ज्येष्ठ कृष्ण ६, कलियुग वर्ष ५११५
क्या भारतीयोंद्वारा कभी ऐसा होनेकी संभावना है ?
बीजिंग : इजीप्तके एक साढेतीन सहस्र वर्ष पुराने शिल्पपर हाथसे लिखकर उसे विद्रूप करनेके संदर्भमें पंद्रह वर्षके एक चीनी लडकेके अभिभावकने सार्वजनिक रूपसे क्षमायाचना की । चीनके नानजिंग नगरके एक समाचार पत्रद्वारा उन्होंने इस घटनाके संदर्भमें क्षमायाचना की है । ( प्राचीन गढ, किलों तथा मंदिरोंमें स्वयं अपना तथा प्रेयसी-प्रियतमका नाम लिखकर एवं छायाचित्र निकालकर उसे विद्रूप करनेवाले भारतीय चीनसे सीखेंगे, वह सुदिन होगा ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
१. इजीप्तमें नाईल नदीके पूर्व किनारेपर अत्यंत दुर्लभ वालुकाश्मपर डिंग जिह्नाओ नामक लडकेद्वारा स्वयं अपना नाम लिखकर उसे विद्रूप करनेकी बात सामने आई थी ।
२. चीनके `वाईबो’ सार्वजनिक जालस्थलपर यह बात उजागर होनेके पश्चात वहां कोलाहल मच गया था ।
३. `इस स्थानपर डिंग जिह्नाओने भ्रमण किया है’, इस अर्थका वाक्य डिंगने वालुकाश्मपर लिखा था ।
४. इस वालुकाश्मपर जिह्नाओद्वारा उसका नाम लिखा हुआ छायाचित्र ९० सहस्रसे अधिक लागोंने अपने सामाजिक जालस्थलके पृष्ठोंपर रखा । इसलिए युद्धस्तरपर डिंगका पता लगाया गया, जिससे पता चला कि वह पूर्व चीनके जिआंगत्सु प्रांतके नानजिंग नगरमें रहता है ।
५. समाजद्वारा आए भयंकर दबावके कारण डिंगके अभिभावकोंने अपने लडकेपर उचित संस्कार नहीं किए इस बातको स्वीकार करते हुए क्षमायाचना की एवं समाजद्वारा उसे और एक अवसर दिए जानेकी समाजसे विनती की ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात