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श्री अंबादेवी, श्री कालीमाता संस्थान अमरावती के ८ मंदिरो मे वस्त्रसंहिता शुरु होगी – महाराष्ट्र मंदिर महासंघ

बाएं से श्रीकांत पिसोळकर, पिंगळादेवी संस्थान के अध्यक्ष विनीत पाखोड़े, देवस्थान सेवा समिति के सचिव श्री. अनूप जयस्वाल, श्री महाकाली शक्तिपीठ के पीठाधीश्वर पू. शक्ति महाराज, श्री. सुनील घनवट, समन्वयक महाराष्ट्र मंदिर महासंघ, श्री अंबादेवी संस्थान की श्रीमती मीनाताई पाठक, अंबादेवी संस्थान अधिवक्ता राजेंद्र पाण्डेय एंव श्री. राजेश हेडा, ट्रस्टी श्री. बालाजी मंदिर

मंदिरो की पवित्रता, शिष्टाचार, संस्कृती कायम रहे इस हेतु नागपूर के उपरांत अमरावती के ८ मंदिरो ने वस्त्रसंहिता लागू करने का निर्णय लिया है । इस के पूर्व जलगाव मे ४ और ५ फरवरी २०२३ को मंदिर तथा धर्मपरंपरा के रक्षणार्थ संपन्न राज्यस्तरीय ‘महाराष्ट्र मंदिर-न्यास परिषदे’त मे ठराव संमत हुआ था । अमरावती मे संपन्न प्रांतीय हिंदु राष्ट्र अधिवेशनमे इस विषय की चर्चा और ठराव हुआ था । इस के पश्चात हिंदु संगठनो की बैठक मे इस विषय मे निश्चय हुआ । इस के पश्चात महाराष्ट मंदिर महासंघ के समन्वयक श्री. सुनील घनवट के उपस्थिती मे बैठकी संपन्न हो गयी । इस विषय मे श्री महाकाली शक्तीपीठ, अमरावती मे आज प्रेस वार्ता आयोजित की गयी । त्यामध्ये अमरावती के श्री अंबादेवी संस्थान, श्री व्यंकटेश बालाजी मंदिर (जयस्तंभ चौक), श्री पिंगळादेवी देवस्थान (नेर पिंगळाई), श्री संतोषी माता मंदिर, श्री आशा-मनिषा देवी संस्थान (दर्यापूर), श्री लक्ष्मी-नारायण देवस्थान (देवळी, अचलपूर), श्री शैतुतबाग हनुमान मंदिर (परतवाडा), श्री दुर्गामाता मंदिर, वैष्णौधाम इत्यादी मंदिरो के साथ संपूर्ण अमरावती जिलेमे २५ मंदिरो मे २ माह के समय मे वस्त्रसंहिता लागू करने की घोषणा की गयी ।

जिस प्रकार महाराष्ट्र सरकारने वर्ष 2020 मे राज्य के सभी शासकीय कार्यालयमे वस्त्रसंहिता लागू की, तथा देशाभर मे अनेक मंदिरे, गुरुद्वारा, चर्च, मस्जिद, अन्य प्रार्थनास्थळे, निजी कार्यालय, स्कुल कॉलेज, न्यायालय, पुलीस विभाग आदी विविध क्षेत्र मे वस्त्रसंहिता लागू है । इस प्रकार मंदिरो मे भी वस्त्रसंहिता आवश्यक है यह विचार ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के समन्वयक श्री. सुनील घनवट ने व्यक्त किए ।

उन्होने आगे कहा की, “12 ज्योतिर्लिंग मे एक असलेले उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर, महाराष्ट्रा मे श्री घृष्णेश्वर मंदिर, अंमलनेर मे श्री. देव मंगळग्रह मंदिर, वाराणसी स्थित श्री काशी-विश्वनाथ मंदिर, आंध्रप्रदेश के श्री तिरुपती बालाजी मंदिर, केरल मे विख्यात श्री पद्मानाभस्वामी मंदिर, कन्याकुमारी मे श्री देवी माता मंदिर इत्यादी प्रसिद्ध मंदिरो मे अनेक वर्ष से दर्शन हेतु सात्त्विक वस्त्रसंहिता लागू है । गोवा मे विविध मंदिर तथा बेसिलिका ऑफ बॉर्न जीसस आणि सी कैथ्रेडल इत्यादी चर्च मे वस्त्रसंहिता लागू है । महाराष्ट्र सरकार ने ‘शासकीय अधिकारी आणि कर्मचारीयो को ‘जीन्स पँट’, ‘टी-शर्ट’, भडकिले रंग के किंवा नक्षीदार वस्त्र, तसेच ‘स्लीपर’ पहनाने पर प्रतिबंध लगाया है । मद्रास उच्च न्यायालयने भी ‘यहा के मंदिरो मे प्रवेश हेतु सात्त्विक वेशभूषा हो’, यह स्विकार कर के १ जनवरी २०१६ से वस्त्रसंहिता लागु की है । तथा मंदिर मे देव दर्शन के लिए अनुचित वस्त्र परंपराहीन वेशभूषा मे जाना यह ‘व्यक्ती स्वातंत्रता’ नही.

मंदिर यह धार्मिकस्थल है । यहा धार्मिकता के अनुसार आचरण होना आवश्यक है । यहा धर्माचरण को महत्त्व है । आज मंदिरांमध्ये वस्त्रसंहिता लागू करने पर कुछ आधुनिकतावादी, व्यक्तीस्वातंत्रता वाले विरोध करते है । लेकिन पैर तक सफेद पहननेवाले ईसाई पाद्री, कम लंबाई का पायजामा पहनाने वाले मुल्ला-मौलवी या काला बुरखा पहनाने वाली मुसलमान महिलाओ के वस्त्र के विषय मे आक्षेप नही लेते ।

तथा भारतीय वस्त्र पाश्चात्त्यां वस्त्र की तुलना मे अधिक सात्त्विक और सभ्यतापूर्ण है । तथा भारतीय वस्त्र परिधान करने के कारण संस्कृतीका प्रचार-प्रसार होकर युवा पिढीका स्वाभिमानही जागृत होगा । पारंपारिक वस्त्र निर्मिती उद्योगो को चालना मिलेगी । ग्रामीण अर्थव्यवस्था उन्नत होगी । मंदिर की सात्त्विकता अधिक ग्रहण करना हो हमारा आचरण आणि वेशभूषा सात्त्विक होना आवश्यक है, यह श्री. घनवट ने कहा ।

श्री महाकाली शक्तीपीठ के पीठाधीश्वर पू. शक्ती महाराज ने कहा की, ”मंदिर संस्कृती रक्षा के लिए वस्त्रसंहिता अत्यावश्यक है । श्री. महाकाली शक्तीपीठ मे आजसे ही सुचनापट लगा रहे है । और अमरावती जिले के अनेक मंदिरो मे यह हा सुचनापट लगाने के लिए हम कार्य कर रहे है । इस पत्रकार परिषदेत संबोधित करते हुए, देवस्थान सेवा समितीके सचिव श्री. अनुप जयस्वाल ने कहा की “विदर्भ के सभी मंदिर में वस्त्रसंहिता लागू करने के लिए देवस्थान सेवा समिती प्रयत्न कर रही है ।”

श्री अंबादेवी मंदिर संस्थान की ट्रस्टी सौ. मीनाताई पाठक ने कहा की, ” मंदिर की संस्कृती, पवित्रता आणि मांगलिकता बनाए रखने के लिए मंदिरो मे प्रवेश करते समय अंगप्रदर्शन करनेवाले, अशोभनीय आणि छोटे कपडे परिधान करना उचित नही, यह हमारा भूमिका है । इस लिए हम वस्त्रसंहिता लागू कर रहे है ।”

इस समय श्री अंबादेवी मंदिर संस्थानके ट्रस्टी अधिवक्ता राजेंद्र पांडे, श्री संतोषीमाता मंदिराचे अध्यक्ष श्री जयेशभाई राजा, श्री बालाजी मंदिर जयस्तंभ चौकके श्री राजेश हेडा, श्री. पिंगळादेवी संस्थान, नेर पिंगळाईचे अध्यक्ष श्री. विनीत पाखोडे, देवस्थान सेवा समितीचे सचिव श्री. अनुप जयस्वाल, श्री दुर्गामाता मंदिर वैष्णौधामके श्री. नंदकिशोर दुबे, हिंदु जनजागृती समितीके विदर्भ समन्वयक श्री. श्रीकांत पिसोळकर यह उपस्थित थे । प्रेस वार्ता हा सुत्रसंचलन हिंदु जनजागृती समितीचे जिल्हा समन्वयक श्री. नीलेश टवलारे ने किया ।

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