वैशाख कृष्ण नवमी , कलियुग वर्ष ५११५
वक्ता : श्री. प्रमोद मुतालिक, संस्थापक-अध्यक्ष, ‘श्रीराम सेना’.
सारणी
- १. मंगलुरू शहरके ‘पब’ और ‘श्रीराम सेना’के कार्यकर्ताओंकी लडाई !
- २. ‘पब’से प्राप्त होनेवाली आय बंद न हो, इसलिए ‘श्रीराम सेना’को गोवामें आनेके लिए विरोध करनेवाला गोवा शासन !
- ३. ‘वैलेंटाईन डे’के दुष्परिणामोंके भयावह आंकडे !
- ४. ‘वैलेंटाईन डे’ नहीं, माता-पिताका पूजन करना भारतीय संस्कृति है !
१. मंगलुरू शहरके ‘पब’ और ‘श्रीराम सेना’के कार्यकर्ताओंकी लडाई !
१ अ. ‘ड्रग माफिया’ और ‘सेक्स माफिया’के लिए कुप्रसिद्ध मंगळुरूका ‘अमेनेशिया पब’ !
‘कर्नाटकके मंगळुरू शहरमें ‘अमेनेशिया पब’ ८ वर्षोंसे चल रहा था । उसके आसपासके सभ्य नागरिकोंने ‘पब’ बंद करनेके लिए आरक्षक थानेमें ८ शिकायतें दी थीं; परंतु आरक्षकोंने ‘पब’ बंद नहीं किया । उस ‘पब’में ‘ड्रग माफिया’ और ‘सेक्स माफिया’ चल रहा था ।
१ आ. मंगलुरूके ‘पब’पर हुए आक्रमणकी कारणमीमांसा और प्रसारमाध्यमोंका हिंदूद्वेष !
मंगळुरूके उस ‘पब’से परेशान वहांके नागरिकोंने ‘श्रीराम सेना’के स्थानीय प्रमुखसे मिलकर उन्हें अपनी समस्या बताई । ‘श्रीराम सेना’के २०-२५ कार्यकर्ताओंने ‘पब’के मालिकसे इस संदर्भमें पूछताछ की । मालिकने हल्ला मचाया । तब कार्यकर्ता भीतरके सभागृहमें गए । वहां चिकित्सा महाविद्यालयमें पढनेवाली १३ छात्राओंने मद्यप्राशन किया था । कार्यकर्ताओंने उन्हें रोकनेका प्रयत्न किया । तब एक छात्राने क्रोधमें आकर कहा, ‘‘मेरा पैसा है । मैं पी रही हूं । आपका क्या जाता है ?’’ उसने चप्पल उठाई । हमारे कार्यकर्ताओंको क्रोध आया । उन्होंने उस छात्राको दो बार मारा । हडबडाकर वह छात्रा डरके मारे भागने लगी और गिर गई । दूरदर्शनप्रणालोंने (टी.वी. चैनलोंने) इस दृश्यका चित्रीकरण किया । ४ माहतक यह दृश्य दिखाकर बताया गया कि प्रमोद मुतालिक ‘डॉन’ है और स्त्रीविरोधी है ।
१ इ. ‘पब’पर किए आक्रमणके पीछे ‘श्रीराम सेना’की भूमिका !
मैंने कहा क्या हमने मंदिर, विद्यालय अथवा महाविद्यालय जानेवाली लडकीको मारा ? जो लडकी कल आधुनिक वैद्या (डॉक्टर) बनकर समाजके रोगियोंका उपचार करनेवाली है, वही लडकी आज पबमें बैठकर मद्यप्राशन कर रही हो, तो हमारी उस बहनको मारकर उसे सही रास्तेपर लाना, हमारा कर्तव्य है । इसलिए हमने उसे मारा । तब भी दूरदर्शनप्रणालोंने ‘श्रीराम सेना’का नकारात्मक चित्र निर्माण किया । परंतु हमारी दृष्टिसे इसके अच्छे ही परिणाम निकले । आज ‘श्रीराम सेना’ एक अखिल भारतीय संगठन बन गया है । इस घटनाके पश्चात मुझे १५ दिन कारावास जाना पडा ।
१ ई. पिटनेवाली छात्राकी मांद्वारा कार्यकर्ताओंका अभिनंदन
कारागृहसे बाहर आनेपर शामको मुझे रंजना शेट्टी नामक महिलाका दूरभाष आया । उसने कहा, ‘‘दूरदर्शनपर जिस लडकीकी पिटाईका दृश्य दिखा रहे हैं, मैं उस लडकीकी मां बोल रही हूं । आपने मेरी बेटीको मारा, यह अच्छा किया । २४ घंटे माता-पिता तो बेटियोंके साथ नहीं रह सकते । समाजमें आप माता-पिताका काम कर रहे हो, यह अच्छा काम है ।’’
उस दिन उस लडकीके कपडे मलीन हो गए थे । घर जानेपर लडकीकी मांने उससे कारण पूछा, तब लडकीने उपरोक्त प्रसंग बताया । बेटी ‘पब’में गई थी, यह ज्ञात होनेपर मांने बेटीको पुनः मारा ।
१ उ. मंगलुरूके ‘पब’पर किए आक्रमणके लाभ !
‘मंगळुरूमें ‘पब’संस्कृतिके विरोधमें किए एक आक्रमणके कारण कर्नाटकमें चल रहे ३१३ अवैध ‘पब’ बंद हो गए । अब मंगलुरूमें एक भी लडकी ‘पब’में पांव नहीं रखती । इतना भय उस विषयमें निर्माण हुआ है । यही हम चाहते थे ।
२. ‘पब’से प्राप्त होनेवाली आय बंद न हो, इसलिए
‘श्रीराम सेना’को गोवामें आनेके लिए विरोध करनेवाला गोवा शासन !
वैसे देखा जाए, तो किसीको भी मद्यप्राशन नहीं करना चाहिए; परंतु महिलाको मद्यप्राशन अथवा ड्रग्सकी लत लग जाए, तो वंश अथवा बच्चोंपर विपरीत परिणाम होता है । अपनी माता-बहनोंको बचाना होगा । ‘पब’में कुछ नियम होते हैं, जैसे एक लडका और एक लडकी ऐसे ही मद्यपान करें । ‘पब’संस्कृति एक विकृति है । मेरे वक्तव्यके कारण गोवाके मुख्यमंत्री डर गए । उन्होंने बताया, ‘‘जो ‘नाईट क्लब’पर आक्रमण करते हैं, उनके हाथ तोड दूंगा ।’’ गोवा क्या है, यह सबको पता है । गली-गलीमें ‘क्लब’ हैं । अन्य देशोंके लोग भी गोवा क्यों आते हैं ? रामनाथी अथवा मंगेशीका मंदिर देखने नहीं आते, वे तो ‘बीच’पर नंगानाच करनेके लिए आते हैं । यह सब बंद करना ही होगा । ऐसा होनेपर गोवा शासनकी आय बंद हो जाएगी । इसीलिए शासन हमारा विरोध कर रहा है । मैंने उनसे कहा, ‘‘देखता हूं, हमें कैसे आने नहीं देते ।’’
३. ‘वैलेंटाईन डे’के दुष्परिणामोंके भयावह आंकडे !
१४ फरवरी २०११ के ‘वैलेंटाईन डे’पर मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरू तथा नई देहली, इन ५ शहरोंमें हुए बलात्कार एवं हत्याओंके आंकडे इस प्रकार हैं – ११८ हत्याएं, २२२ बलात्कार, ९२ आत्महत्याएं, २११ लापता, २ सहस्र १५ करोड रुपयोंकी ‘वाईन’का व्यापार, ६८ करोड ‘कंडोम’की बिक्री, ड्रग्स अथवा दारू पीकर हुई दुर्घटनाओंकी संख्या १७० । और भी आंकडे हैं । इनके कारण हम डर गए हैं । क्या हमें ऐसे ‘वैलेंटाईन डे’ चाहिए ? सबको इसका विचार करना होगा ।
४. ‘वैलेंटाईन डे’ नहीं, माता-पिताका पूजन करना भारतीय संस्कृति है !
भारतमें ‘वैलेंटाईन डे’, ‘न्यू इयर’, ‘मदर्स डे’, ‘फादर्स डे’ इत्यादि पश्चिमी लोगोंकी ‘डे’ संस्कृति एक दिन ‘डेथ’ संस्कृति बन जाएगी । प.पू. आसारामजी बापूके भक्त प्रतिवर्ष ‘वैलेंटाईन डे’के दिन ‘मातृ-पितृ पूजन’ का कार्यक्रम मनाते हैं । इस कार्यक्रममें सहस्रों बच्चे माता-पिताका पूजन करते हैं । यह है हमारी संस्कृति ।
हमारी संस्कृति श्रेष्ठ है, ‘मातृदेवो भव । पितृदेवो भव ।’ अर्थात ‘माता-पिताको देवतासमान मानें ।’ स्वामी विवेकानंदजीने बताया ‘दरिद्रदेवो भव ।’ अर्थात ‘गरीब व्यक्तिको भी देवतासमान मानें ।’ ‘डे’ अथवा ‘पब’ जैसी विकृतिको रोकना, हमारा कर्तव्य है ।’