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क्या कणेरी मठ में हुईं गायों की आकस्मिक मृत्यु के पीछे कोई षड्यंत्र है ?, इसकी जांच हो – हिन्दू जनजागृति समिति

गोहत्या प्रतिबंध कानून का विरोध करनेवाले वामपंथियों का अकस्मात उमड आया गो-प्रेम !

कोल्हापुर – यहां के कणेरी मठ में 20 फरवरी से अंतरराष्ट्रीय स्तर का ‘पंचमहाभूत लोकोत्सव’ चल रहा है । जब यह महोत्सव चल रहा था, उस समय कुछ गायों की संदेहास्पद मृत्यु हुई । यह घटना दुर्भाग्यजनक है । भारतीय प्राचीन संस्कृति संजोनेवाले कणेरी मठ की ओर से विगत अनेक वर्षाें से सहस्रों गायों का पालन किया जा रहा है । यहां ठांठ एवं भटकती गायों का पालन करनेवाली आदर्श गोशाला है । ऐसा होते हुए भी वामपंथी दलों की संगठनोंने अचानक से गायोंकी मृत्यु के संदर्भ में कणेरी मठ पर आरोप करना आरंभ किया है । वहां गायों की हुई आकस्मिक मृत्यु एक षड्यंत्र होने की संभावना अस्वीकार नहीं की जा सकती । वास्तव में देखा जाए, तो कणेरी मठ एवं प.पू. काडसिद्धेश्वर स्वामीजी का पर्यावरणप्रेम निर्विवाद है तथा उसे प्रमाणित करने की आवश्यकता भी नहीं है ।

वामपंथी एवं तथाकथित समाजवादी गोवंश हत्या प्रतिबंध कानून का विरोध करते हैं तथा किसानों की ठांठ गायों कसाईखानों में जाएं, इसका खुलेआम पक्ष लेते हैं । कांग्रेस के कार्यकाल में जब पंढरपुर के श्री विठ्ठल-रुक्मिणी देवस्थान समिति द्वारा अनेक गायें बेची गई थीं; साथ ही अनेक गायों के पेट में चोली का कपडा एवं प्लास्टिक की थैलियां मिली थीं, तब यही वामपंथी किस बिल में छुप गए थे ?; परंतु आज ही इन वामपंथियों एवं समाजवादियों का गोप्रेम अकस्मात क्यों उमड आया ? इसलिए आज उन्होंने दोहरी नीति अपनाई है, यही इससे दिखाई देता है । वास्तव में देखा जाए, तो कणेरी मठ में चल रहे पंचमहाभूत लोकोत्सव को मिली सफलता इन समाजद्रोहियों की आंखों में चुभ रही है । उसके कारण ही इस दुर्घटना की आड में प.पू. काडसिद्धेश्वर स्वामीजी एवं कणेरी मठ को अपकीर्त (बदनाम) किया जा रहा है । इसलिए कणेरी मठ में हुईंगायों की मृत्यु की व्यापक जांच कर उसके पीछे कार्यरत षड्यंत्र उजागर किया जाना चाहिए । समस्त हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन एवं संपूर्ण हिन्दू समाज कणेरी मठ के साथ खडे हैं ।

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