मुंबई, ठाणे, रायगड एवं पालघर जिलों के प्रांतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का उत्साही वातावरण में शुभारंभ !
मुंबई – हिन्दू धर्म एवं हिन्दुत्व पर आक्रमण रोकना है, तो हिन्दुओं को जागृत होना होगा । अब हिन्दू के जागृत होने पर ही धर्मनिरपेक्ष भारत हिन्दू राष्ट्र होगा । हिन्दू धर्म पर आक्रमणों का प्रत्युत्तर देने के लिए हिन्दुओं को शक्ति की उपासना करनी चाहिए । धर्मपरिवर्तन, हिन्दूविरोधी कानून का संगठितरूप से विरोध करना चाहिए, ऐसा प्रतिपादन वसई (मेधे) में ‘श्री परशुराम तपोवन आश्रम’के संस्थापक भार्गवश्री बी.पी. सचिनवाला ने किया । राष्ट्र-धर्म की रक्षा के लिए हिन्दुओं का संगठन एवं हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से मुलुंड में दो दिवसीय प्रांतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का आयोजन किया गया था । १ अप्रैल को अधिवेशन का प्रारंभ हुआ । वे अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे ।
इस अवसर पर ‘श्री विठ्ठल-रुक्मिणी पायी कोकण दिंडी’ (श्री विठ्ठल-रुक्मिणी पदयात्रा कोकण दिंडी) के अध्यक्ष ह.भ.प. गणेश महाराज, हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट आदि मान्यवर वक्ताओं ने अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में मार्गदर्शन किया । अधिवेशन का प्रारंभ शंखनाद के पश्चात वक्ताओं के शुभहस्तों दीपप्रज्वलन से किया गया । तदुपरांत वेदमंत्रपठन हुआ । उपस्थित संत, मान्यवर एवं वक्ताओं का सम्मानित किया गया ।
हिन्दूविरोधी शक्तियों के विरोध में संगठितभाव से लढें ! – सुनील घनवट
रामनवमी पर देश के अनेक राज्यों में हिन्दुओं की शोभायात्राओं पर धर्मांधों द्वारा पथराव किया जाता है । आज हिन्दुओं को अपने ही देश में अपने ही त्योहार-उत्सव मनाने में बाधा निर्माण हो गई है । भारत में हिन्दू अल्पसंख्यक हो गए हैं । मुंबई सहित महाराष्ट्र में अनेक स्थानों पर ‘मिनी पाकिस्तान’ बन गए हैं । ‘औरंगाबाद’का ‘छत्रपति संभाजीनगर’ ऐसा नामकरण धर्मप्रेमी हिन्दुत्वनिष्ठों के आंदोलन के कारण हुआ ।
मस्जिदोें के भोंपुओं के विरोध में मुहिम चलाई गई । भारत में निधर्मीवादी, जिहादी, साम्यवादी, नास्तिकतावादी एवं मिशनरी शक्तियों के हिन्दूविरोधी संयुक्त तत्वावधान कार्यरत है । इसके माध्यम से हिन्दुओं पर होनेवाले आघातों का प्रत्युत्तर देने के लिए हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को संगठितरूप से लडना होगा ।
सर्व संगठनों एवं संप्रदायों को संगठितरूप से कार्य करना होगा ! – ह.भ.प. गणेश महाराज
धर्मरक्षा के लिए अवतार जन्म लेते ही हैं । वे मानवजाति को प्रेरणा देते हैं । भगवान श्रीकृष्ण एवं श्रीराम ने अपने अवतार काल में समाज के विविध घटकों को एकत्र किया और वे तत्कालीन दुष्ट प्रवृत्तियों के विरोध में लडे । इससे रामायण, महाभारत काल में हुए संगठनों की आवश्यकता ध्यान में आती है । अब तो कलियुग है । गत कुछ वर्षों में हिन्दू धर्म एवं हिन्दुओं के विरोध में विविध प्रकार के आक्रमण शुरू हैं । इन आक्रमणों में दिनोंदिन वृद्धि ही हो रही है । उसका सामना करने के लिए सभी संगठन एवं संप्रदायों को संगठितरूप से कार्य करना होगा ।
‘प्राचीन भारतीय मंदिर संस्कृति’की रक्षा होने के लिए सभी मंदिरों का प्रभावी संगठन हो, मंदिरों की विविध समस्याओं पर उपाययाेजना करना, इस उद्देश्य से अधिवेशन के पहले दिन ‘मंदिरों का सुप्रबंधन’ इइ विषय पर परिसंवाद (चर्चा सत्र) हुआ ।
उपस्थित संत, मान्यवर एवं संगठनअधिवेशन में सनातन संस्था की सद्गुरु अनुराधा वाडेकर एवं पू. (श्रीमती) संगीता जाधव की वंदनीय उपस्थिति थी । ‘केरलीय परिपालन समिति’के आचार्य श्री. पी.पी.एन्. नायर, सुप्रसिद्ध लेखक एवं व्याख्याता श्री. दुर्गेश परुळकर, अखिल भारतीय वीरशैव लिंगायत महासंघ के कार्याध्यक्ष डॉ. विजय जंगम आदि मान्यवरों सहित इस्कॉन, वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक, हिन्दू महासभा, श्री शिवकार्य प्रतिष्ठान, रायगढ संवर्धन प्रतिष्ठान, अखिल भारतीय मराठा महासंघ, हिन्दू टास्क फोर्स, गढ-किले संवर्धन समिति, अहिंसा संघ, नेपाली विश्वकर्मा समाज, श्री परशुराम तपोवन आश्रम, अखिल भारतीय मराठा महासंघ गढ किले समिति, सत्यध्यान विद्यापीठ, सहारा ग्रुप, पार्कसाईट गणेश पंचायतन मंदिर, सिर्वी विकास मंडल, शिवजात मंडल, वारकरी संपद्राय, योग वेदांत समिति, हिन्दू भाषिक जनता परिषद, शिवज्योत संगठन, श्वेतांबर जैन समाज, कोकण प्रांत दिंडी, सनातन संस्था आदि हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन एवं संप्रदाय के सैकडों प्रतिनिधि, अधिवक्ता, डॉक्टर, मंदिर विश्वस्त, विचारक, पत्रकार अधिवेशन में सम्मिलित हुए थे । |