आज सें मुंबई, ठाणे, रायगड और पालघर के 18 मंदिरों में वस्त्रसंहिता !
जलगाव, अकोला, धुले, नागपुर, नासिक, अमरावती, अहिल्यानगर (नगर) सहित महाराष्ट्र के कुल 114 मंदिरों में वस्त्रसंहिता (ड्रेस कोड) लागू कि गई है । इस में आज मुंबई, ठाणे, रायगड और पालघर के 18 मंदिर सहभागी हुऐ है, ऐसी जानकारी ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’ के समन्वयक श्री. सुनील घनवट ने पत्रकार वार्ता में दी । वे मुंबई के श्री शीतलादेवी मंदिर में महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की ओर से आयोजित पत्रकार वार्ता में बोल रहे थे । इस समय जीएसबी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रवीण कानविंदे, श्री जीवदानी मंदिर के अध्यक्ष श्री. प्रदीप तेंडोलकर, कडव गणपती मंदिर के न्यासी (कर्जत) श्री. विनायक उपाध्याय, केरलीय क्षेत्रपरिपालन समिति के आचार्य पी.पी.एम. नायर हे उपस्थित थे । जिन मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू हुई है उन के नाम श्री. सुनील घनवट ने घोषीत किए ।
महाराष्ट्र मंदिर महासंघ की ओर से 7 जून को दादर के स्वातंत्र्ययवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक में मुंबई, ठाणे, रायगड एवं पालघर जिले के मंदिरो की न्यासीओं की बैठक आयोजित की गयी थी । इस बैठक में उपस्थित सभी मंदिर न्यासीओं ने मंदिरो में वस्त्रसंहिता लागू करने का प्रस्ताव एकमत से पारित किया । वर्ष 2020 मध्ये महाराष्ट्र सरकारने मंत्रालय का साथही राज्य के सभी सरकारी दफ्तरों में वस्त्रसंहिता लागू किया था । इस में ‘जीन्स पैंट’, ‘टी-शर्ट’, ‘चमकीले रंग के कपड़ों’ पर प्रतिबंध लगा दिया गया है । यह वस्त्रसंहिता लागू करने के पिछे सरकार की मंशा है की सरकार की छबी खराब ना हो । इतना ही नहीं, अपितु देश के अनेक मंदिर, गुरुद्वारा, चर्च, मस्जिद एवं अन्य प्रार्थनास्थल, निजी अस्थापन, विद्यालय-महाविद्यालय, न्यायालय, पुलिस आदि सभी क्षेत्रों में वस्त्रसंहिता लागू है । वैसी मंदिरो में भी वस्त्रसंहिता लागू होनी चाहिए, ऐसा श्री. सुनील घनवट जी ने आगे कहा है ।
कुछ लोक मंदिर में अंगप्रदर्शन करनेवाले अशोभनीय, अश्लील, भद्दे कपड़े तथा फटी जींस या कम कपड़े पहनकर आते हैं । हिंदू धर्म के अनुसार जब भक्त सात्विक पोशाक पहनकर मंदिर में आते हैं, तो उन्हें मंदिर की सात्त्विकता का लाभ मिलता है, और मंदिर की पवित्रता, शुभता, परंपरा और संस्कृति संरक्षित रहती है । यही कारण है कि मंदिर के न्यासियों ने मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने का निर्णय स्वयं स्फूर्ती से लिया है । यह तो अभी शुरुआत है, ऐसा जीएसबी मंदिर ट्रस्ट के सचिव एवं ट्रस्टी श्री. शशांक गुलगुले ने कहा ।
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन का श्री महाकालेश्वर मंदिर, महाराष्ट्र का श्री घृष्णेश्वर मंदिर, वाराणसी का श्री काशी-विश्वेश्वर मंदिर, आंध्रप्रदेश का श्री तिरुपती बालाजी मंदिर, केरल के विख्यात श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, कन्याकुमारी का श्री माता मंदिर ऐसे कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में अनेक वर्षों से श्रद्धालुओं के लिए सात्त्विक वस्त्रसंहिता लागू है । गोवा के बहुतांश मंदिरों सहित ‘बेसििलका ऑफ बॉर्न जीसस’ एवं ‘सी कैथ्रेडल’, इन बडे चर्चों में भी वस्त्रसंहिता लागू है । सनातन संस्था श्रीमती धनश्री केळशिकर ने कहा कि मंदिर में सात्विक वस्त्र धारण करने से मंदिर की पवित्रता का लाभ होता है । इस समय जीएसबी टेंम्पल ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री. ऋत्विक औरंगाबादकर, श्री शीतलादेवी एवं मुरलीधर देवस्थान के पालक न्यासी श्री. अनिल परूळकर, श्री भुलेश्वर एवं श्री बालाजी रामजी देवस्थान के पालक विश्वस्त श्री. दीपक वालावलकर, माहीम के श्री दत्त मंदिर के श्री. किशोर सारंगुल, माहीम के श्रीराम मंदिर के सचिव श्री. अभय तामोरे, श्री जब्रेश्वर महादेव मंदिर (बाणगंगा) के श्री. पंकज सोलंकी आदी उपस्थित थे ।