भगवान श्रीरामजी की कृपासे रामराज्य की स्थापना के कार्य को बल प्राप्त हो एवं धर्मसंस्थापना के कार्य को शौर्य का अधिष्ठान प्रदान करनेवाली देवता वीर हनुमानजी के शौर्य का प्रतीक, उनकी ‘गदा’ का पूजन करने का नियोजन हमे अपने क्षेत्र में करना है।
गदा पूजन रूपरेखा-
अ. कार्यक्रम का स्वरूप समय | |
१. शंखनाद, सामूहीक प्रार्थना | ५ मिनिट |
२. ‘गदा पूजन’ उद़्देश एवं महत्व | ५ मिनिट |
३. ‘गदा पूजन’ विधी,मारूती स्तोत्र/ हनुमान चालिसा पठन | १५ मिनिट |
४. ॥श्री हनुमते नम: ॥ नामजप करना (सामूहीक) | ५ मिनिट |
५. रामराज्य की प्रतिज्ञा एवं कृतज्ञता | ५ मिनिट |
कुल कालावधी | ३५ मिनिट |
‘गदा पूजन’ उद़्देश एवं महत्व
युगानुयुग श्री हनुमानजी के शौर्य का प्रतीक है उनकी ‘गदा’, जिसके उपयोग से हनुमानजीने बलाढ्य असुरों का संहार कर प्रभु श्रीरामचंद्रजी के रामराज्य के कार्य में योगदान दिया। महाभारत के युध्द में भी हनुमानजी ने अर्जुन के रथ पर सूक्ष्म से विराजमान होकर पांडवों को युध्द में विजयी होने हेतु सहायता की। हिंदवी स्वराज्य की स्थापना हेतु समर्थ रामदास स्वामीजीने ११ मारूती की स्थापना की एवं सभी से बलोपासना करवाकर छत्रपती शिवाजी महाराज जी के हिंदवी स्वराज्य के कार्य को बल प्रदान किया।
आज पुन: एक बार राम राज्य स्थापना हेतु हमें श्री हनुमानजी की तथा उनके शौर्यरूपी आशिर्वाद की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य को लेकर आज श्री हनुमान जयंती के अवसर पर सब जगह ‘गदा पूजन’ का आयोजन किया है। अपितु, इस गदा पूजन के माध्यम से हममें विद्यमान शौर्य जागृत होकर हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य को बल प्राप्त हो, ऐसे श्री हनुमानजी के चरणों में हम प्रार्थना करेंगे।
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‘गदा पूजन’ विधी
पूजन हेतु आवश्यक साहित्य- फूल, मदार (रूई) के पत्तों का हार, हलदी-कुमकुम, उदबत्ती, दिया, दिये में डालने के लिए तेल या घी, मीठा भोग (नैवेद्य)
प्रार्थना
हे हनुमानजी, आपकी कृपादृष्टी हम पर सदा बनी रहे। आगामी आपत्काल के समय गदा में विद्यमान शक्ती सदैव हमारे साथ रहकर हमारी रक्षा करे, ऐसी आपके चरणों में शरणागतभाव से प्रार्थना है।
श्लोक
मनोजवं मारुततुल्यवेगं
जितेंद्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥
गदायै नमः, ध्यायामी । (नमस्कार करेंगे।)
श्री गदायै नमः, विलेपनार्थे चंदनं समर्पयामी । (गंध लगाए।)
श्री गदायै नमः, पुष्पम् समर्पयामी । (फूल अर्पित करे।)
श्री गदायै नमः धुपं समर्पयामी । (उदबत्ती घूमाएंगे।)
श्री गदायै नमः दिपं समर्पयामी । (दिप घूमाएंगे।)
श्री गदायै नमः नैवेद्यं निवेदयामी । (नैवैद्य के चारों ओर पाणी प्रोक्षन करे एवं बाया हाथ छाती पर रखकर आगे दिए मंत्र का उच्चार कर घास खिलाते है वैसे कृती करे।) ( नैवैद्य में जो मीठा व्यंजन उपलब्ध है वो ले सकते है अन्यथा शक्कर ली तो भी उचित होगा।)
(प्राणाय नमः, अपानाय नमः, व्यानाय नमः, उदानाय नमः समानाय नमः, ब्रह्मणे नमः
श्रीहनुमान चालीसा/ मारूतीस्तोत्र पठन करना ।
श्री हनुमते नम: यह नामजप ५ मिनट करना ।
राम राज्य स्थापना हेतु प्रतिज्ञा
प्रभु श्रीरामचंद्र, वीर हनुमानजी इन्हे साक्षी मानकर हम शपथ लेते है की, देव, देश और धर्म की किसी भी प्रकार की अवहेलना (अपमान) हम कदापि सहेन नहीं करेंगे! हे श्रीरामजी, देव, देश और धर्म पर आया हर एक संकट का तीव्र प्रतिकार कर उसे निष्कासित करने हेतु हमें शक्ती दे! हे श्रीरामजी, हम प्रतिज्ञा लेते है की, रामराज्य, हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम उसे प्राप्त कर के ही रहेंगे। इस हेतु हम प्रभू रामचंद्रजी की वानरसेना बनेंगेे! प्रभु श्रीरामचंद्र, भगवान श्रीकृष्ण, छत्रपती शिवाजी महाराजजी द्वारा बने आदर्शपथ पर हम मार्गक्रमना करेंगे! हमारे सर्वश्रेष्ठ ऋषीमुनीयों ने स्थापित किए परंपराओं का हम सार्थ अभिमान रखेंगे! उन्होंने निर्माण किए धर्मग्रंथ, संस्कृती, परंपरा आदी का हम यथोचित पालन करेंगे!
हमारे हिन्दू संस्कृती की धरोहर अर्थात हमारे मंदिरों की हम रक्षा करेंगे! अभी से राम राज्य यही हमारे जीवन का ध्येय है और इस हेतु हम हमारे अंतिम श्वास तक कार्यरत रहेंगे। राम राज्य स्थापन किए बिना हम शांत नहीं बैठेंगे!
अभी एक ही लक्ष्य, राममंदिर से रामराज्य ! राममंदिर से रामराज्य !! राममंदिर से रामराज्य !!
सीयावर रामचंद्र की जय !
बजरंगबली हनुमान की जय !