केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आदेश दिया कि सक्रिय राजनीति में शामिल लोगों को मंदिर में गैर-वंशानुगत ट्रस्टी (मंदिर प्रशासन) के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता है। मालाबार देवास्वोम बोर्ड के तहत पलक्कड़ जिले में श्री पुक्कोट्टुकलिकवु मंदिर में गैर-वंशानुगत ट्रस्टी के रूप में कम्युनिस्ट पार्टी के दो कार्यकर्ताओं और डीवाईएफआई के एक कार्यकर्ता की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
Stay Away!
Kerala HC annuls Malabar Devaswom Board decision to plant @CPIMKerala local leaders into Temple Governing Body in Kalikkaavu pic.twitter.com/PpxwRkqjNV
— HKupdate (@HKupdate) February 21, 2023
#Kerala High Court disqualifies two CPI(M) members and a DYFI member from being the trustees of a temple under the Devaswom Board.
Court notes that the regulations bar the appointment of politicians as temple trustees. Only idol worshippers can be appointed as trustees. pic.twitter.com/vhRMCEjowV
— Live Law (@LiveLawIndia) February 21, 2023
उच्च न्यायालय ने उस तर्क को स्वीकार नहीं किया कि डीवाईएफआई राजनीतिक संगठन नहीं है। अशोक कुमार गैर-वंशानुगत न्यासियों में से एक CPIM के एक स्थानीय समिति सचिव थे और रतीश सीपीआईएम के शाखा सचिव थे। उन दोनों ने न्यायालय को बताया कि जब उन्हें ट्रस्टी के रूप में नियुक्त किया गया था तब वे CPIM में किसी पद पर नहीं थे। पंकजक्षन डीवाईएफआई के एक क्षेत्र सचिव थे। उन्होंने तर्क दिया कि डीवाईएफआई कोई राजनीतिक दल नहीं है। कोर्ट ने कहा, कि डीवाईएफआई की गतिविधियों का क्षेत्र राजनीति और संबंधित गतिविधियां हैं।
उच्च न्यायालय ने कहा कि 20 फरवरी को अवधि समाप्त होने के कारण वह आदेश को रद्द करने के लिए कोई रिट जारी नहीं कर रहे हैं। यह रिट याचिका मालाबार देवस्वोम बोर्ड को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देकर निस्तारित की जाती है कि इसके बाद उसके नियंत्रण वाले मंदिरों में गैर-वंशानुगत ट्रस्टी की हर नियुक्ति सख्ती से चाथु आचन [2022 (6) केएलटी 388] (सुप्रा) के निर्दशों और हमारे द्वारा किए गए अवलोकन के अनुसार की जाएगी।
स्रोत : आज तक