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दंगे के लिए ममता बनर्जी सरकार उत्तरदायी – मानवाधिकार आयोग की सत्यशोधन समिति का ब्योरा

बंगाल में श्रीरामनवमी के अवसर पर कट्टर मुसलमानों द्वारा दंगा करने का प्रकरण !

मुख्यमंत्री बॅनर्जी (बाएं)

कोलकाता (बंगाल) – श्रीरामनवमी की शोभायात्रा के अवसर पर हावडा तथा हुगली में कट्टर मुसलमानों द्वारा किए दंगों के लिए मानवाधिकार आयोग की तथ्यान्वेषी (सत्यशोधन) समिति ने ममता बनर्जी सरकार को उत्तरदायी बताया है । पटना उच्च न्यायालय के भूतपूर्व न्यायमूर्ति नरसिम्हा रेड्डी के नेतृत्व में ६ सदस्यीय समिति ने अपने ब्योरे में यह बात रखी है । इसमें ऐसा भी कहा है, ‘यह दंगा पूर्व नियोजित था साथही उसे सुनियोजित रूप से भडकाया गया । इस समय पुलिसकर्मियों की तटस्थता संदेहजनक थी’ । विशेषकर इससे पूर्व कोलकाता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति टी.एस. शिगणनम्  ने भी इस दंगे को पूर्व नियोजित बताया था । उन्होंने इस ओर भी उनका ध्यान आकर्षित किया था कि, ‘यदि छत से पथराव हुआ है, तो निश्‍चित ही ये पत्थर १० से १५ मिनट में छत पर नहीं लाए जा सकते ।’

सत्यशोधन समिति के ब्योरे के कुछ सूत्र

१. बंगाल की हिंसा के लिए राज्य की मुख्य मंत्री ममता बनर्जी का श्रीरामनवमी के एक दिन पूर्व दिया भडकाउ भाषण ही कारण था । ममता बनर्जी ने अपने भाषण में ऐसी चेतावनी दी थी, ‘यदि श्रीरामनवमी की शोभायात्रा को मुसलमान क्षेत्रों से ले जाई गई, तो कार्यवाही की जाएगी’,। इसीलिए जब शोभायात्रा मुसलमान बहुसंख्यक भाग से निकली, तब उस पर आक्रमण किया गया । इस समय पुलिसकर्मी अनुपस्थित थे ।

२. इस हिंसा के उपरांत रामभक्तों को अपराधी सिद्‌ध करने हेतु ममता बनर्जी ने आरोप लगाया ‘भक्तों ने अंतिम क्षणों में मार्ग में परिवर्तन किया ।’ यद्यपि तथ्यान्वेषी समिति ने उनका यह आरोप अस्वीकार कर दिया है । समिति ने स्पष्ट किया कि हिन्दुओं ने पूर्व में ही पुलिस को मार्ग बता दिया था तथा पुलिस ने भी इसे अनुमति दी थी  ।

३. गत वर्ष हुए आक्रमण की पृष्ठभूमि पर इस वर्ष भी शोभायात्रा पर आक्रमण होने के भय से हिन्दुओं ने अतिरिक्त सुरक्षा की मांग की थी; परंतु पुलिस ने अतिरिक्त सुरक्षापूर्ति नहीं की । इसीलिए शोभायात्रा पर आक्रमण हुआ । इससे ध्यान में आता है कि पुलिस जानबूझकर दंगाईयों पर कार्यवाही नहीं करती ।

४. श्रीरामनवमी के उपरांत ममता बनर्जी बिना किसी जांच के ही दंगे के लिए हिन्दुओं को दोष देने लगीं । उन्होंने कहा ‘रमजान के माह में मुसलमान अनुचित कृत्य नहीं करेंगे’ । इससे दंगाई मुसलमानों को प्रोत्साहन मिला तथा आगामी कुछ दिन हिंसा चलती ही रही । ममता बनर्जी अपने द्वेषपूर्ण वक्तव्य द्वारा लोगों को भडका रही थीं । इसीलिए दंगे नहीं  रूके।

५. केंद्रीय सुरक्षा दल की सुरक्षा होते हुए भी भाजपा के विधायक घोष घायल हो गए थे । इससे राज्य की पुलिस का उद्देश्य स्पष्ट होता है । राज्य सरकार तथा राज्य पुलिस के पक्षपात के कारण पीडित हिन्दू पुलिस के पास सहायता मांगने तथा भय के कारण परिवाद करने नहीं गए । पुलिस सहायता करने के स्थान पर झूठे प्रकरण में फंसाने की धमकी दे रही थी । बंगाल के लोगों को राज्य के सरकारी गुंडों के भय में रहना अनिवार्य हो गया है ।

६. राज्य के पुलिस अधिकारी सरकार को प्रसन्न करने में व्यस्त रहते हैं । चंदननगर पुलिस आयुक्त अमित जवालगी तथा हावडा के पुलिस आयुक्त प्रवीण त्रिपाठी द्वारा सत्यशोधन समिति को दंगा पीडित भागों का दौरा करने की अनुमति नहीं दी गई । तब भी समिति पीडितों से भेंट करने जाने पर पुलिस ने समिति के सदस्यों को रोका । एक चिकित्सालय में गंभीर रूप से घायल हुए एक भी हिन्दू का परिवाद पुलिस ने प्रविष्ट नहीं किया । दंगे के समय पीडित हिन्दुओं द्वारा पुलिस को दूरभाष करने पर पुलिस ने नहीं उठाया । पुलिस थाने से सटे भाग में कट्टर मुसलमान हिंसा कर रहे थे ।

तथ्यान्वेषी समिति के ब्योरे का निष्कर्ष

१. दंगाईयों को राज्य सरकार का समर्थन

२. पुलिस को शोभायात्रा का मार्ग ज्ञाात था । इससे पूर्व भी दंगे हुए हैं, यह ज्ञात होते हुए भी पुलिस ने इस वर्ष की शोभायात्रा की सुरक्षापूर्ति नहीं की ।

३. राज्य पुलिस राजनीतिक लाभ से प्रेरित थे ।

समिति द्वारा की गई मांगें

१. दंगाईयों पर अपराध प्रविष्ट कार्रवाई करें ।

२. दंगे की निष्पक्ष जांच हो, इसके लिए अन्वेषण का दायित्व राष्ट्रीय अन्वेषण तंत्र को सौंपें ।

३. भय में रहनेवाले पीडितों को सुरक्षा दें ।

४. निर्दोष पीडितों के विरुद्ध प्रविष्ट झूठे अपराध वापस लें ।

५. पुलिस पर लोगों का विश्‍वास अल्प होने से दंगापीडित भागों में केंद्रीय सुरक्षा दल नियुक्त करें ।

स्रोत : हिंदी सनातन प्रभात

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