ने उन्हें फिर जेल भेज दिया।
पुलिस ने दावा किया है कि गिरफ्तारी के बाद परितोष सरकार ने ईशनिंदा करने की बात कबूल की और उस समय उसकी उम्र 19 साल थी। हालांकि, परितोष और उनके परिवार का कहना है कि उन्होंने तस्वीर पोस्ट नहीं की थी और उनका फोन उस समय टूट गया था, जिसकी मरम्मत नहीं की जा सकती थी। उन्होंने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि उन्होंने तस्वीर पोस्ट की थी।
अदालत ने इन तर्कों को खारिज कर दिया और उन्हें “धार्मिक भावनाओं को आहत करने” का दोषी ठहराया। उनके वकील ने कहा कि वे फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे। पारितोष को फेसबुक पोस्ट के लिए दोषी ठहराकर सजा सुना दी गई, लेकिन हिंदू गांव पर हमला करने वाले किसी भी अपराधी को अभी दोषी नहीं ठहराया गया है। मामले में लगभग 150 लोगों पर केस दर्ज किया गया है।
इस मामले में 72 लोग फरार हैं। वहीं, गांव पर हमले के मामले में 74 आरोपियों को जमानत मिल चुकी है और वे आजाद घूम रहे हैं। जिन लोगों को ज़मानत मिली है, उनमें गांव की मस्जिद का इमाम रबीउल इस्लाम भी है। इसी ने लाउडस्पीकर से लोगों को इकट्ठा किया था। इसके अलावा, इसमें हिंसा का मास्टरमाइंड सैकत मंडलृ और उज्जल हसन है, जिसने ‘ईशनिंदा’ फ़ेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट लिया और फैलाया था।
स्रोत : ऑप इंडिया