क्रिकेट मैचों के बंदोबस्त शुल्क बढाकर उससे पुलिस के घरों की दुरुस्ती करवाएं ! – हिन्दू विधिज्ञ परिषद की मांग
भारत में क्रिकेट मैच बहुत खेला जाता है । क्रिकेट मैचों में संघ की लोकप्रियता एवं स्थानीय परिस्थिति को ध्यान में रख सामान्य लोगों की आवश्यकता के अनुसार विशेष पुलिस बंदोबस्त नियुक्त किया जाता है । महाराष्ट्र का विचार करते हैं तो राज्य में मुंबई, पुणे, नागपुर और नई मुंबई, ऐसे चार आंतरराष्ट्रीय स्तर के मैदान होने से उस पर कसौटी, एकदिवसीय, टी-२० एवं आइपीएल ऐसे सभी प्रकार के मैच खेले जाते हैं । पेट्रोल, डीजल, गैस एवं सब्जियां, इन सभी के घटकों के मूल्य में वृद्धि होने पर क्रिकेट के लिए अलग-सी छूट क्यों दी जा रही है ? बमविस्फोट समान अनेक खतरों से रक्षा हो, इसलिए क्रिकेट मैचों को महाराष्ट्र पुलिस संरक्षण देते हैं और उसका शुल्क लेते हैं; परंतु ऐसा ध्यान में आया है कि गत ५ वर्षाें से इस शुल्क में वृद्धि नहीं की गई है । इसलिए सरकार क्रिकेट मैच के बंदोबस्त शुल्क में वृद्धि करे ओर मिले हुए शुल्क से पुलिस के घरों की दुरुस्ती करवाए, ऐसी मांग हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने की है ।
हिन्दू विधिज्ञ परिषद ने डेढ माह पूर्व सरकार को पत्र लिखकर इस विषय में मांग की थी । इस पत्र में कहा गया था कि सर्वप्रथम वर्ष २०१७ में एक सरकारी निर्णय द्वारा, पुलिस को क्रिकेट मैच का बंदोबस्त करते समय उसके लिए लिया जानेवाला शुल्क निश्चित किया है । तदुपरांत वर्ष २०१८ में प्रस्तुत शुल्क में केवल ५ से ७ लाख की वृद्धि की गई है; जबकि क्रिकेट मैच के प्रक्षेपण का अधिकार उसी अवधि में तीन गुना बढ गया । आइपीएल २०२३-२७ के ब्रॉडकास्टिंग का अधिकार ४४ हजार करोड से भी अधिक ें बिक्री होता है, ऐसे में उसका लाभ राज्य की पुलिस को भी क्यों न मिले ? इस विषय में सरकार ध्यान दे, ऐसा इस पत्र में कहा है । इसमें आगे कहा है कि सरकार जैसे सिगरेट, मद्य पर राजस्व लगाती है वैसे ही ‘आइपीएल’ जैसे मैचों के समय बंदोबस्त के लिए भी लगाना चाहिए और उसी उत्पन्न से पुलिस के घरों की दुरुस्ती करवानी चाहिए, ऐसी मांग भी की गई थी; परंतु अब तक क्रिकेट मैचों के बंदोबस्त शुल्क में वृद्धि दिखाई नहीं दी है ।
पुलिस को गणेशोत्सव, दिपावली, राजनीतिक कार्यक्रम इन सभी को संरक्षण देना ही है, परंतु ‘आइपीएल’ जैसे केवल मनोरंजन के कार्यक्रम के लिए भी संरक्षण देने की आपेक्षा उनके घरों की दुरुस्ती होना आवश्यक है । उनके घरों की दयनीय अवस्था के कारण मानसिक तनाव भी बढ गया है । इसलिए हिन्दू विधिज्ञ परिषद ने मांग की है कि यह शुल्क पुन: निर्धारित किया जाए और जमा हुए शुल्क की कुल राशि में से कुछ निकाल कर पुलिस के घरों की दुरुस्ती की जाए ।