‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ की ओर से मुख्यमंत्री को विभिन्न मांगों की ज्ञापन प्रस्तुति !
महाराष्ट्र के विधानभवन में आयोजित मंदिरों की न्यासियों की बैठक में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने यह आश्वासन देते हुए प्रतिपादित किया कि महाराष्ट्र के मंदिरों की समस्याओं के प्रति सरकार गंभीर है; इसलिए विधानसभा का बजटसत्र समाप्त होने के उपरांत सभी मंदिरों की समस्याओं के समाधान के लिए संबंधित अधिकारियों, मंदिरों के न्यासियों-पुजारियों की स्वतंत्र बैठक बुलाऐंगे । इस बैठक में मुख्यमंत्री ने न्यासियों के साथ विस्तार से बातचीत कर उनकी मांगों का सकारात्मक प्रत्युत्तर किया, साथ ही उन्होंने इन मांगों का गंभीरता से संज्ञान लिया । ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के समन्वयक तथा ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ के महाराष्ट्र राज्य संघटक श्री. सुनील घनवट ने यह जानकारी दी ।
4 एवं 5 फरवरी 2023 को जलगांव में संपन्न ‘महाराष्ट्र मंदिर न्यास परिषद’ में मंदिरों का संवर्धन एवं संरक्षण के लिए सर्वसम्मति से विभिन्न प्रस्ताव पारित किए गए थे । उस परिप्रेक्ष्य में मंदिरों के न्यासियों ने ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ की ओर से पारित प्रस्ताव मुख्यमंत्री के सामने प्रस्तुत कर उनका कार्यान्वयन करने की मांग की।
इस अवसर पर ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ की ओर से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रस्तुत किया गया, जिसमें तुळजापुर के श्री तुळजाभवानी मंदिर संस्थान, कोल्हापुर के श्री महालक्ष्मी देवस्थान, पंढरपुर के श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर, शिरडी के श्रीसाईबाबा संस्थान, मुंबई के श्री सिद्धीविनायक मंदिर आदि सरकारीकृत मंदिरों में बडे स्तर पर भ्रष्टाचार चल रहा है तथा सरकार की ओर से जांच चल रही है, साथ ही जिन-जिन मंदिरों पर प्रशासक अथवा न्यायाधिशों की नियुक्ति की गई है, उन मंदिरों को पुनः हिन्दुओं के नियंत्रण में सौंपा जाए तथा इस संदर्भ में स्वतंत्र प्राधिकरण का गठन किया जाए जैसी मांगें की गई हैं ।
ज्ञापन प्रस्तुत करनेवाले मंदिरों के शिष्टमंडल में राज्य के बंदरगाह एवं खनीकर्म मंत्री श्री. दादा भुसे, शिवसेना के नासिक के सांसद श्री. हेमंत गोडसे, शिवसेना के मुख्य प्रतोद तथा विधायक श्री. भरतशेठ गोगावले, ‘श्रीक्षेत्र भीमाशंकर संस्थान’ के अध्यक्ष अधिवक्ता सुरेश कौदरे, सहकार्यकारी न्यासी श्री. मधुकर गवांदे, ‘श्री लेण्याद्री गणपति देवस्थान ट्रस्ट’ के अध्यक्ष श्री. जितेंद्र बिडवई, नासिक के ‘श्री काळाराम मंदिर’के आचार्य महामंडलेश्वर श्रीमहंत सुधीरदास महाराज, ‘जी.एस्.बी. टेंपल ट्रस्ट’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री. ऋत्विक औरंगाबादकर, अमळनेर के ‘श्रीमंगलग्रह सेवा संस्थान’के अध्यक्ष श्री. दिगंबर महाले, ‘वडज देवस्थान’ के श्री. आदिनाथ चव्हाण, नगर के ‘श्री भवानीमाता मंदिर’ के अधिवक्ता अभिषेक भगत, ‘श्री तुळजाभवानी पुजारी मंडल’ के पूर्व अध्यक्ष श्री. किशोर गंगणे, ‘पनवेल जैन संघ’ के अध्यक्ष श्री. मोतिलाल जैन, श्री. अशोक कुमार खंडेलवाल, ‘सनातन संस्था’ के धर्मप्रचारक श्री. अभय वर्तक, ‘धर्मवीर आध्यात्मिक सेना’ के प्रदेशाध्यक्ष ह.भ.प. अक्षय महाराज भोसले, ‘वारकरी संप्रदाय’ के ह.भ.प. भगवान महाराज कोकरे, पूर्व मंत्री श्री. परिणय फुके, जलगांव के भाजपा विधायक श्री. सुरेश भोळे, नागपुर के भाजपा विधायक श्री. विकास कुंभारे, गंगापुर के भाजपा विधायक श्री. प्रशांत बंब, विधान परिषद के भाजपा विधायक श्री. गोपीचंद पडळकर, शहादा के भाजपा विधायक श्री. राजेश पाडवी, शिवसेना विधायक श्री. किशोरआप्पा पाटील, पूर्व विधायक श्री. बाळासाहेब मुरकुटे, पूर्व विधायक श्री. राज पुरोहित, ठाणे की महापौर श्रीमती मीनाक्षी शिंदे एवं महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के समन्वयक तथा ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ के महाराष्ट्र राज्य संघटक श्री. सुनील घनवट उपस्थित थे ।
राज्य के मंदिरों पर प्रशासकों तथा न्यायाधिशों की नियुक्ति न करें ! – आचार्य महामंडलेश्वर श्रीमहंत सुधीरदासजी महाराज
मुख्यमंत्री से बातचीत करते हुए आचार्य महामंडलेश्वर श्रीमहंत सुधीरदासजी महाराज ने कहा, ‘‘मंदिरों पर प्रशासकों एवं न्यायाधिशों की नियुक्ति न करे, उसके स्थान पर पुजारियों एवं न्यासियों के मध्य जो विषय हैं, उनके समाधान के लिए उत्तर प्रदेश की तर्ज पर कार्यपद्धति लागू की जाए । इसके साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार ने जो सरकारी वेतन पर पुजारियों की नियुक्ति की है, उस प्रकार से महाराष्ट्र में भी यह पद्धति लागू की जाए, यह हमारी मांग है ।’’
मंदिर न्यासियों की ओर से मुख्यमंत्री को विभिन्न मांगों के प्रस्ताव प्रस्तुत !
इस अवसर पर ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ की ओर से मुख्यमंत्री को प्रस्तुत किए गए 9 प्रस्तावों में निम्न मांगें की गई हैं । महाराष्ट्र सरकार सरकारीकृत मंदिरों को मुक्त कर न्यायालय के आदेशों का पालन करे; राज्य सरकार मंदिरों की संपत्ति का उपयोग विकासकार्याें के लिए न करने की घोषणा करे; पौराणिक अथवा ऐतिहासिक महत्त्व प्राप्त, परंतु प्रशासन एवं पुरातत्त्व विभाग से उपेक्षित मंदिरों का तत्काल नवीनीकरण करने के लिए पर्याप्त आर्थिक सहायता का प्रावधान हो; राज्य के तीर्थस्थलों एवं गढ-किलों पर स्थित अतिक्रमण किए गए मंदिरों का सर्वेक्षण कर उन्हें तत्काल हटाया जाए; मंदिरों के पुजारीवर्ग की आय अल्प होने से सरकार उन्हें प्रतिमाह गौरवधन दे; मंदिरों एवं तीर्थस्थलों की पवित्रता बनाए रखने के लिए उनके परिसर में मदिरा एवं मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की जाए; राज्य के ‘क’ वर्ग में अंतर्भूत उचित कागदपत्रधारी मंदिरों तो तुरंत ‘ब’ वर्ग में वर्गीकृत किया जाए; धर्मादाय आयुक्तों के द्वारा सामाजिक कार्याें के लिए चंदा देने के लिए मंदिरों को आज्ञापत्र न भेजे जाएं; साथ ही मंदिरों के धन का उपयोग प्रधानता से धार्मिक कार्याें के लिए ही किया जाए तथा महाराष्ट्र के अष्टविनायक मंदिरों में से श्री लेण्याद्री गणपति मंदिर जाते समय केंद्रीय पुरातत्त्व विभाग की ओर से जो श्रद्धालुओं को टिकट लेना अनिवार्य किया गया है, उसे तत्काल रद्द करने का आदेश जारी किया जाए ।