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‘सरकार अधिग्रहित मंदिर में भेदभाव क्यों ?’ इस विषय पर विशेष संवाद !

सरकार यदि धर्मनिरपेक्ष है, तो सरकार मंदिरों समान चर्च एवं मस्जिदों का भी अधिग्रहण करे ! – परमहंस डॉ. अवधेशपुरी महाराज, उज्जैन

देशभर के विविध प्रसिद्ध देवस्थानों (मंदिरों) में विशेषरूप से सरकार द्वारा अधिग्रहित देवस्थानों में दर्शन, आरतियों के लिए विविध प्रकार के शुल्क लेकर श्रद्धालुओं में भेदभाव किया जा रहा है । शास्त्रीय एवं संवैधानिक दृष्टि से भी श्रद्धालुओं के साथ असमानता का बर्ताव करना गलत है । सरकार श्रद्धालुओं की श्रद्धा, भावनाओं के साथ खिलवाड न करे । राजकीय नेता, प्रशासकीय क्षेत्र के लोग संविधान के अनुसार धर्मनिरपेक्षा की शपथ लेते हैं, तो फिर वे मंदिरों की धर्मसापेक्ष बातों में कैसे हस्तक्षेप कर सकते हैं ? इसका उत्तर कोई देगा क्या ? सरकार केवल हिन्दुओं के मंदिर ही नियंत्रण में क्यों ले रही है ? सरकार यदि धर्मनिरपेक्ष है, तो सरकार मंदिरों समान चर्च एवं मस्जिदों का भी अधिग्रहण करे, ऐसा स्पष्ट प्रतिपादन उज्जैन, मध्यप्रदेश के ‘स्वस्तिक पीठ’के पीठाधीश्वर परमहंस डॉ. अवधेशपुरी महाराज ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘सरकार अधिग्रहित मंदिर में भेदभाव क्यों ?’ इस विषय पर विशेष संवाद में बोल रहे थे ।

जलगांव के अमलनेर मंगलग्रह सेवा संस्था के अध्यक्ष श्री. दिगंबर महाले बोले कि स्वयं के विविध कष्टों के निवारण के लिए श्रद्धालु मंदिर में आते हैं । मंदिर में आए श्रद्धालुओं की श्रद्धा को जब पैसों से तोला जाता है, तब मंदिर प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं को कष्ट होता है । यह बडे दुर्भाग्य की बात है ! इसका विरोध करना चाहिए । अन्य पंथीय उनके प्रार्थनास्थलों का सरकारीकरण नहीं होने देते; परंतु हिन्दुओं ने उसे होने दिया । यदि मंदिर व्यवस्था की गलत बातें रोकनी हैं, तो हिन्दुओं को एकत्र आकर ठोस कृति करनी चाहिए ।

हिन्दू जनजागृति समिति के मध्यप्रदेश एवं राजस्थान राज्य समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने कहा कि हिन्दुओं के मंदिर अधिग्रहित करनेवाली सरकार मस्जिद के इमामों को भरपूर वेतन देती है; परंतु हिन्दू पुजारियों पर ध्यान नहीं देती । जहां धन-संपत्ति भारी मात्रा में एकत्र होती है, वही मंदिर सरकार ने अपने नियंत्रण में ले लिए हैं । आज केवल काँग्रेस ही नहीं, अपितु विविध पक्षों की सरकारों ने हिन्दुओं के मंदिर अपने नियंत्रण में ले लिए हैं; जबकि अन्य पंथीय अपने प्रार्थनास्थलों का कार्यभार स्वयं चला रहे हैं । यह हिन्दुओं पर अन्याय है । सूचना अधिकार के अंतर्गत प्राप्त जानकारी से उजागर हुआ है कि देशभर में सरकारीकरण किए हुए अनेक मंदिरों में भारी मात्रा में भ्रष्टाचार करने के साथ ही हिन्दुओं की धार्मिक परंपराओं पर आघात किया जा रहा है । हिन्दू भाविक, मंदिर विश्वस्त एवं हिन्दू संगठनों का व्यापक संगठन होने पर ही मंदिरों के विषय में हो रही ऐसी गलत बातों पर रोक लगेगी ।

 

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