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राज ठाकरे की चेतावनी के बाद माहिम तट पर बन रहे अवैध ‘दरगाह’ पर चला बुलडोजर

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कल आरोप लगाया था कि, माहिम तट पर अवैध रूप से एक दरगाह का निर्माण किया जा रहा है, जिसके बाद मुंबई में माहिम समुद्र तट पर भारी पुलिस तैनाती के बीच ‘दरगाह’ के अतिक्रमित स्थल को तोड़ने का अभियान शुरू हुआ। बुलडोजर और मजदूरों की मदद से दरगाह के नजदीक अवैध कब्जे को तोड़ दिया गया ।

मुंबई पुलिस की कार्रवाई

एबीपी माझा के अनुसार, मुंबई नगर निगम की अतिक्रमण रोधी टीम माहिम के विवादित मजार स्थल में गई। नगर निगम के कई कर्मचारियों और जेसीबी को भी माहिम किनारे लाया गया है। इस बीच माहिम में विवादित मजार को लेकर एबीपी माझा को सूत्रों ने अहम जानकारी दी है। बताया गया कि, मकबरा बहुत पुराना है। पिछले दो साल में मजार के आसपास अनाधिकृत निर्माण किया गया है। केवल इसी निर्माण को आज तोड़ा जाएगा। सूत्रों ने जानकारी दी है कि मजार को छुआ नहीं जाएगा।

खुलेआम समुद्र में बन रही एक और हाजी अली दरगाह’

संभावित सुरक्षा खतरे की ओर इशारा करते हुए, राज ठाकरे ने कहा यह माहिम पुलिस स्टेशन के करीब है और बीएमसी के अधिकारी वहां घूमते रहते हैं लेकिन उन्हें इस अवैध निर्माण के बारे में कोई हवा नहीं है। पिछले दो वर्षों से यह ‘दरगाह’ खुलेआम समुद्र में बन रही है.. एक और ‘हाजी अली दरगाह’.. और इस बारे में बात करने वाला कोई नहीं है?

वीडियो में दिखा समुद्र में एक छोटा टापू

इसके बाद पांच साल बाद अपने पुराने ‘लाव रे ते वीडियो’ (उस वीडियो को चलाएं) के साथ लौटते हुए राज ठाकरे ने एक वीडियो चलाने का आदेश दिया, जिसे एक ड्रोन से शूट किया गया था, जिसमें माहिम समुद्र में एक छोटा टापू जैसा दिख रहा था। इसमें कुछ हरे और सफेद झंडे थे, जो एक खंभे पर फहरा रहे थे। कुछ पुरुषों और महिलाएं एक अज्ञात व्यक्ति की अस्थायी कब्र पर प्रार्थना कर रहे थे। उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में पूछा, ”यह दरगाह किसकी है? किसी मछली की है?”

साइट 600 साल पुरानी है

माहिम तट में कथित मजार की मैपिंग की गई है। माहिम तट में महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड के अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। कहा जा रहा है कि राज ठाकरे की चेतावनी के बाद मेरीटाइम बोर्ड की नींद खुल गई है।

इस बीच माहिम समुद्र में इस जगह पर माहिम दरगाह ट्रस्ट ने बड़ा दावा किया है। यह जगह 600 साल पुरानी है। मूल रूप से हजरत मकदूम अली शाह इसी स्थान पर बैठकर हजरत ख्वाजा खिज्र अली शाह से शिक्षा प्राप्त करते थे। यह एक ऐतिहासिक स्थान है। माहिम दरगाह के ट्रस्टी सुहैल खंडवानी ने कहा कि हमारा वहां दरगाह बनाने का कोई इरादा नहीं है।

स्रोत : एबीपी

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