सरकारी यंत्रणा की मिली-भगत से गढ का इस्लामीकरण करने हेतु असत्य प्रविष्टी का प्रकरण उजागर !
ठाणे – छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य के लिए योद्धाओं की पहली टुकडी जहां निर्माण की, उस दुर्गाडी गढ पर श्री दुर्गादेवी के मंदिर को ‘मैलिस-ए-मुशवरीन मस्जिद’ होने का दावा करते हुए उससे संबंधी अभियोग वक्फ मंडल को हस्तांतरित करने की मांग कुछ स्थानीय मुसलमानों ने की थी । कल्याण जिला सत्र न्यायालय ने यह मांग अस्वीकार कर दी । सरकारी यंत्रणा के कुछ अधिकारी शासकीय कागदपत्रों में झूठे दस्तावेज घुसेडकर दुर्गाडी गढ का इस्लामीकरण करने में सहायता करने का धक्कादायक प्रकरण उजागर हुआ है ।
१. कल्याण में सरफुद्दीन मोईनुद्दीन कर्टे, मुहम्मद फारीद, मुहम्मद चौधरी, सुहैल फारीद, मोनाफ डोलारे ने कल्याण जिला न्यायालय में की याचिका में दुर्गाडी गढ पर श्री दुर्गादेवी के मंदिर का अभियोग वक्फ मंडल को हस्तांतरित करने की मांग की है।
२. ३ अप्रैल को इसकी अगली सुनवाई होनेवाली है । न्यायालय ने स्थानीय मुसलमानों की मांग को अस्वीकार कर दिया है, तब भी गढ विषय की शासकीय प्रविष्टी में दुर्गाडी गढ इस्लामी होने का प्रयत्न हो रहा है । इसमें गढ की पिछले भाग की दीवार पर ईदगाह होने का दिखावा करते हुए अनेक वर्षों से वहां ईद के दिन नमाजपठन किया जाता है । तदुपरांत कुछ वर्षों पूर्व गढ के समीप से जानेवाले मार्ग पर ‘ईदगाह मार्ग’, ऐसा फलक लगाया गया था । स्थानीय हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा किए परिवाद (शिकायत) के उपरांत यह फलक हटाया गया ।
पुलिस की प्रविष्टी में ‘ईदगाह’का उल्लेख ! – सुरेंद्र भालेकर, अध्यक्ष, त्रिपुरारी पूर्णिमा उत्सव किला दुर्गाडी
ईद के दिन दुर्गाडी गढ पर नमाजपठन के समय पुलिस ने मुझे नोटिस भेेजी । उसमें गढ की दीवार का उल्लेख ‘ईदगाह’, इसप्रकार किया जाता रहा है । वर्ष २००५ से पूर्व ऐसा उल्लेख नहीं था; परंतु उसके पश्चात शासकीय नोटिस में ‘ईदगाह’ ऐसा उल्लेख किया जाता है । इस विषय में समय-समय पर जिलाधिकारी से शिकायत की है; परंतु उसमें परिवर्तन नहीं किया जाता ।
न्याय के लिए और कितने वर्ष प्रतीक्षा करनी होगी ?
वर्ष १९७० में ठाणे जिलाधिकारी ने गढ की वास्तु को मंदिर होने का निर्णय दिया है । तदुपरांत मुसलमानों ने इस विषय में कल्याण जिला न्यायालय में याचिका दायर की । २२ मार्च १९७३ को गढ पर श्री दुर्गादेवी के मंदिर के विषय में विधान परिषद में प्रश्न उपस्थित किया गया था । तत्कालीन महसूलमंत्री भाऊसाहेब वर्तक ने स्पष्ट बताया था कि उस गढ पर ‘मंदिर’ की वास्तु है । वर्तमान में स्थानीय मुसलमान मंदिर पर दावा करने हेतु उच्च न्यायालय के पास जाने की तैयारी में हैं । दुर्गाडी गढ पर वास्तु के मंदिर होने के अनेक ऐतिहासिक प्रमाण न्यायालय में प्रस्तुत करने के उपरांत भी कल्याण जिला न्यायालय में अनेक वर्षों से अभियोग रेंग रहा है । अब उच्च न्यायालय में जाने पर ‘न्याय के लिए और कितने वर्ष प्रतीक्षा करनी होगी ?’, ऐसा प्रश्न इस अभियोग के हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा उपस्थित किया जा रहा है।
गढ की दीवार पर ईदगाह होने के कोई भी प्रमाण मुसलमान प्रस्तुत नहीं कर पाए, तब भी प्रशासन द्वारा गढ पर वर्ष में २ बार नमाजपठन की अनुमति दी जाती है । मुसलमानों के ‘ईदगाह’ होने का दावा करने से शिवसेनाप्रमुख बाळासाहेब ठाकरे के काल से गढ पर होनेवाले नवरात्रोत्सव के लिए प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं दी जा रही है।
स्रोत: दैनिक सनातन प्रभात