वैशाख कृष्ण नवमी , कलियुग वर्ष ५११५
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वक्ता : श्री. दुर्गेश परूळकर, हिंदू महासभा, डोंबिवली, महाराष्ट्र. |
१. इतिहासका विकृतिकरण रोकनेके लिए शिक्षकोंका प्रबोधन करें !
‘पाठ्यपुस्तकोंके माध्यमसे सिखाते समय शिक्षक विद्यार्थियोंको खरा इतिहास बता सकते हैं । इसके लिए विद्यालयीन शिक्षकोंका प्रबोधन करना होगा । गर्मीकी अथवा दीपावलीकी छुट्टियोंमें कार्यशाला लेकर शिक्षकोंका प्रबोधन कर सकते हैं । बी.एड्. तथा डी.एड्. का पाठ्यक्रम पूरा करनेवाले विद्यार्थी भविष्यमें शिक्षक बनते हैं, इसलिए हम प्रबोधन कर उन्हें उचित इतिहास बता सकते हैं ।
२. बच्चोंको ‘इतिहास शोध’के क्षेत्रमें भेजनेके लिए अभिभावकोंका प्रबोधन करें !
कुछ अभिभावकोंका मत बच्चोंको विशिष्ट विषय पढानेका होता है । उन्हें हम इतिहासके विकृतिकरणके विषयमें बता सकते हैं । आज हमारे पास इतिहाससंबंधी १०१ करोड कागज हैं, जिनका वाचन तथा अध्ययन इतिहासके अभ्यासकोंने किया ही नहीं । उनमेंसे कुछ कागज फारसी तथा उर्दू भाषामें हैं । विदेशी भाषा सीखनेके साथ हमें ये भाषाएं भी सीखनी होंगी ।
३. जालस्थल (वेबसाइट) तथा ‘फेसबुक’ जैसे माध्यमोंद्वारा खरा इतिहास क्या है, यह लोगोंतक पहुंचाइए !
४. ‘एन्सीईआर्टी’की इतिहासकी पाठ्यपुस्तकोंका विरोध करें !
‘एन्सीईआर्टी’की पाठ्यपुस्तकोंमें जो लिखा है, उसके विरोधमें आंदोलन करना है । इस हेतु सर्व हिंदुत्ववादी संगठनोंको एकत्रित कार्य करना होगा ।’