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‘केरल स्टोरी’ पर स‍र्वोच्च न्यायालय का बंगाल-तमिलनाडु को नोटिस ; कहा – ‘पूरे देश में फिल्म चल रही, आपको क्या दिक्कत है’

स‍र्वोच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी करके पूछा है कि, जब पूरे देश में द केरल स्टोरी फिल्म चल रही है, तो आपके यहां क्या दिक्कत है। बता दें कि, 12 मई को फिल्म द केरल स्टोरी को पश्चिम बंगाल में प्रतिबंध किया गया है, जबकि तमिलनाडु में थियेटर ऑपरेटर्स ने इसे नहीं चलाने का निर्णय लिया है।

प्रतिबंध के खिलाफ फिल्म के मेकर्स ने स‍र्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा- पश्चिम बंगाल देश से अलग नहीं है। जब देश के अन्य राज्यों में फिल्म शांतिपूर्वक चल रही है तो बंगाल और तमिलनाडु में फिल्म पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया है। ये दर्शकों के ऊपर छोड देना चाहिए कि वो फिल्म देखना चाहते हैं या नहीं। स‍र्वोच्च न्यायालय ने कहा कि, दोनों राज्यों की भौगौलिक स्थिति अन्य राज्यों के तरह ही समान है फिर वहां फिल्म को क्यों नहीं चलने दिया जा रहा है। ये मामला कला की स्वतंत्रता के बारे में हैं।

तमिलनाडु सरकार के वकील को फटकारा

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने तमिलनाडु सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल अमित आनंद तिवारी से पूछा – हम आपसे ये पूछना चाहते हैं कि आपने राज्य की कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कौन से कदम उठाए। राज्य सरकार ये नहीं कह सकती कि हम कोई और रास्ता (फिल्म की स्क्रीनिंग को रोक देना) निकाल रहे हैं। थिएटर्स पर आक्रमण किए जा रहे हैं, कुर्सियां जलाईं जा रही हैं। सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखना आपकी जिम्मेदारी थी।

अब अगले बुधवार को होगी सुनवाई

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई बुधवार को तय की है। द केरल स्टोरी की प्रोडक्शन टीम की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने जिरह करते हुए कहा – ‘बंगाल में फिल्म को बिना किसी प्रॉब्लम के प्रतिबंध कर दिया गया। वहां फिल्म अपनी रिलीज के बाद तीन दिनों तक शांतिपूर्वक चली थी। यही हाल तमिलनाडु में भी रहा, वहां भी फिल्म पर आंशिक प्रतिबंध लगा दिया गया है।

वहीं बंगाल सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील डॉ.अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा – राज्य को इंटेलिजेंस की तरफ से रिपोर्ट मिली थी कि फिल्म की स्क्रीनिंग हुई तो राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर समस्या आ सकती है।

स्रोत : भास्कर

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