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संतों का विरोध करनेवाले जातीयवादियों को महत्त्व न दें – मनोज खाडये, हिन्दू जनजागृति समिति

दापोली में हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभा में ५ सहस्र से भी अधिक धर्मप्रेमियों की उपस्थिति

दापोली – ‘श्रीसमर्थ संप्रदाय’के पू. अप्पासाहेब धर्माधिकारी को राज्यशासन ने २०२२ का ‘महाराष्ट्र भूषण’ पुरस्कार दिया ।जातीयवादी मंडली इसी पुरस्कार का विरोध करनेवाली है । उन्होंने अब तक केवल जातीयवाद का विष घोटा है । संतों का विरोध करनेवाले जातीयवादियों को महत्त्व न दें !, ऐसे उद्गार हिन्दू जनजागृति समिति के पश्चिम महाराष्ट्र, कोकण के साथ ही गोवा एवं गुजरात राज्यों के समन्वयक श्री. मनोज खाडये ने व्यक्त किए ।

श्री. मनोज खाडये आगे बोले,

समर्थ रामदासस्वामीजी का कार्य महान है । पू. अप्पासाहेब रामदासस्वामी के चरित्रानुसार समाज में प्रबोधन का कार्य करते हैं । उन्हें दिए गए पुरस्कार के कारण ‘महाराष्ट्र भूषण’, इस पुरस्कार भी गौरवान्वित हुआ है । जिन पर अभियोग चल रहे हैं, ऐसे अभिनेता-अभिनेत्रियों को अथवा जिन्होंने करोडों रुपयों का कर नहीं भरा है, उन्हें पुरस्कार दिए जाने पर यह जातीयवादी मंडली मौन साध लेती है । केवल हिन्दुओं को संगठित होने की दिशा दिखानेवालों का जानबूझकर विरोध किया जाता है । ब्राह्मणद्वेष का कारण बाबासाहेब पुरंदरे को भी पुरस्कार दिए जाने पर इसीप्रकार विरोध किया गया था । हिन्दू धर्म का विरोध करना, यही इनका एकमेव एजेंडा है । सरकार इसका समय रहते ही बंदोबस्त करे । हिन्दू केवल संख्या में अधिक होने से काम नहीं बनेगा, अपितु संगठित होना होगा ।

अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के माध्यम से जिला परिषदों के विद्यालयों में वैज्ञानिक आधार के नाम पर कार्यक्रमों को लिए अनुमति नहीं मांगी जाती । बच्चों के सामने धर्म के विरोध में बोला जा रहा होगा, तो उसे सहन नहीं किया जाएगा । सिंधुदुर्ग जिले में इसे अनुमति दी गई है । हिन्दू जनजागृति समिति के विरोध के कारण ही अब वे अनुमति निरस्त करने की भाषा बोल रहे हैं । अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति का नाम पहले ‘नास्तिकतावादी मंच’ था । जिसके नाम में ही नास्तिकता है, वह क्या आस्तिकता सिखाएगा ?

श्री. मनोज खाडये

कोकण की ६ सहस्र एकड भूमि वक्फ बोर्ड के अधिकार में है, उसमें दापोली जैसी तालुका अग्रणी है । इसलिए हमारी मांग है कि वक्फ बोर्ड के पाशवी अधिकार हटा दिए जाएं ।

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