वैशाख कृष्ण षष्ठी , कलियुग वर्ष ५११५
वक्ता : पू. नारायण साई (प.पू. आसारामजी बापूके सुपुत्र), देहली.
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सारणी
- १. अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनमें होनेवाले मंथनसे हिंदू राष्ट्रकी स्थापना अवश्य होगी
- २. हिंदुओ, स्वार्थ तथा संकीर्णता त्यागकर एकत्र हो जाओ और असंभव भी संभव कर दिखाओ !
१. अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनमें
होनेवाले मंथनसे हिंदू राष्ट्रकी स्थापना अवश्य होगी !
‘दही अथवा छाछका मंथन करनेसे मक्खन मिलता है । हिंदू अधिवेशनमें जो मंथन हो रहा है, उससे मुझे स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि आज नहीं तो कल हिंदू राष्ट्रकी स्थापना अवश्य होगी ।
२. हिंदुओ, स्वार्थ तथा संकीर्णता
त्यागकर एकत्र हो जाओ और असंभव भी संभव कर दिखाओ !
‘अंग्रेजों, भारत छोडो’की भांति ही ‘हिंदू राष्ट्र बनाओ’ नारेको भी करोडों लोगोंका समर्थन मिलेगा । कहते हैं ‘गांधीने अंग्रेजोंको ‘भारत छोडो’ कहा और सर्व भारतीय उनके साथ आ गए ।’ मैं कहता हूं, यहां उपस्थित प्रत्येक व्यक्तिमें गांधीजीकी शक्ति छिपी है । हममें महाराणा प्रताप, शिवाजी महाराज तथा हनुमानजी हैं । हम उन्हें जागृत क्यों नहीं करते ? हम कायरोंके समान क्यों जीएं ? हम यदि थोडासा भी स्वार्थ तथा संकीर्णता त्यागकर कंधेसे कंधा मिलाकर प्रयत्न करें, तो जो चाहे कर सकते हैं । कुछ भी असंभव नहीं । प्रत्येक बात संभव है । एक छोटासा कीट पत्थरमें घर कर सकता है, तो हमारे लिए क्या असंभव है ?’