संयुक्त राष्ट्र – महिला, शांति और सुरक्षा पर UN की बहस में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाने के बाद भारत ने पाकिस्तान को यह कहते हुए फटकारा कि वह इस तरह के ‘दुर्भावनापूर्ण और झूठे प्रचार’ का जवाब देने के लिए भी ‘अयोग्य’ है।
जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने मंगलवार को उनके बयान को ‘आधारहीन और राजनीति से प्रेरित’ करार दिया।
“The cultural ethos of India has taught her people to regard our planet earth as a mother”
Statement by India in the UN Security Council on “Women, Peace and Security” today.#UNSCR1325 pic.twitter.com/3MFJ06cHIP
— India at UN, NY (@IndiaUNNewYork) March 8, 2023
उन्होंने कहा, ‘इससे पहले कि मैं निष्कर्ष निकालूं, मैं केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के बारे में पाकिस्तान के प्रतिनिधि द्वारा की गई ओछी, निराधार और राजनीति से प्रेरित टिप्पणी को खारिज करती हूं।’
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ‘महिला, शांति और सुरक्षा’ पर खुली बहस में बोलते हुए कंबोज ने कहा: ‘मेरा प्रतिनिधिमंडल इस तरह के दुर्भावनापूर्ण और झूठे प्रचार का जवाब देने के लिए भी अयोग्य मानता है।’
कंबोज ने कश्मीर के नाम पर दी तीखी प्रतिक्रिया
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर इस महीने के लिए मोजाम्बिक की अध्यक्षता में आयोजित परिषद की बहस में अपनी टिप्पणी में पाकिस्तान के विदेश मंत्री जरदारी द्वारा जम्मू-कश्मीर का उल्लेख करने के बाद कंबोज की यह तीखी प्रतिक्रिया सामने आई।
भारत पहले भी पाकिस्तान को बता चुका है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का पूरा इलाका भारत का हिस्सा था, है और रहेगा।
आतंकवाद मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी इस्लामाबाद की
भारत इस बात पर कायम रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंधों की इच्छा रखता है, जबकि इस बात पर जोर देता है कि इस तरह के जुड़ाव के लिए आतंकवाद और शत्रुता से मुक्त वातावरण बनाने की जिम्मेदारी इस्लामाबाद की है।
आतंकवाद शांति व सुरक्षा के लिए लगातार खतरा
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने मंगलवार को कहा कि सदस्य देशों को राजनीतिक प्रक्रियाओं और फैसले लेने में महिलाओं की भागीदारी और समावेश के लिए अनुकूल माहौल प्रदान करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि आतंकवाद और हिंसक अतिवाद, मानवाधिकारों के सबसे बड़े उल्लंघनकर्ता और वैश्विक शांति व सुरक्षा के लिए लगातार खतरा बने हुए हैं, यह कहने की जरूरत नहीं है। महिलाएं और लड़कियां असमान रूप से पीड़ित हैं।
स्रोत: जागरण