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मंदिरों पर आघातों के संदर्भ में संगठितरूप से लडने का सभी विश्वस्तों एवं प्रतिनिधियों का निर्धार !

‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’की पहली राज्यस्तरीय बैठक श्रीक्षेत्र भीमाशंकर में संपन्न !

जलगांव में 4 एवं 5 फरवरी 2023 को संपन्न ‘महाराष्ट्र मंदिर न्यास परिषद’में ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’की स्थापना की गई थी । इस ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’की पहली राज्यस्तरीय बैठक पुणे के प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग श्रीक्षेत्र भीमाशंकर देवस्थान में संपन्न हुई । इस बैठक में राज्य के 50 से भी अधिक मंदिरों के विश्वस्त एवं मंदिरों के संदर्भ में कार्य करनेवाले प्रतिनिधि उपस्थित थे । इस अवसर पर सभी की सहमति से राज्य सरकार मांग की गई कि मंदिरों से संबंधित कोई भी निर्णय लेने से पूर्व ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’से चर्चा की जाए ।

श्रीक्षेत्र भीमाशंकर देवस्थान ने इस बैठक की सर्व व्यवस्था की थी । इस बैठक का प्रारंभ दीपप्रज्ज्वजन, शंखनाद एवं वेदमंत्रों के उद्घोष से किया गया । ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’के समन्वयक तथा ‘हिन्दू जनजागृति समिति’के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य समन्वयक श्री. सुनील घनवट ने बैठक के आरंभ में ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’की ओर से गत ३ महिनों में हुए उपक्रम, आंदोलन एवं उनमें मिली सफलता के विषय में सभी को जानकारी दी । इसके साथ ही राज्य के मंदिर विश्वस्तों ने भी 3 माह में किए हुए कार्य का ब्योरा प्रस्तुत किया ।

इस अवसर पर बैठक में ‘पुणे के श्री क्षेत्र भीमाशंकर ही अनादि काल से धर्मशास्त्रों में वर्णित ज्योतिर्लिंग है । इसलिए उस विषय में वाद निर्माण करना योग्य नहीं’, ऐसी भूमिका श्रीक्षेत्र भीमाशंकर देवस्थान के अध्यक्ष अधिवक्ता सुरेश कौदरे ने प्रस्तुत की । ‘मंदिरों के विकास से लिए विद्यमान कानूनों में परिवर्तन करने की आवश्यकता है । इसके साथ ही प्रत्येक मंदिर के विश्वस्त, पुजारी एवं स्थानीय प्रतिनिधि में भी समन्वय आवश्यक है’, ऐसा मत विदर्भ देवस्थान समिति के अध्यक्ष श्री. अनूप जयस्वाल ने व्यक्त किया । ‘अनेक स्थानों पर देवस्थान की मालकी की भूमि की मनमानी बिक्री की जा रही है । इस संदर्भ में आवाज उठाकर मंदिर एवं उनकी परंपराओं को संजोने के लिए लडना, यह कालानुसार धर्माचरण ही है’, ऐसा नगर के श्री भवानीमाता मंदिर के अधिवक्ता अभिषेक भगत ने कहा । ‘सरकारीकरण हुए देवस्थानों में भारी मात्रा में हो रही भक्तों की लूट रोकने के लिए शीघ्र कदम उठाना आवश्यक है’, ऐसा मत श्री तुळजाभवानी पुजारी मंडल के भूतपूर्व अध्यक्ष श्री. किशोर गंगणे ने इस अवसर पर व्यक्त किया । सरकारीकरण हुए मंदिर पुन: भक्तों को दिलवाने के लिए विरोध करना आवश्यक है, ऐसा मत हिन्दू विधिज्ञ परिषद के संस्थापक सदस्य अधिवक्ता (पू.) सुरेश कुलकर्णी ने इस बैठक में प्रस्तुत किया ।

सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस ने कहा, ‘‘कोल्हापुर में श्री महालक्ष्मी मंदिर की देवी की मूर्ति के संदर्भ में शृंगेरी पीठ के शंकराचार्य के मार्गदर्शनानुसार योग्य निर्णय लिया जाना चाहिए ।’’ महाराष्ट्र समान कर्नाटक, गोवा, दिल्ली, तमिलनाडु राज्यों में भी यह ‘मंदिर महासंघ’ स्थापन करेंगे, ऐसा हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने इस अवसर पर कहा । नागपुर में ‘श्री संकटमोचन पंचमुखी हनुमान मंदिर’के श्री. रामनारायण मिश्रा, पंढरपुर के रुक्मिणी माता के वंशपरंपरागत पुजारी श्री. वीरेंद्रसिंह उत्पात, ‘पंढरपुर देवस्थान भ्रष्टाचार विरोधी कृति समिति’के सचिव श्री. गणेश लंके आदि मान्यवरों ने भी इस अवसर पर मार्गदर्शन किया । इस अवसर पर ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’के राज्यस्तरीय कार्यकारणी की दिशा समान महासंघ के अगले कार्य की दिशा भी निश्चित की गई । इसे उपस्थित सभी ने ‘हर हर महादेव’के जयघोष से अनुमोदन दिया ।

इस बैठक में ‘श्रीक्षेत्र भीमाशंकर संस्थान’के सहकार्यकारी विश्वस्त श्री. मधुकर गवांदे; ‘श्री लेण्याद्री गणपति देवस्थान ट्रस्ट’के अध्यक्ष श्री. जितेंद्र बिडवई; ‘जीएस्बी टेम्पल ट्रस्ट’के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री. ऋत्विक औरंगाबादकर; ‘श्री वरदविनायक मंदिर महाड’के विश्वस्त अधिवक्ता विवेक पेठे; ‘श्रीक्षेत्र त्र्यंबकेश्वर पुरोहित महासंघ’के अध्यक्ष श्री. मनोज थेटे; अमरावती के ‘श्री लक्ष्मीनारायण संस्थान’के विश्वस्त श्री. अशोक कुमारजी खंडेलवाल; हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे, सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस सहित विविध मंदिरों के प्रतिनिधि उपस्थित थे ।

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