हिंदू पक्ष ने कहा – ‘सर तन से जुदा’ कहने पर भी हो कार्यवाही’
हेट स्पीच को लेकर शुक्रवार (28 अप्रैल 2023) को उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। इस दौरान उच्च न्यायालय ने कहा कि, सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हेट स्पीच के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर प्राथमिकी दर्ज करें और कार्रवाई करें। न्यायालय ने कहा कि भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बनाए रखना जरूरी है।
उच्च न्यायालय ने धर्म की परवाह किए बिना गलती करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया। न्यायालय ने कहा, “सर्वोच्च न्यायालय यह स्पष्ट करता है कि संविधान की प्रस्तावना में जैसी कल्पना की गई है, वैसी भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को संरक्षित रखने के लिए तत्काल एक्शन लिया जाना चाहिए।”
Supreme Court directs all the States and Union Territories to ensure that as and when any hate speech is made, they shall take suo moto action for registration of FIR even without any complaints.
Supreme Court makes it clear that such action shall be taken irrespective of the… pic.twitter.com/yFOlG6QQnq
— ANI (@ANI) April 28, 2023
जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना वाली उच्च न्यायालय की पीठ ने इसकी सुनवाई की। सुनवाई के दौरान जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि हेट स्पीच देश के ताने-बाने को प्रभावित करने वाला एक गंभीर अपराध है। यह भारतीय गणतंत्र के दिल और लोगों की गरिमा को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।
बता दें कि हेट स्पीच पर स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करने का आदेश उच्च न्यायालय ने साल 2022 में सिर्फ उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली को दिया था। अब इस आदेश को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए बढ़ा दिया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 मई 2023 को होगी।
जस्टिस जोसेफ ने कहा, “किसी को भी कानून तोड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इंग्लैंड में उनके पास ‘शब्दों से लड़ने’ की अवधारणा है। क्या हम यह आदेश पारित कर सकते हैं कि यदि आप कार्रवाई नहीं करते हैं तो आपको अवमानना का सामना करना पड़ेगा? हम केवल जनता की भलाई को ध्यान में रखकर ऐसा कर रहे हैं।” पीठ ने कहा, “न्यायाधीश गैर-राजनीतिक हैं और उन्हें पार्टी A या पार्टी B से कोई मतलब नहीं है। हम सिर्फ भारत के संविधान और कानून को सोचते हैं।”
शीर्ष अदालत का यह आदेश पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला द्वारा दायर एक याचिका पर आया है। शुरू में उन्होंने हेट स्पीच के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को निर्देश देने की मांग की थी। तब सर्वोच्च अदालत ने यह आदेश दिया था। अब उन्होंने इस आदेश को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू करने के लिए एक आवेदन दायर किया था।
इसके पहले सुनवाई के दौरान पीठ ने राज्य सरकारों को नपुंसक तक करार दिया था। पीठ ने कहा था कि हर दिन कट्टर तत्त्व टेलीविजन और मंचों से नफरती भाषण दे रहे हैं। ऐसे बयान दिए जाते हैं कि पाकिस्तान चले जाओ। इज्जत सबको प्यारी होती है। पीठ ने कहा था कि इस पर राज्य सरकारों को कार्रवाई करनी चाहिए।
उधर, हेट स्पीच मामले में ही उच्च न्यायालय ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नामक एक मंच के आवेदन पर भी सुनवाई के लिए तैयार हो गई है। उनकी ओर से पेश वकील विष्णु शंकर जैन ने न्यायालय को बताया कि, उनकी अर्जी में हिंदुओं को धर्मांतरित करने के लिए मुस्लिम और ईसाई मिशनरियों द्वारा भारत भर में आंदोलन चलाया जा रहा है। इसके कारण हिंदुओं की जनसंख्या कम हो रही है।
वकील जैन ने न्यायालय में दलील दी कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें मुस्लिम भीड़ द्वारा ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगाए गए हैं। इतना ही नहीं, इसके बाद सिर कलम भी किए गए हैं। कई मौकों पर मुस्लिम भीड़ ने जुलूस निकाला और उसमें सिर कलम करने के नारे लगाए गए। अर्जी में इस तरह के हेट स्पीच पर सख्त कार्रवाई करने की गुजारिश की गई है।
याचिका में 2 फरवरी 2023 को वायरल हुए एक वीडियो का भी जिक्र किया गया है। इस वीडियो में पश्चिम बंगाल के हुगली में स्थित फुरफुरा शरीफ पीरजादा ताहा सिद्दीकी को मुस्लिमों को अपने बच्चों को हिंदुओं के खिलाफ युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए कहते हुए सुना जा सकता है। याचिका में कहा गया है कि हिंदुओं के खिलाफ मुस्लिमों द्वारा हेट स्पीच की घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की घटनाएँ सामने आने के बाद भी पुलिस राजनीतिक कारणों से इन पर कार्रवाई नहीं करती। उन्होंने कहा, “पुलिस राजनीतिक कारणों या मुस्लिम भीड़तंत्र के डर से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है। कुछ विशेष परिस्थितियों में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है, लेकिन मुस्लिमों के एक वर्ग में हिंदुओं के प्रति घृणा को रोकने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाया।”
स्रोत : ऑप इंडिया