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उत्तराखंड में विधर्मियों की गतिविधियों पर रोक लगाने की संतों ने की सरकार से मांग

ऋषिकेश – तपस्थली ब्रह्मपुरी आश्रम में जुटे संतों ने गंगा की अविरलता, को बनाए रखने के साथ राज्य में बढ रहे सरकारी भूमि पर कब्जों, विधर्मियों के भूमि जिहाद, लव जिहाद समेत कई मुद्दों पर मंथन कर धामी सरकार के निर्णय का समर्थन किया। उन्होंने इस प्रकार की गतिविधियों को संचालित करने वाले लोगों के विरुद्ध भी आवश्यक कदम उठाए जाने का भी प्रस्ताव पारित किया।

मंगलवार को महामंडलेश्वर दयाराम दास महाराज की अध्यक्षता में भाजपा के पूर्व थिंक टैंक रहे आचार्य गोविंदाचार्य ने गंगा की अविरल धारा और स्वच्छता बनाए रखने के लिए जन जागरण किए जाने का आह्वान करते हुए कहा कि गंगा हमारी जीवन रेखा है, जिसे बचाए जाने के लिए सभी को प्रयास करने होंगे। उन्होंने गंगा किनारे के शहरों में बिकने वाले मांस मदिरा को भी पूरी तरह प्रतिबंधित कर तीर्थों की गरिमा को बनाए रखने के लिए राज्य सरकार से भी आह्वान किया।

महामंडलेश्वर ईश्वर दास महाराज ने भी गोविंदाचार्य की बात का समर्थन करते हुए कहा कि, इस अभियान में सरकार के किए जा रहे ये प्रयास तब तक सफल नहीं होंगे, जब तक कि लोगों की इस कार्य में सहभागिता नहीं होगी। उन्होंने कहा कि गोविंदाचार्य ने 2020 में इसी जगह से गंगा की अविरलता को बचाए रखने के लिए एक यात्रा शुरू की थी।

महामंडलेश्वर दयाराम दास महाराज ने बताया कि मंथन बैठक में कई बिंदुओं पर संत समाज ने चर्चा की। इसमें प्रमुख रूप से विषय था कि निर्मल गंगा अविरल गंगा में जो गंदगी फैलाकर नदी को गंदा कर रहे हैं, उसको कैसे रोकें। साथ ही देवभूमि हरिद्वार से लेकर देवप्रयाग तक कुम्भ क्षेत्र में मांस मदिरा की बिक्री को पूरी तरह से बंद किया जाये। उत्तराखंड में सभी जगहों पर बहुत अतिक्रमण हो रहा है। विधर्मी और दूसरे धर्म के लोग यहां आ रहे हैं, जो जंगलों में ठिकाना बना कर वनों को काटने के अतिरिक्त यहां लव जिहाद कर भोली भाली लड़कियों को ले जाकर उनका शोषण करने में लगे हैं। उनके विरुद्ध धामी सरकार से और सख्त कदम उठाए जाने की मांग की। कार्यक्रम का संचालन तुलसी मानस मंदिर के महंत रवि प्रपन्नाचार्य महाराज ने किया।

बैठक में पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर गंगा नदी में किए जा रहे राफ्टिंग के दौरान अश्लीलता और उनके चीखने चिल्लाने के कारण गंगा किनारे तपस्या कर रहे संतों की तपस्या भंग होने पर चिंता व्यक्त की गई। बैठक में कहा गया कि इस प्रकार की गतिविधियों से संत परेशान हैं। उनकी पूजा पाठ और धार्मिक गतिविधियां भंग हो रही है। संतों ने कहा कि हम राफ्टिंग का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन इसके लिए भी कानून बनाए जाने चाहिए।

बैठक में महामंडलेश्वर रामेश्वर दास, महामंडलेश्वर दया राम दास, महामंडलेश्वर ईश्वर दास, महंत स्वामी विजय स्वरूप, साक्षी धाम बृंदावन, स्वामी आलोक हरी, भगवान् भवन ऋषिकेश, महंतराम दास त्यागी, तपोवन, महंत चक्रपाणि दास, सुदर्शनाचार्य, ब्रह्मपुरी, आचार्य सुशील कुमार नौटियाल, सुरकण्डा डोली उपासक अजय विजल्वाण जी सचिन डबराल,मदनमोहन दास, श्याम दास, सहित अन्य संत भी उपस्थित थे।

स्रोत: उदयपूर किरण

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