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मदरसे में धार्मिक शिक्षा दी जाती है तो, ‍विद्यालयों में हिंदू धर्म की क्‍यों नहीं – शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती

कहा – ‘शिक्षा नीति में बदलाव होना चाहिए’

रायपुर – शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शिक्षा नीति को लेकर कहा, शिक्षा नीति में बदलाव होना चाहिए। उन्‍होंने कहा, मदरसे में जब धार्मिक शिक्षा दी जा सकती है तो, ‍विद्यालयों में हिंदू धर्म की शिक्षा क्यों नहीं दी सकती। हमारी सनातन संस्कृति का जो इतिहास है, उसी तरह ‍विद्यालयों में शिक्षा दी जानी चाहिए। कान्वेंट ‍विद्यालय, मदरसा में धार्मिक शिक्षा दी जा रही है तो हिंदुओं के ‍विद्यालय में सनातन शिक्षा क्यों नहीं दे सकते।

ईसाई मिशनरी वाले ‍विद्यालयों में प्रार्थना हो सकती है। हिंदू खतरे में है। कहा जाता है हिंदू खतरे में तब होगा जब वो अपने धर्म से दूर जाएगा। ‍विद्यालयों में बताया ही नहीं जाता कि आचमन कैसे होगा आरती कैसे होगी, संविधान में कहा गया है कि, बहुसंख्यक समाज अपनी धार्मिक शिक्षा ‍विद्यालयाें में नहीं दे सकते तो पहले तो इसे बदलना होगा।

हमें राम राज्य जैसा राष्ट्र चाहिए

हमें राम राज्य जैसा राष्ट्र चाहिए जहां हर आदमी सुखी रहे। केवल हिंदू राष्ट्र की बात कहने से कुछ नहीं होगा। पहले हिंदू राष्ट्र का प्रारूप तैयार होना चाहिए। कंस, और रावण के शासनकाल में भी जनता दुखी थी, केवल राम राज्य ही सर्वोत्तम था। ये बातें स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने कही।

17 दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने कहा कि, हमारी मांग हिंदू राष्ट्र की मांग नहीं है, बिना प्रारूप के उस पर कुछ कहना संभव नहीं है, हमें राम राज्य बनाने की दिशा में कार्य करना चाहिए।

स्रोत : नईदुनिया

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