विशेष संवाद : ‘इस्लामी विद्यालय : मदरसे अथवा आतंकवादी केंद्र ?’
कोंढवा के विद्यालय में आतंकवादी गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया जा रहा था, यह गंभीर विषय इतने वर्षों से पुलिस प्रशासन की समझ में क्यों नहीं आया ? ऐसा नहीं हो सकता । प्रशासन को इस परिसर के नागरिकों की गतिविधियों पर सूक्ष्मता से ध्यान रखना आवश्यक था । देहली की लेखिका एवं इतिहास विशेषज्ञ डॉ. रिंकू वढेरा ने स्पष्टता से यह मत व्यक्त किया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘इस्लामी शाळा : मदरसा कि आतंकवादी केंद्र ?’ इस विषय पर आयोजित ऑनलाइन ‘विशेष संवाद’ में वे बोल रही थीं ।
डॉ. वढेरा ने आगे कहा कि हिन्दुओं को जागरूक नागरिक बनकर कहीं पर भी अवैध अथवा अनुचित गतिविधियां होती हुई दिखाई दीं, तो उन्हें इसके विरुद्ध तुरंत आवाज उठानी चाहिए, साथ ही हिन्दुओं को अपने बच्चों को नियमित रूप से मंदिर ले जाना तथा बचपन से ही उन्हें राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा के संस्कार देना आवश्यक है । इससे एक जागरूक समाज का निर्माण होकर हिन्दू जनमानस पर राष्ट्र एवं धर्म की रक्षा के विचार अंकित होंगे ।
इस संवाद में सम्मिलित पुणे स्थित ‘अपेक्षा’ मासिक के संपादक श्री. दत्तात्रय उभे ने कहा कि पिछले 30 वर्षों में बढ़ी हुई मुसलमानों की जनसंख्या के कारण पुणे के कोंढवा क्षेत्र की ‘छोटा पाकिस्तान’ के नाम से पहचान हुई है । कोंढवा के ‘ब्लू बेल्स’ विद्यालय में युवकों को आतंकी गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, यह वास्तविकता राष्ट्रीय अन्वेषण विभाग ने उजागर की । यह बात इतने वर्षों से स्थानीय पुलिस प्रशासन की समझ में क्यों नहीं आई ? ऐसे विद्यालयों को अनुमति कैसे दी जाती है ? ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ संगठन पर प्रतिबंध लगाए जाने के उपरांत भी यदि ऐसी गतिविधियां चलाई जा रही हो, तो यह बहुत ही गंभीर है । जानकारी होते हुए भी राजनीतिक संरक्षण प्राप्त पुलिस अधिकारी ऐसी घटनाओं की जानबूझकर अनदेखी करते हैं । ज्ञान के केंद्र के रूप में परिचित पुणे शहर में आतंकवादी गतिविधियों का प्रशिक्षण दिया जाता हो, तो हिन्दुओं तथा शिक्षित नागरिकों को इसके विरुद्ध समय रहते ही आवाज उठानी आवश्यक है ।
पुणे ‘हिन्दवी स्वराज्य’ का गढ बनने के स्थान पर ‘आतंकवादी प्रशिक्षण केंद्र’ बन जाना चिंताजनक !
इस अवसर ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ के श्री. नागेश जोशी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने हिन्दवी स्वराज्य का विस्तार पुणे से किया था । स्वातंत्र्योत्तर काल के उपरांत पुणे शहर हिन्दवी स्वराज्य का गढ बनना अपेक्षित था; परंतु यह स्थान आज आतंकवादी गतिविधियां चलाने का प्रशिक्षण केंद्र बनता जा रहा है, जो बहुत ही चिंताजनक है । अतः प्रशासन को इस घटना की ओर गंभीरता से देखना आवश्यक है । आनेवाले समय में हिन्दुओं को संगठित होकर इन आक्रमणों का सामना करना पडेगा ।