कहा – अपनी संस्कृति छोड़ने वालों को बाहर किया जाए
छत्तीसगढ में धर्मांतरण का शिकार हो रहे जनजातीय समाज के लोगों को बचाने के लिए ‘जनजाति सुरक्षा मंच’ रविवार (16 अप्रैल, 2023) को रायपुर में बड़ा आंदोलन करने जा रहा है। इस आंदोलन के तहत ‘जनजाति सुरक्षा मंच’ धर्मांतरण करने वाले जनजातियों को आरक्षण न देने की माँग करेगा।
दरअसल, धर्मांतरण के लिए जनजातीय वर्ग ईसाई मिशनरियों और इस्लामिक मौलवियों के निशाने पर रहा है। खासतौर से छत्तीसगढ़ के कई जनजातीय बाहुल्य इलाके अब धर्मांतरण का शिकार हो चुके हैं। लेकिन धर्मांतरण इस्लाम या ईसाइयत अपनाने के बाद भी लोग खुद को जनजातीय बताते हुए आरक्षण समेत अन्य लाभ प्राप्त करते रहे हैं। इसको लेकर ही अब जनजातीय सुरक्षा मंच आंदोलन कर रहा है।
‘जनजातीय सुरक्षा मंच’ का दावा है कि रविवार (16 अप्रैल, 2023) को राजधानी रायपुर में होने वाली इस महारैली में हजारों जनजातीय शामिल होंगे। इस महारैली के माध्यम से जनजातीय वर्ग धर्मांतरित हो चुके जनजातियों को डी-लिस्ट करने की माँग करेगा। इसका अर्थ यह है कि जिन लोगों ने अपने धर्म और संस्कृति को छोड़कर दूसरे धर्म को अपना लिया है, उन्हें जनजातीय श्रेणी से बाहर किया जाए। यही नहीं, जनजातीय सुरक्षा मंच इसके लिए संविधान संशोधन की भी माँग कर रहा है।
इस आंदोलन को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा मंच से जुड़े गणेश राम भगत का कहना है कि छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में धर्मांतरण हुआ है। धर्मांतरण करने के बाद भी लोग अवैध रूप से जनजातियों के हिस्से की सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। इसमें आरक्षण जैसी सुविधा भी शामिल है। जनजातीय वर्ग चाहता है कि छत्तीसगढ़ के साथ-साथ देश के करोड़ों जनजातियों के साथ हो रहे इस अन्याय को रोका जाए और धर्मांतरण करने वालों को डी-लिस्ट किया जाए।
जनजाति सुरक्षा मंच का तर्क है कि जनजातियों को आरक्षण उनके सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए दिया गया था लेकिन जब कोई धर्मांतरण कर लेता है तो वह जनजातियों की संस्कृति को छोड़ देता है और जनजातीय नहीं रह जाता। ऐसे में धर्मांतरित लोगों को आरक्षण देने का कोई मतलब नहीं है।
स्रोत : ऑप इंडिया