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अमेरिका के मैरीलैंड राज्य में 80 वर्षों में 150 पादरियों ने 600 बच्चों का यौन शोषण किया !

अनापोलिस (मैरीलैंड) अमेरिका – अमेरिका के बाल्‍टीमोर के कैथोलिक चर्च पर गंभीर आरोप लगे हैं। यहां के पादरियों, चर्च के अधिकारियों ने 1940 के दशक से बच्‍चों का यौन शोषण किया और कुछ बच्‍चों का कई दुराचारियों ने लंबे समय तक शोषण किया। बुधवार को जारी हुई मैरीलैंड के अटॉर्नी जनरल एंथनी ब्राउन ने 463 पन्‍नों की रिपोर्ट को जारी करते हुए इस यौन शोषण का जिक्र किया है। इसमें कई पादरियों के नाम और उनकी करतूत शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि चर्च ने बार-बार बाल यौन शोषण के आरोपों को खारिज किया था और इसके आरोपियों को कोई सजा नहीं दी थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि शोषण करने वाले की पहचान होने पर उसे उस बच्‍चे से दूर कर दिया जाता था। यह वादा होता था कि वह बच्‍चे से दूर रहेगा। महाधर्मप्रांत यानी आर्कडायसिस ने किसी भी पादरी पर कठोर कार्रवाई नहीं की। जांच में यह पाया गया कि करीब 80 सालों के दौरान 156 लोगों ने 600 से अधिक बच्‍चों का यौन शोषण किया। हालांकि यह संख्‍या बहुत अधिक होने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1964 से 2004 तक 11 बाल अपचारी थे और इनके कारण कैटन्सविले में सेंट मार्क पैरिश दुराचारियों का अड्डा बन गया था। यौन शोषण व्‍यापक था और यहां बच्‍चों को निशाना बनाना असामान्‍य नहीं था।

‘गॉड की मर्जी’ कहकर करते थे शोषण, मजबूर बच्‍चों को पहले बनाते थे निशाना

शोषण करने वाले पादरियों के बारे में बच्‍चों और प्रत्‍यक्षदर्शियों ने बताया कि दुराचारियों को न तो कोई शर्म थी और न ही डर। वे इसे गॉड की मर्जी कहते थे और मजबूर बच्‍चों को पहले निशाना बनाते थे। हजारों दस्तावेजों और सैकड़ों जीवित बचे लोगों की अनकही कहानियों के आधार पर, यह इस राज्य के इतिहास में पहली बार 80 से अधिक वर्षों के दुर्व्यवहार और कवर-अप का सार्वजनिक लेखा प्रदान करता है।

बच्‍चों को बचाने की चिंता नहीं थी, केवल स्‍कैंडल से बचना चाहते थे

चर्च को लेकर अटॉर्नी जनरल की रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे बड़ी चिंता थी कि चर्च को किसी तरह से स्‍कैंडल से बचाया जाए। चर्च ने बच्‍चों को बचाने की बजाए केवल अपनी चिंता की और शोषण की घटनाओं को छिपाकर रखा। एंथनी ब्राउन ने कहा कि राज्‍य के इतिहास में पहली बार 60 सालों से अधिक के इस यौन शोषण, दुर्व्‍यवहार और कवर- अप की सार्वजनिक रिपोर्ट तैयार हुई है। संस्‍था को बच्‍चों की चिंता नहीं थी और न ही उसे बच्‍चों से कोई लगाव था। ये बच्‍चे मजबूर, लाचार, अनाथ या गरीब थे, जिन्‍हें किसी कारणवश चर्च में रखा गया था।

स्रोत : न्यूज 18

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