‘जिहादियों के आतंक के साए में हिन्दुओं के त्योहार कब तक ?’ इस विषय पर विशेष संवाद !
आज मुसलमान रास्ते पर नमाज पढ सकते हैं; परंतु श्रीरामनवमी एवं हनुमान जयंती पर हिन्दू सामान्य शोभायात्रा निकालते हैं, तो उसमें विघ्न-बाधाएं उत्पन्न की जाती हैं । देश में हिन्दुओं के उत्सवों के समय किए जानेवाले दंगे एवं अन्य हिंसक घटनाओं को देखते हुए उन्हें रोकने के लिए हिन्दू बंधुओं को अब संगठित होने की अत्यधिक आवश्यकता है, ऐसा प्रतिपादन तेलंगाना के प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ विधायक श्री. टी. राजासिंह ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘जिहादियों के आतंक के साए में हिन्दुओं के त्योहार कब तक ?’ इस विषय पर आयोजित ऑनलाईन विशेष संवाद में वे बोल रहे थे ।
इस अवसर पर ‘विश्व हिन्दू परिषद’के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. विनोद बंसल बोले, श्रीरामनवमी एवं हनुमान जयंती के त्योहारों के समय हिन्दुओं की शोभायात्राओं पर पहले भी आक्रमण होते थे और अब भी वे शुरू ही हैं; परंतु अब हिन्दू प्रतिकार करने लगे हैं । बंगाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ, दिल्ली आदि राज्यों में षड्यंत्रपूर्वक पुलिस-प्रशासन द्वारा हिन्दुओं को शोभायात्राएं निकालने से रोका जा रहा है । इन शोभायात्राओं में धर्मांधों के अत्याचार के लक्ष्य बने हिन्दुओं को ही दोषी बताकर, उन्हें बंदी बनाया जा रहा है और वास्तविक दोषी खुले आम घूम रहे हैं । इसमें धर्मांधों का समर्थन करनेवाले संगठन, राजकीय नेता और सोशल मीडिया पर कार्यरत तथाकथित ‘फैक्ट चेकर’ के एकदूसरे से आपसी संबंध हैं । इन सभी की यंत्रणा को उखाड फेंकने की आवश्यकता है ।
सनातन संस्था’के धर्मप्रचारक श्री. अभय वर्तक बोले, इस वर्ष भी हिन्दू त्योहारों के समय दंगे करवाए गए । इसमें महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में हुए दंगे में ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पी.एफ्.आइ.) का सहभाग था । आज मुसलमानों की लोकसंख्या देश में 25 करोड होते हुए भी उन्हें अल्पसंख्यक कहकर संबोधित करना, हिन्दुओं की आंखों में धूल झोंकने समान है । आज देश में होनेवाली विविध घटनाओं से भारत को ‘इस्लामिक राष्ट्र’ बनाने के प्रयत्न शुरू हैं । हमारा देश दूसरे विभाजन की ओर अग्रसर है, यह वास्तविकता आखों के सामने दिखाई दे रही है । हिन्दुओं के संगठित न होने से वे विनाश की ओर जाएंगे । इसे टालने हेतु हिन्दू अपने समक्ष जो आवाहन है उसे पहचानें और जात-पात, संगठन, पद आदि सर्व एक ओर रख, अब हिन्दू राष्ट्र के लिए संगठित हों ।
इस अवसर पर पश्चिम बंगाल के ‘आत्मदीप’ नामक संगठन के अध्यक्ष अधिवक्ता प्रसून मैत्र बोले, ‘यहां के राजकीय पक्ष की मानसिकता ऐसी है कि पश्चिम बंगाल में मुसलमान समाज कुछ भी करे, तब भी कानूनी दृष्टि से उसे योग्य ठहरा कर, उसका समर्थन किया जाता है । आज हिन्दुओं को दुर्बल समझकर कानून की धाक दिखाई जाती है । भगवान श्रीकृष्ण के शांति का प्रस्ताव कौरवों के ठुकरा देने पर अंत में पांडवों को युद्ध करना ही पडा । हिन्दुओं को भी अब केवल वार्तालाप की भूमिका में न रहते हुए काल की आवश्यकता पहचानकर प्रतिकार करना सीखना चाहिए ।