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धारके प्राचीन सरस्वती मंदिर की (भोजशाला की) मुक्ति के लिए कार्यरत हिंदुत्वनिष्ठों का दमन !

ज्येष्ठ कृष्ण ६, कलियुग वर्ष ५११५

वक्ता : श्री. नवलकिशोर शर्मा, संयोजक, भोजशाला मुक्ति यज्ञ समिति, धार, मध्यप्रदेश


भोजशाला का भव्य प्रांगण तथा मध्यभाग में विशाल यज्ञकुंड

. धार, मध्यप्रदेश में भोजशाला मुक्ति के लिए अद्वितीय आंदोलन !

वनवासी हिंदुओंको जब इस बातका पता चला, तो उन्होंने शासनको संगठित रूपसे धमकाया, मंदिरका ताला न खोला गया, तो उसे तोड दिया जाएगा ।वनवासी हिंदू क्रोधित हो गए । १८ फरवरीका दिन निश्चित किया गया । उस दिन ढाई लाख हिंदू एकत्रित होकर सडकपर उतर आए । पुलिसने उनपर गोलीबारी की । २ लोगोंकी वहीं मृत्यु हो गई । ६२ लोगोंको गोली लगी । दिग्विजयसिंह शासनने १,३०० लोगोंपर अभियोग प्रविष्ट किए । शासनको १५ दिनकी अवधि दी गई । इसी अवधिमें १४३ दरगाहोंको नष्ट किया गया और वहांके २८ मेंसे ९ धर्मांधोंकी हत्या कर दी गई । इस हत्याके प्रकरणमें आज भी ११ कार्यकर्ता आजीवन कारावास भुगत रहे हैं; परंतु उनमें इतना स्वाभिमान निर्माण हो गया है कि किसीको भी इसके लिए कोई खेद नहीं होता । तत्पश्चात धार जनपदमें हाहाकार मच गया । मुल्ला, मौलवी देहलीकी ओर दौड पडे तथा दिग्विजयसिंहसे प्रश्न करने लगे, ‘‘यह आपने क्या लगा रखा है ? मंदिरके द्वार खोलिए !’’ अंतमें दिग्विजयसिंह शासनको झुकना पडा और भोजशालाका ताला खोलकर मंदिर हिंदुओंके नियंत्रणमें दिया गया । अब प्रत्येक मंगलवारको वहां पूजा होती है; परंतु दुर्भाग्यसे किसी भी दलका शासन हो, तब भी वह धर्मांधोंका तुष्टिकरण करनेका प्रयत्न करता है ।मध्यप्रदेशके धार जनपदमें भोजशालानामक सरस्वती देवीका प्राचीन मंदिर है । वहांकी श्री सरस्वतीदेवीकी मूर्ति अंग्रेजोंने इंग्लैंडके संग्रहालयमें रखी है । सब लोग पर्यटकके रूपमें वहां जाते थे । धारके वनवासी भागके सभी वनवासी हिंदुओंने प्राचीन मंदिर देखा था । वहां यज्ञशाला और देवता हैं; इसलिए वह हमारा मंदिर है, यह वे समझ गए थे । धर्मांधोंका तुष्टिकरण करनेके लिए वर्ष १९९७ में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंहने इस मंदिरको ताला लगाया और उसकी चाबी धर्मांधोंको सौंप दी । वहां हिंदुओंके प्रवेशको प्रतिबंधित किया गया ।

. हिंदुओंकी भोजशाला धर्मांधोंको समर्पित कर देखनेवाले मध्यप्रदेशका भाजपा शासन !

हमने कांग्रेस एवं साम्यवादियोंद्वारा दिए कष्ट सहे हैं; परंतु सबसे बडा धोखा हमें भाजपाके रूपमें है । यह मेरे जीवनका कटु अनुभव है । वर्ष २००३ में यह आंदोलन यशस्वी होनेके पश्चात मैं असम गया । ५ वर्षोंके उपरांत लौटकर देखा, तो हिंदू कार्यकर्ताओंने १० वर्षोंके अथक प्रयत्नोंसे जिस सरस्वतीदेवीके मंदिरकी मुक्तता की थी, वह भोजशालाका मंदिर अब भाजपाके मुख्यमंत्री श्री. शिवराजसिंह चौहान पुनः धर्मांधोंके नियंत्रणमें देनेका प्रयास कर रहे हैं । कांग्रेस तथा साम्यवादियोंसे भी भाजपा हाथ मिला रही है । भाजपा नेता क्या कर सकते हैं ?’, इसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते ! साम्यवादियोंको पीछे छोडते हुए पिछले २ वर्षोंमें भाजपा शासनने विविध कृत्य किए हैं । (वर्ष २०१३ की वसंत पंचमीके दिन भाजपाके शासनने इस संदर्भमें जो हिंदूद्रोही दुष्कृत्य किए, वे अब सर्वज्ञात हैं ।संकलनकर्ता)

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