‘जय महाराष्ट्र’ वृत्तवाहिनी पर विशेष कार्यक्रम में अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर एवं शिवप्रेमी मल्हार पांडे की भेट !
मुंबई – छत्रपति शिवाजी महाराज के पराक्रम का इतिहास बतानेवाले महाराष्ट्र के गढ-दुर्गों पर इस्लामी अतिक्रमण जानबूझकर किए जा रहे हैं । उसे रोकने के लिए पुरातत्व विभाग को काम करने की आवश्यकता है, ऐसा मत हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर एवं शिवप्रेमी श्री. मल्हार पांडे ने ‘जय महाराष्ट्र’ इस वृत्तवाहिनी पर ‘जे एम् विशेष’ इस कार्यक्रम में प्रस्तुत किया । सिंधुदुर्ग जिले की वेंगुर्ले तालुका के यशवंत गढ का ढह रहा निर्माणकार्य एवं गढ के समीप ही हो रहे अतिक्रमण के विषय में १३ फरवरी को ‘यशवंत गढ कौन बचाएगा ?’, यह विशेष कार्यक्रम दिखाया गया ।
सौजन्य जय महाराष्ट्र न्यूज
इस कार्यक्रम में स्थानीय शिवप्रेमियों की भेट दिखाई गई । उसमें शिवप्रेमियों द्वारा गढ पर स्वच्छता मुहिम की जाती है । गढ के निकट कुछ होटल व्यावसायिकों द्वारा अवैध निर्माणकार्य शुरू है । इस विषय में पुरातत्व विभाग से शिकायत की गई; परंतु उसकी उपेक्षा की जाने से शिवप्रेमियों ने अतिक्रमण हटाने की मांग की है ।
इस अवसर पर अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर बोले,
१. राज्य पुरातत्व विभाग के पास पर्याप्त मनुष्यबल एवं निधि नहीं । राज्य पुरातत्व विभाग का अपना जालस्थल भी नहीं, इसके साथ ही लोगों से संवाद साधने के लिए ‘टोल फ्री’ क्रमांक भी नहीं । राज्य पुरातत्व विभाग को काम करना ही नहीं है, इसका यह लक्षण है ।
२. यशवंतगढ के साथ ही विशालगढ, सिंहगढ पर हो रहा अतिक्रमण अब तो प्रतिदिन की बात हो गई है । राजनेता भी इसकी अनदेखी कर रहे हैं । अधिकारी वेतन लेते हैं और गढों की स्वच्छता शिवप्रेमी करते हैं । पुरातत्व विभाग को इस विषय में कुछ ठोस करने की आवश्यकता है ।
सरकार समर्थन करे, तो गढ-दुर्गों का इतिहास विश्व के समक्ष रख सकेंगे ! – मल्हार पांडे, शिवप्रेमी
गढ-दुर्गों पर इस्लामी अतिक्रमण सुनियोजित ढंग से किया जा रहा है, इसमें कोई शंका नहीं । गढ-दुर्ग, ये छत्रपति शिवाजी का इतिहास है । किसी न किसी मार्ग से उसे नष्ट करने का काम हो रहा है । गढ-दुर्गों पर अतिक्रमण के विषय में शिवप्रेमियों को दक्ष रहने की आवश्यकता है, अन्यथा भविष्य में ये ऐतिहासिक स्थल हाथ से निकल जाएंगे । सरकार शिवप्रेमियों का दृढता से साथ देगी, तो महाराष्ट्र के गढ-दुर्गों का वैभवशाली इतिहास जग के सामने रखा जा सकेगा । गढों पर पर्यटक की भांति नहीं, अपितु अपना दैदिप्यमान एवं गौरवशाली इतिहास को अनुभव करने के लिए जाएं । नागरिकों को गढ-दुर्गों का ऐतिहासिक महत्त्व समझ लेना आवश्यक है ।