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करवीर माहात्म्य ग्रंथानुसार तालाबमें १३वीं सदीका शिवलिंग तथा मंदिरका द्वार मिला !

ज्येष्ठ कृष्ण ७, कलियुग वर्ष ५११५ 

हिंदुओंके धर्मग्रंथोंका महत्त्व कितना है, क्या बुद्धिवादी इसे अभी भी समझ पाएंगे ? 


कोल्हापुर : 'करवीर माहात्म्य' ग्रंथके निर्देशानुसार यहांके अतिग्रे (तहसील हातकणंगले) गांवके साहू तालाबमें (ग्रंथानुसार नाम औदुंबर तीर्थ ) खुदाई करते समय शिवलिंग तथा मंदिरका द्वार मिला है । पुरातत्त्व अध्येताओंके अनुसार यह मंदिर तेरहवीं सदीके शेषनारायण मंदिर होनेका अनुमान है । अतिग्रे स्थित ६५ एकड क्षेत्रका यह तालाब सूखनेसे एक माह पूर्व कीचड हटानेका कार्य चल रहा था । आरंभमें मंदिरका कुछ हिस्सा दिखाई दिया, उसे पूरा खोदनेपर पानीका कुंड दिखाई दिया । बादकी खुदाईमें शिवलिंग तथा मंदिरका द्वार दिखाई दिया । १८८३ में श्री अक्कलकोट स्वामीके शिष्य परमहंस श्री ब्रह्मानंदजीने करवीर क्षेत्रकी यात्रा की । उनके द्वारा किए वर्णनमें अतिग्रे, तळसंदे, बहिरेश्वर तथा कुर्डू इन चार तालाबोंका निर्देश है । इनमें अतिग्रेको छोडकर अन्य तीन तालाब स्थित मंदिर आज भी खुले हैं । अब यह मंदिर भी खुला हुआ है 

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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