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श्री मनुदेवी, पारोळा, बालाजी सहित जलगांव के 34 मंदिरों में लागू होगी वस्त्रसंहिता – महाराष्ट्र मंदिर महासंघ

जळगाव जिले के 34 मंदिराे ने वस्त्रसंहिता लागू करने उपरांत उसकी जनाकारी देते हुए बाई ओर से जुगल किशोर जोशी, अधिवक्ता भरत देशमुख, सद्गुरू नंदकुमार जाधव, केशव क्षत्रिय, प्रशांत जुवेकर, डॉ. पांडुरंग पिंगळे, भैयासाहेब शिंपी एवं श्री. नीळकंठ चौधरी

मंदिर हिंदू धर्म के ऊर्जा केंद्र हैं। नागपुर, अमरावती, नगर के बाद, जळगाव जिले के 34 मंदिरों में पवित्रता, मांगल्य, शिष्टाचार, संस्कृति को बनाए रखने और मंदिर में आने वाले भक्तों का पूरा लाभ लेने के लिए वस्त्रसंहिता (ड्रेस कोड) लागू करने का निर्णय लिया गया है।

इस के पूर्व जळगाव मे 4 और 5 फरवरी 2023 को मंदिर तथा धर्मपरंपरा के रक्षणार्थ संपन्न राज्यस्तरीय ‘महाराष्ट्र मंदिर-न्यास परिषदे’त मे ठराव संमत हुआ था । तत्पश्चात महाराष्ट्र मंदिर संघ के संयोजक श्री. सुनील घनवट की उपस्थिती में 31 मई को हुई एक बैठक के बाद, जलगाँव में प्रसिद्ध सातपुड़ा निवासिनी श्री मनुदेवी मंदिर, परोळा में श्री बालाजी मंदिर सहित कई मंदिरों ने ड्रेस कोड लागू करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया। इस संबंध में 5 जून को श्री ओंकारेश्वर मंदिर में महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की ओर से एक प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जहां ड्रेस कोड लागू किया गया था । इनमें श्री बालाजी मंदिर, परोळा; श्री मनुदेवी मंदिर, यावल; आनेवाले सप्ताह में श्री पद्मालय देवस्थान, एरंडोल सहित 34 से अधिक मंदिरों और अगले 3 महीनों के भीतर जळगाव जिले के अन्य मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने की घोषणा की गई।

जिस प्रकार महाराष्ट्र सरकारने वर्ष 2020 मे राज्य के सभी शासकीय कार्यालयमे वस्त्रसंहिता लागू की, तथा देशाभर मे अनेक मंदिरे, गुरुद्वारा, चर्च, मस्जिद, अन्य प्रार्थनास्थळे, निजी कार्यालय, स्कुल कॉलेज, न्यायालय, पुलीस विभाग आदी विविध क्षेत्र मे वस्त्रसंहिता लागू है । इस प्रकार मंदिरो मे भी वस्त्रसंहिता आवश्यक है यह विचार ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के समन्वयक श्री. प्रशांत जुवेकर ने व्यक्त किए ।

श्री. प्रशांत जुवेकर ने आगे कहा की, “12 ज्योतिर्लिंग मे एक असलेले उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर, महाराष्ट्रा मे श्री घृष्णेश्वर मंदिर, अंमलनेर मे श्री. देव मंगळग्रह मंदिर, वाराणसी स्थित श्री काशी-विश्वनाथ मंदिर, आंध्रप्रदेश के श्री तिरुपती बालाजी मंदिर, केरल मे विख्यात श्री पद्मानाभस्वामी मंदिर, कन्याकुमारी मे श्री देवी माता मंदिर इत्यादी प्रसिद्ध मंदिरो मे अनेक वर्ष से दर्शन हेतु सात्त्विक वस्त्रसंहिता लागू है । गोवा मे विविध मंदिर तथा बेसिलिका ऑफ बॉर्न जीसस आणि सी कैथ्रेडल इत्यादी चर्च मे वस्त्रसंहिता लागू है । महाराष्ट्र सरकार ने ‘शासकीय अधिकारी आणि कर्मचारीयो को ‘जीन्स पँट’, ‘टी-शर्ट’, भडकिले रंग के किंवा नक्षीदार वस्त्र, तसेच ‘स्लीपर’ पहनाने पर प्रतिबंध लगाया है । मद्रास उच्च न्यायालयने भी ‘यहा के मंदिरो मे प्रवेश हेतु सात्त्विक वेशभूषा हो’, यह स्विकार कर के 1 जनवरी 2016 से वस्त्रसंहिता लागु की है I तथा मंदिर मे देवदर्शन के लिए अनुचित वस्त्र परंपराहीन वेशभूषा मे जाना यह ‘व्यक्तीस्वातंत्रता’ नही. मंदिर यह धार्मिकस्थल है । यहा धार्मिकता के अनुसार आचरण होना आवश्यक है । यहा धर्माचरण को महत्त्व है । आज मंदिरांमध्ये वस्त्रसंहिता लागू करने पर कुछ आधुनिकतावादी, व्यक्तीस्वातंत्रता वाले विरोध करते है । लेकिन पैर तक सफेद पहननेवाले ईसाई पाद्री, कम लंबाई का पायजामा पहनाने वाले मुल्ला-मौलवी या काला बुरखा पहनाने वाली मुसलमान महिलाओ के वस्त्र के विषय मे आक्षेप नही लेते ।

पारोळा बालाजी मंदिर के ट्रस्टी श्री. केशव क्षत्रिय ने कहा कि, भारतीय वस्त्र पाश्चात्त्यां वस्त्र की तुलना मे अधिक सात्त्विक और सभ्यतापूर्ण है । इस अवसर पर बोलते हुए सातपुड़ा निवासिनी मनु देवी मंदिर के सचिव श्री. नीलकंठ चौधरी ने कहा, ‘मंदिर की संस्कृति की रक्षा के लिए वस्त्रसंहिता ड्रेस कोड जरूरी है। यह निर्णय मंदिरों की संस्कृति, पवित्रता और पवित्रता को बनाए रखने के लिए लिया गया है। हम एक ड्रेस कोड लागू कर रहे हैं ताकि लोगों को अंगप्रदर्शन करनेवाले, अशोभनीय और कपड़े पहने हुए मंदिर में प्रवेश करने से रोका जा सके। इसके लिए हम यह सूचना फलक श्री मनुदेवी मंदिर, यवल में लगा रहे हैं।

सनातन संस्था के सद्गुरु नंदकुमार जाधव ने वस्त्रसंहिता का आध्यात्मिक स्तर पर महत्व बताते हुए बताया कि वस्त्रसंहिता का पालन करने वाले व्यक्ति को मंदिर जाने से किस प्रकार लाभ होता है । ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के कानूनी सलाहकार और महाराष्ट्र गोवा बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष भारत देशमुख ने कहा कि, मंदिर में ड्रेस कोड लागू करना किसी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन नहीं है । मंदिर की पवित्रता को ही बनाए रखने के लिए आवश्यक है । भारतीय वस्त्र पाश्चात्यों की तुलना में अधिक सात्त्विक एवं सभ्यतापूर्ण हैं । भारतीय वस्त्र परिधान करने से अपनी संस्कृति का प्रचार-प्रचार होने के साथ ही उस विषय में युवा पीढियों में स्वाभिमान भी जागृत होगा । इसके साथ ही पाश्चात्यों की तुलना में पारंपारिक वस्त्र निर्मिति करनेवाले उद्योग-धंधों को बढावा मिलेगा । ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ होगी । मंदिर की सात्त्विकता अधिक मात्रा में ग्रहण करनी हो, तो अपना आचरण और वेशभूषा सात्त्विक होनी चाहिए, ऐसी मंदिर महासंघ की भूमिका है ।

यहा लागू होगी वस्त्रसंहिता !

1. श्री ओंकारेश्वर मंदिर, जळगाव;

2. श्री बालाजी मंदिर पारोळा;

3. महर्षी व्यास मंदिर, यावल;

4. श्री पद्मालय देवस्थान, एरंडोल;

5. कष्टभंजन देव हनुमानजी मंदिर, सूनसावखेडा;

6. सातपुडा निवासिनी श्री मनुदेवी मंदिर, यावल;

7. श्रीराम मंदिर, पारोळा;

8. श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर, पिंपरी, जामनेर;

9. श्री मारुती मंदिर, प्रजापतीनगर, जळगाव;

10. पंचमुखी मारुती मंदिर, जळगाव;

11. श्री शनी मंदिर, सिंधी कॉलनी, जळगाव;

12. दक्षिणमुखी मारुती मंदिर, गोलाणी मार्केट, जळगाव;

13. श्री उमामहेश्वर मंदिर, उमाळे, ता.जि. जळगाव;

14. शिवधाम मंदिर, जळगाव;

15. श्री इच्छादेवी मंदिर, जळगाव;

16. श्री कालिका माता मंदिर, जळगाव;

17. सूर्यमुखी हनुमान मंदिर, विवेकानंदनगर, जळगाव;

18. श्री अष्टभुजा मंदिर, भुसावळ;

19. स्वयंभू श्री मुजुमदार गणपती मंदिर, चोपडा;

20. श्री हरेश्वर महादेव मंदिर, चोपडा;

21. बालवीर हनुमान मंदिर, चोपडा;

22. नवग्रह मंदिर, शेतपुरा, चोपडा;

23. श्री वरदविनायक मंदिर, प्रेमनगर, जळगाव;

24. श्री गजानन महाराज मंदिर, बांभोरी;

25. सातपुडा निवासिनी श्री भवानीमाता मंदिर, कुसुम्बा, रावेर;

26. श्री साई मंदिर, तुळसाईनगर, जळगाव

इसके साथ ही दसनूर के मंदिर, पाचोरा के दो और भादली के 6 मंदिरों में भी ड्रेस कोड लागू रहेगा। कुल 34 मंदिरों में ड्रेस कोड लागू होगा।

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