भोपाल (मध्यप्रदेश) में ‘टीआईटी इन्स्टिट्यूट’में ‘भारतीय संस्कृति की वैज्ञानिकता’ विषय पर परिसंवाद !
भोपाल (मध्यप्रदेश) – अमेरिका में साक्षरता के साथ आर्थिक, औद्योगिक एवं तंत्रज्ञान आदि सर्व क्षेत्रों में विकास हुआ; परंतु यह विकास की सर्वांगीण दृष्टि न होने से वहां आज ६० से ७० प्रतिशत लोक मानसिक रोग से पीडित हैं । वहां अपराध, व्यसनाधीनता, बलात्कार आदि घटना बडी संख्या में बढ गईं हैं । हम भी यदि भारतीय संस्कृति एवं अध्यात्म से मिली दृष्टि छोडकर, विकास के पीछे भागने से निश्चित ही अधोगति होगी । आज आधुनिक विज्ञान ने भी स्वास्थ्य के लिए शारीरिक, मानसिक एवं भावनिक स्वास्थ्य सहित आध्यात्मिक स्वास्थ्य महत्त्वपूर्ण होना मान्य किया है । इसलिए भारतीय संस्कृति एवं अध्यात्म में मनुष्य के सर्वांगीण विकास की कुंजी है । यह हमारे ध्यान में आना आवश्यक है, ऐसा मार्गदर्शन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे ने किया ।
यहां के ‘टेक्नोक्रेट्स इन्स्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी अँड साइन्स’में आयोजित ‘भारतीय संस्कृति की वैज्ञानिकता’ इस विषय पर परिसंवाद में वे मार्गदर्शन कर रहे थे । इस अवसर पर इन्स्टिट्यूट के संचालक डॉ. शशिकुमार जैन, प्राचार्य श्री. शिशिर आनवेकर एवं समिति के श्री. आनंद जाखोटिया सहित १५० से भी अधिक विद्यार्थी उपस्थित थे । इस अवसर पर इन्स्टिट्यूट की ओर से सद्गुरु डॉ. पिंगळे को सम्मानचिन्ह देकर सम्मानित किया गया ।
सद्गुरु डॉ. पिंगळे आगे बोले,
‘‘आज जग के अनेक देशों में संस्कृत एवं भारतीय ज्ञान द्वारा तज्ञों का महत्त्व बढता जा रहा है । भारत सदैव ही प्रत्येक क्षेत्र में आगे था । उज्जैन के महाकाल से काल का निर्धारण होता है । आज के आधुनिक विज्ञान द्वारा बनाई गई किसी भी वस्तु की आयु १०० वर्षों से अधिक नहीं; परंतु अपने अनेक मंदिर सैकडों वर्षों से खडे हैं । इतने प्रगत अभियंता हमारे पास थे । आयुर्वेद, शल्यक्रिया, ग्रहज्ञान, शून्य का शोध, विमान का शोध, ऐसे अनेक शोध भारत के ऋषियों ने किए, फिर हम पिछडे कहां थे ?
आज विदेश के विद्यार्थियों को प्रेम मिलना तो दूर की बात है, माता-पिता उनका दायित्व लेने के लिए तैयार नहीं । भारत के विद्यार्थियों का भाग्य है कि उनके माता-पिता उनका दायित्व लेते हैं । दादी-दादा उन पर अच्छे संस्कार करते हैं और परिवार उनका ध्यान रखता है । इसके लिए हमें कृतज्ञ रहना चाहिए ।