हिन्दू जनजागृति समिति की सरकार से मांग !
मुंबई – महाराष्ट्र शासन द्वारा संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए संस्कृत पंडित, वेदमूर्ति संस्कृत शिक्षक, संस्कृत प्राध्यापक, संस्कृत भाषा के लिए काम करनेवाले कार्यकर्ताओं को ‘महाकवि कालिदास संस्कृत साधना’ पुरस्कार प्रदान किया जाता है । गत १० वर्षों में इस पुरस्कार की राशि में १ रुपये की भी बढोतरी नहीं की गई । काँग्रेस सरकार के काल में संस्कृत भाषा की अवहेलना हुई; अत: वर्तमान सरकार पुरस्कार की राशि में समाधानकारक बढोतरी कर संस्कृत भाषा का सम्मान बढाएं, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ संगठक श्री. सुनील घनवट ने सरकार से की । २३ फरवरी को समिति की ओर से इस विषय का निवेदन उच्च एवं तंत्र शिक्षामंत्री चंद्रकांत पाटील को दिया गया ।
इस निवेदन में श्री. सुनील घनवट ने कहा है कि २७ जुलाई २०१२ को सरकार ने इस विषय का शासन आदेश निकाला है । इस आदेश के अनुसार प्रतिवर्ष ८ लोगों को यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है । प्रत्येक पुरस्कार की राशि २५ सहस्र रुपये निश्चित की गई है । राज्यसरकार द्वारा उर्दू भाषा के प्रचार के लिए वर्षभर में १२ से भी अधिक उपक्रम किए जाते हैं । उन पर पुरस्कार एवं प्रोत्साहन के लिए वर्षभर में १ करोड से भी अधिक खर्च किया जाता है । इसके विपरीत संस्कृत भाषा के उत्कर्ष के लिए वर्षभर में केवल एक ही पुरस्कार दिया जाता है और उसकी रकम भी गत १० वर्षों में बढी नहीं ।
संस्कृत दिन पर दिया जाए पुरस्कार !
प्रतिवर्ष संस्कृत दिन (नारळी पूर्णिमा) पर इस पुरस्कार का वितरण हो, ऐसा शासन आदेश में है । प्रत्यक्ष में एक बार भी संस्कृतदिन पर यह पुरस्कार नहीं दिया गया । यहां तक की संस्कृतदिन पर पुरस्कार भी घोषित नहीं किए जाते । सरकार अपनी सहूलियत के अनुसार इन पुरस्कारों का वितरण करती है । गत कुछ वर्षों से ३-४ वर्षों के पुरस्कारों का वितरण एक ही दिन किया जा रहा है । वर्ष २०२१ का पुरस्कार अब तक घोषित नहीं किया गया । यह एकप्रकार से संस्कृत भाषा की अवहेलना है । इस ओर सरकार को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए, ऐसा निवेदन में श्री. सुनील घनवट ने कहा है ।
समिति की सरकार से मांगें !
१. ‘महाकवि कालिदास संस्कृत साधना’ पुरस्कार संस्कृतदिन पर ही दिया जाए ।
२. इस पुरस्कार के लिए दी जानेवाली राशि में समाधानकारक बढोतरी करें ।
३. विद्यालय एवं महाविद्यालयों में विविध स्पर्धाओं का आयोजन कर विद्यार्थियों को पुरस्कार दिए जाएं ।
४. संस्कृत भाषा के प्रसार-प्रचार में महत्त्वपूर्ण योगदान देनेवाली वेदपाठशालाओं को संस्कृत भाषा के संवर्धन हेतु निधि उपलब्ध करवाई जाए ।