जम्मू – जम्मू-कश्मीर प्रदेश सरकार चाहे तो कश्मीरी हिंदुओं को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा दे सकती है। यह तय करना प्रदेश और केंद्र सरकार का काम है। केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग को इस पर कोई आपत्ति नहीं है। संसद ही इस विषय में कानून बना सकती है या फिर सर्वोच्च न्यायालय कोई निर्णय ले सकता है। प्रदेश सरकार को अल्पसंख्यक आयोग बनाना चाहिए, इस विषय में हम भी प्रयास करेंगे। यह राय सोमवार को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर आईं राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सदस्य सैयद शहजादी ने यहां एक बातचीत में व्यक्त की।
जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यकों के विकास के लिए जारी योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर शहजादी ने कहा कि प्रदेश का समाज कल्याण विभाग ही इनके कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है। प्रधानमंत्री जन विकास योजना के तहत कौशल विकास, छात्रवृत्ति, रोजगार, स्वरोजगार, शिक्षा, मदरसों का आधुनिकीकरण समेत 15 बिंदुओं पर केंद्रित योजनाएं अल्पसंख्यकों के लिए हैं। जम्मू में समाज कल्याण विभाग ने इन पर एक भी प्रस्ताव संबंधित मंत्रालय को नहीं भेजा है।
उन्होंने हमें बताया कि संबंधित पोर्टल पर तकनीकी दिक्कतों के कारण ही वे इसमें असमर्थ रहे हैं। जल्द ही वह अपना प्रस्ताव भेजेंगे। हम केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस विषय में कार्रवाई के लिए कहेंगे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर अल्पसंख्यक कल्याण की योजनाओं पर जागरूकता अभियान चलाए जाने पर जोर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने पक्ष रखने को कहा है
बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने अल्पसंख्यकों के मामले में दायर एक याचिका पर पिछले सप्ताह ही गैर मुस्लिम आबादी में शामिल विभिन्न वर्गों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने के विषय में जम्मू-कश्मीर समेत कई राज्यों को अपना पक्ष रखने के लिए डेढ़ माह का समय दिया है। जम्मू-कश्मीर के समाज कल्याण विभाग ने अभी इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है।
जम्मू-कश्मीर में ये है स्थिति
- 30 प्रतिशत से भी कम है जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं की आबादी
- वादी में कश्मीरी हिंदुओं की संख्या साढ़े तीन हजार के आसपास
- बहुसंख्यक होने के बावजूद मुस्लिम समुदाय ही ले रहा लाभ
- प्रदेश में हिंदू कई वर्षों से अल्पसंख्यक दर्जे की कर रहे हैं मांग
- पूर्ववर्ती सरकारों ने मांग को पूरा करने को कोई कदम नहीं उठाया
स्रोत: जागरण