येलवडी (जिला पुणे) – वर्ष १६८९ में औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराजजी को फाल्गुन अमावास्या के दिन अनेकानेक यातनाएं देकर मार डाला । अगले दिन चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा अर्थात गुढीपाडवा, हिन्दुओं का नववर्षदिन था । इस हत्या के पीछे औरंगजेब का उद्देश्य यह था कि ‘हिन्दू वह दिन न मनाएं’ । वास्तव में महाराजजी की हत्या का गुढीपाडवा के दिन खडी की जानेवाली गुढी से कोई भी संबंध नहीं है । महाराजजी की हत्या के पहले अनेक युगों से गुढी खडी करने और त्यौहार मनाने का शास्त्र है । संभाजी महाराजजी ने मृत्यु स्वीकारी; परंतु उन्होंने धर्मपरिवर्तन नहीं किया । हमारे पश्चात हमारी प्रजा धर्मांतरित न हो; इसलिए उन्होंने यह बलिदान दिया; परंतु आज अपने हिन्दू बंधु प्रलोभन, उनकी झूठी बातों की बलि चढकर धर्मांतरित हो रहे हैं, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. दिलीप शेटे ने किया । येलवडी में धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज बलीदानमास के उपलक्ष्य में हिन्दू जनजागृति समिति का व्याख्यान आयोजित किया गया था और इस अवसर पर श्री. शेटे बोल रहे थे । इस व्याख्यान को ग्रामवासियों का उत्स्फूर्त प्रतिसाद मिला, इसके साथ ही गुढी खडी करें अथवा नहीं, यह संभ्रम भी उनके मन से दूर हो गया ।