वेंकटेश को बना दिया अली, निहार बना अबू और शंकर को बना दिया अब्दुल्ला
केरल लव जिहाद, धर्म परिवर्तन और आईएसआईएस में भर्ती कराने का केंद्र रहा है। कई लड़कियों को मुस्लिम युवकों ने सुनियोजित तरीके से बहला-फुसलाकर निकाह का झांसा देकर इस्लाम कबूल कराया। बाद में उन्हें ISIS में शामिल होने या ‘ISIS ब्राइड्स’ बनने के लिए सीरिया भेज दिया।
हालांकि, धर्म परिवर्तन और आईएसआईएस के लिए गुलाम तैयार करने का यह खेल केवल महिलाओं तक ही सीमित नहीं रहा। इस रैकेट ने हिंदू पुरुषों को भी इस्लाम में धर्मांतरित किया। धर्म परिवर्तन के बाद हिंदू पुरुषों को भी मुस्लिमों के साथ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल कराया गया। ऐसी सैकड़ों रिपोर्ट्स उपलब्ध हैं जो बताती हैं कि केरल के परिवर्तित या मूल मुस्लिम आतंकवादी संगठनों या दहशतगर्दाना गतिविधियों से जुड़े हुए हैं।
इस रिपोर्ट में तीन ऐसे हिंदू नौजवानों की कहानी है जिन्होंने आईएसआईएस में शामिल होने से पहले इस्लाम कबूला था। एनआईए (NIA) के दस्तावेजों में दर्ज वे नाम हैं, ‘शंकर वेंकटेश पेरुमल उर्फ अली मुआविया, शैबु निहार वीके उर्फ अबू मरियम, और मदेश शंकर उर्फ अब्दुल्ला।
शंकर वेंकटेश पेरुमल (अली मुआविया)
आईएसआईएस मॉड्यूल केस की जाँच कर रही एनआईए की टीम ने मार्च 2021 में केरल के 8 ज्ञात और कई अज्ञात लोगों पर UAPA और IPC की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया। जाँच के दौरान NIA को मोहम्मद अमीन उर्फ अबू याह्या के बारे में पता चला, जो राज्य में ‘इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS)’ की विचारधारा को फैलाने और युवाओं को कट्टर बनाने के लिए सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहा था। उनका काम नए सदस्यों की भर्ती करना भी था। NIA ने जाँच के दौरान तीन लोगों मोहम्मद अमीन, रहीस रशीद और मुशब अनवर को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार लोगों की निशानदेही पर NIA की टीम ने 4 अगस्त 2021 को जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक और केरल के पाँच अलग-अलग स्थानों पर छापे मारे। रेड के दौरान NIA ने कश्मीर के श्रीनगर से ओबैद हामिद, बांदीपोरा से मुज़म्मिल हसन भट, मैंगलोर के उल्लाल से अम्मार अब्दुल रहमान और बैंगलोर से शंकर वेंकटेश पेरुमल (अली मुआविया) को गिरफ्तार किया।
शंकर वेंकटेश को अली मुआविया नाम इस्लाम अपनाने के बाद दिया गया। वह टेलीग्राम, हूप और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ISIS के कट्टर जिहादी विचार धारा को फैलाने वाले समूह का हिस्सा था। जहाँ लोगों का ब्रेनवॉश कर कट्टरपंथी बनाया जाता और उन्हें आतंकी संगठन में शामिल कराया जाता था। मोहम्मद अमीन के नेतृत्व में ही इन कट्टरपंथियों ने आईएसआईएस के प्रति वफादारी की कसम खाई थी। इतना ही नहीं उन्होंने केरल से लेकर कर्नाटक तक ऐसे लोगों की लिस्ट तैयार की थी जिनकी हत्या की जानी थी।
शैबु निहार वीके (अबू मरियम)
शैबु निहार वीके (अबू मरियम) को NIA ने 9 अप्रैल 2019 को केरल के कालीकट अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर लिया। वह कतर के दोहा से भारत लौटा था। गिरफ्तारी से पहले अबू मरियम बहरीन में एक विज्ञापन एजेंसी चला रहा था। यह गिरफ्तारी आईएसआईएस के वंदूर (Wandoor) मॉड्यूल मामले में की गई थी। मामले में 8 लोगों को यूएपीए के तहत आरोपित बनाया गया था। शुरुआत में केस केरल पुलिस के हाथ में थी जिसे 1 जून 2018 को NIA ने अपने हाथ में ले लिया था।
शैबु निहार वीके से अबू मरियम बने शख्स को 14 सितंबर 2022 को एर्नाकुलम की एनआईए अदालत ने दोषी ठहराया था। जाँच के दौरान पता चला था कि शैबू निहार वीके ने ISIS/Daesh के लिए काम कर रहा था। उसने संगठन के लिए फंडिंग की भी व्यवस्था की। इसके अलावा अबू मरियम ने अपने सहयोगियों को सीरिया पहुँचाने के लिए भी धन जुटाए थे।
मदेश शंकर (अब्दुल्ला)
मदेश शंकर, मोहम्मद अमीन (अबू याह्या) के ही साथियों में से एक था। जाँच के दौरान यह पता चला कि अमीन एक परिवर्तित मुस्लिम दीप्ति मारला के संपर्क में था। दीप्ति ने मैंगलोर के अनस अब्दुल रहमान से निकाह किया था। मारला अपनी पढ़ाई के लिए 2015 में दुबई गई थी। दुबई में उसकी मुलाकात मिज़ा सिद्दीकी से हुई। जिसके बाद दोनों ने ISIS में शामिल होने की ठानी। इसके लिए साल 2019 में दोनों खुरसान तक गईं लेकिन कामयाब नहीं हो सकीं।
भारत लौटने के बाद भी मारला की आईएसआईएस-नियंत्रित इलाके में जाने की ख्वाहिश खत्म नहीं हुई थी। उसने ओबैद हामिद मट्टा, मदेश शंकर और अन्य के साथ मिलकर अमीन से संपर्क किया। जनवरी 2020 में वह ओबैद से मिलने श्रीनगर पहुँची जहाँ वह एक हफ्ते तक ठहरी थी।
NIA के अनुसार मदेश शंकर और उसके साथी सोशल मीडिया के जरिए कट्टरपंथ फैलाने का काम करते थे। उनका काम आईएसआईएस के लिए नई भर्ती और फंड का इंतजाम करना था। बता दें आईएसआईएस में शामिल होने से पहले मदेश शंकर ने भी इस्लाम कबूल कर अपना नाम अब्दुल्ला रख लिया था।
‘शंकर वेंकटेश, शैबु निहार वीके और मदेश शंकर के उदाहरणों से स्पष्ट है कि कट्टरपंथियों ने लड़कियों और महिलाओं के साथ साथ गैरमुस्लिम पुरुषों को भी जिहाद के लिए इस्लाम कबूल कराया। धर्मांतरित पुरुष और महिला दोनों को ISIS आतंकवादियों के रूप में मध्य पूर्वी देशों में भेजा गया। जैसा कि फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ में दिखाया गया है। कट्टरपंथी अपने टारगेट का ब्रेनवॉश करते हैं। लड़कियों को पहले प्रेमजाल में फँसाया जाता है और शादी के बहाने उनका धर्म परिवर्तन कराया जाता है। दूसरी ओर पुरुषों को अपने धर्म के प्रति भड़काया जाता है।
उन्हें हीन भावना का शिकार बनाया जाता है। उनके धर्म को झूठा धर्म बता कर इस्लाम का महिमामंडन किया जाता है। उन्हें काफिरों के खिलाफ जिहाद छेड़ते हुए शहीद होने पर जन्नत में हूरों और बेहतर जीवन के सपने दिखाए जाते हैं।
स्रोत : आॅप इंडिया