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वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के पहले दिन ‘संविधान एवं हिन्दू राष्ट्र’ विषय पर मान्यवरों द्वारा रखे गए उद्बोधक विचार

बाएं से चेतन राजहंस, रमेश शिंदे, डॉ. नील माधव दास, अधिवक्‍ता अरुण गुप्‍ता, डॉ. विवेक शील अगरवाल और सूत्रसंचालन मैं सौ. क्षिप्रा जुवेकर

सं‍विधान के द्वारा भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करना आवश्यक ! – चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था

‍विगत ७५ वर्षों में हिन्दुओं को धर्मशिक्षा से वंचित रखा गया । केवल संत, महात्माओं की कृपा से भारत में आज भी धर्म टिका हुआ है । ‘सेक्युलारिजम’ (धर्मनिरपेक्षता) शब्द के कारण हिन्दुओं को धर्मशिक्षा प्रदान करने का मार्ग बंद किया गया है । धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था अर्थात अधर्मी व्यवस्था है । वर्ष १९१९ में ‘प्लेसेस ऑफ वर्शीप एक्ट’ द्वारा (‘धार्मिक स्थल कानून १९९१’ द्वारा) अयोध्या का श्रीराम मंदिर छोडकर अन्य सभी मंदिर वर्ष १९४७ से जिस स्थिति में हैं, उसी स्थिति में रखने के लिए मान्यता दी गई । इसलिए काशी के विश्वनाथ मंदिर के साथ ही सहस्रों मंदिर मुक्त करने में अडचनें निर्माण हुई है ।

चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था

इसलिए भारत को पुनः हिन्दू राष्ट्र करने के लिए आंदोलन, संसद एवं न्यायव्यवस्था इन लोकतांत्रिक मार्गों द्वारा आवाज उठाना आवश्यक है । चिकित्सकीय शिक्षा होते हुए भी जबतक प्रमाणपत्र प्राप्त नहीं होता, तबतक ‘डॉक्टर’ के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं होती । ठीक उसी प्रकार हिन्दुबहुल व्यवस्था रहते हुए भी संविधान द्वारा भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करना आवश्यक है ।

गंगाजल में संपूर्ण भारत को रोगमुक्त करने की क्षमता है । इसलिए उसका अधिक शोध होना आवश्यक ! – अधिवक्ता अरुण गुप्ता, न्याय मित्र, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, उत्तर प्रदेश

अधिवक्ता अरुण गुप्ता, न्याय मित्र, इलाहाबाद उच्च न्यायालय, उत्तर प्रदेश

ऋषि-मुनि एवं वैज्ञानिकों ने गंगानदी का बहुत वर्णन किया है । गंगा नदी में प्राणवायु का स्तर सब से अधिक है । गंगाजल में ‘बैक्टेरिया फॉस’ नामक विषाणु होता है । जिसके कारण गंगाजल खराब नहीं होता । गंगाजल पिने से स्वास्थ्य सदा ही अच्छा रहता है । कोरोना महामारी के समय गंगा नदी के तट पर बसे नगरों में कोरोना के रोगी अन्य नगरों से अल्प दिखाई दिए साथ ही ठीक होनेवाले लोगों की संख्या भी अधिक दिखाई दी । केवल कोरोना ही नहीं, अपितु कर्करोग जैसी अन्य बीमारियां भी गंगाजी के पानी से ठीक हो सकती है । गंगानदी में पूरे भारत को रोगमुक्त करने की क्षमता है । इसलिए ऐसे गंगाजल का अधिक शोधकार्य होना आवश्यक है । इसीके साथ ही गंगा नदी में प्रदूषण न हो, इसलिए प्रयास करना, यह सभी भारतियों का कर्तव्य है ।

हिन्दुओं के लिए हितकारी ‘थिंक टैंक’ बनाकर उसे गांव-गांवतक पहुंचाना होगा ! – डॉ. नील माधव दास, संस्थापक, तरुण हिन्दू , झारखंड

डॉ. नील माधव दास, संस्थापक, तरुण हिन्दू , झारखंड

भारत में हिन्दूविरोधी विचारधाराएं बनाई जा रही हैं । भारत में मुसलमानों ने हिन्दुओं पर आक्रमण किया, तो मुसलमानों को बंदी बनाते समय स्थिति और न बिगडे; इसके लिए हिन्दुओं को भी बंदी बनाया जाता है । खालिस्तानवादी, नक्सलियोंसहित ‘बीबीसी’ जैसे समाचार संस्थान हिन्दूविरोधी गतिविधियां चला रहे हैं । हिन्दुओं में राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक शक्ति नहीं है, उसके कारण राज्यों-राज्यों में हिन्दूविरोधी गतिविधियां चल रही हैं । इसे रोकने के लिए हिन्दुओं का दबावसमूह बनाना आवश्यक है । जब हिन्दुओं का दबावसमूह बनेगा, तब शासनकर्ताओं को उसका संज्ञान लेना ही पडेगा । मुसलमानों के साथ उनके ज्ञातिजन सदैव खडे रहते हैं; किंतु धर्म के लिए कार्य करनेवाले हिन्दुओं के साथ हिन्दू खडे नहीं होते । इसके लिए हिन्दुओं के हित की विचारधारा निर्माण करना आवश्यक है । इसके लिए गांव-गांव के मंदिरों में साप्ताहिक बैठकें की जाना आवश्यक है । इन बैठकों में हिन्दूहित के विचार रखे जाने चाहिएं । हिन्दुओं के विरोषधी यदि हिन्दूविरोधी विचारधारा फैला रहे हों, तो हिन्दुओं को अपनी स्वयं की विचारधारा निर्माण कर उसे गांव-गांवतक पहुंचाना होगा । इसके समन्वय के लिए हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति का गठन करना आवश्यक है ।

हिन्दू राष्ट्र की बौद्धिक स्तर की लडाई जीतने के लिए हिन्दुओं के विरोध के ‘नैरेटिव’ (कथानकों) को समझ लेना आवश्यक ! – रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृती समिती

रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृती समिती

रामनाथी – केंद्र में हिन्दुत्वनिष्ठ दल की सत्ता आते ही अकस्मात ही संपूर्ण देश में सभी माध्यमों में असहिष्णुता बढने की चर्चा बडी मात्रा में होने लगी । ‘अल्पसंख्यकों पर अत्याचार आरंभ हुए’, ‘मुसलमानों की सामूहिक हत्याएं की जाती हैं’, ‘सरकार पक्षपातपूर्ण नीति अपनाकर मुसलमानों के विरुद्ध कानून बनाती है’, ‘दंगे कराकर अल्पसंख्यकों को मारा जाता है’, साथ ही ‘भारत में अल्पसंख्यकों का अस्तित्व संकट में है’, इस प्रकार से विभिन्न कथानक रचकर संपूर्ण विश्व में उनका प्रचार किया गया; परंतु उन सभी कथानकों के पीछे एक बीज, संकल्पना एवं नीति (एजेंडा) था । इस माध्यम से विश्वस्तर पर हिन्दुओं को असहिष्णु, साथ ही आक्रामक प्रमाणित किया जाता है । इसमें ‘भारतीय मुसलमानों को पीडित दिखाना’, यह उद्देश्य है । इससे मुसलमानों की जिहादी मानसिकता को बल देने का प्रयास चल रहा है । उसके कारण इस प्रकार के काल्पनिक कथानकों को (नैरेटिवज्) को समझ लेना आवश्यक है । जबतक हम इसे समझ नहीं लेंगे, तबतक हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में बाधा बननेवाली समस्याओं को हम समूल नष्ट नहीं कर सकेंगे, ऐसा स्पष्टतापूर्ण प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में ‘संविधान एवं हिन्दू राष्ट्र’ विषय पर आयोजित उद्बोधन सत्र में ‘हिन्दू राष्ट्र विरोधियों की काल्पनिक कथानकों का प्रचार’ विषय पर संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।

इस अवसर पर व्यासपीठ पर देहली के डॉ. विवेकशील अगरवाल, सनातन संस्था के प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस, उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमित्र अधिवक्ता अरुण गुप्ता, झारखंड के ‘तरुण हिन्दू’ संगठन के संस्थापक डॉ. नील माधव दास आदि मान्यवर उपस्थित थे ।

सभी हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों की एकत्रित ‘हिन्दू हेल्पलाइन’ होना आवश्यक ! – डॉ. विवेक शील अगरवाल, देहली

डॉ. विवेक शील अगरवाल, देहली

४० वर्ष पूर्व इस देश में हिन्दू जनजागृति समिति बनेगी, यह कल्पना भी हम नहीं कर सकते थे; परंतु आज समाचारपत्रों एवं समाचारवाहिनियों पर ‘हिन्दू’ शब्द पर चर्चा हो रही है । उसके कारण उनका ‘टी.आर्.पी.’ (लोकप्रियता) बढता रहता है । केवल हिन्दी ही नहीं, अपितु अंग्रेजी समाचारवाहिनियों पर भी हिन्दुओं के विषय में चर्चाएं हो रही हैं । ‘द काश्मीर फाईल्स’ एवं ‘द केरला स्टोरी’ जैसे हिन्दुओं पर हो रहे आघातों के प्रति समाज में जागृति लानेवाली फिल्में करोडों रुपए का व्यवसाय कर रही हैं । बागेश्वर धाम के महाराज खुलेआम हिन्दू राष्ट्र का जयघोष कर रहे हैं । इसलिए आज के कारण आज का समय हिन्दुओं के लिए भले ही स्वर्णिम काल लगता हो, तब भी हमारे शत्रु की तैयारी हमसे अनेक गुना अधिक है, इसे हमें ध्यान में लेना होगा । आज सभी बाजुओं से हिन्दुओं पर आघात हो रहे हैं ।

भारत में अनेक स्थानों पर हिन्दुओं को ही अपने घर-बार छोडकर पलायन करना पड रहा है । आज भी भारत में विभाजन के समय की भांति स्थिति है । हिन्दू लडके-लडकियां धर्म से दूर चली जा रही हैं, जिसका धर्मांध लाभ उठा रहे हैं । उसके कारण धर्मांधों द्वारा उनका धर्मांतरण किया जा रहा है । अनेक स्थानों पर हिन्दुओं को मार खानी पड रही है । इसलिए यह काल हिन्दुओं के लिए ‘‘अमृतकाल’ नहीं, अपितु ‘विषकाल’ है । धर्मांधों की वर्ष २०४७ की दिशा में तैयारी चल रही है । इससे पहले पुलिस को धर्मांधों के क्षेत्रों से गुप्त सूचनाएं मिलती थीं; परंतु अब वो मिलना असंभव बन गया है । एक ओर वे अपनी योजनाओं पर विचारपू‍र्वक काम कर रहे हैं, तो ऐसे में हिन्दुओं को भी अपना बल बढाना आवश्यक है । आज के समय में अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन अपने-अपने स्तर पर धर्म का कार्य कर रहे हैं; इसलिए उन सभी को एक ही व्यासपीठ पर ले आकर उन्हें संगठित कर उसके माध्यम से भी शहरों में ‘हिन्दू हेल्पलाईन’ तैयार करना आवश्यक है । सभी संगठनों ने एकत्रित होकर कार्य किया, तभी जाकर आनेवाले ३०-४० वषों में हिन्दुओं की रक्षा हो पाएगी ।

विशेषतापूर्ण सूत्र !

१. अधिवेशन में सहभागी हिन्दुत्वनिष्ठ एक-दूसरे से मिलकर बहुत आनंदित हुए, ऐसा दिखाई दिया । अधिवेशन के मध्यंतर में सभी हिन्दुत्वनिष्ठ आस्थापूर्वक एक-दूसरे का हाल पूछ रहे थे । इस अवसर पर सभी हिन्दुत्वनिष्ठों में कुटुंबभावना दिखाई दी ।

२. अधिवेशन के निमित्त HinduRashtra यह की वर्ड ‘ट्वीटर’ पर ट्रेंड कर रहा था । उसके द्वारा संपूर्ण देश में हिन्दू राष्ट्र की चर्चा चल रही थी, ऐसा दिखाई दिया ।

अधिवेशन स्थल पर स्थित विशेषपूर्ण फलकों की प्रदर्शनी !

१. ‘विश्व में एक भी हिन्दू राष्ट्र नहीं है’, इसकी जानकारी देनेवाली सारणी सभागार की प्रदर्शनी में लगाई गई थी । उसमें विश्व में स्थित मुसलमान, ईसाई, बौद्ध, साथ ही अन्य धर्मी राष्ट्रों के आंकडे दिए गए थे । उसमें विश्व में एक भी हिन्दू राष्ट्र न होने की दी गई जानकारी हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने के लिए प्रेरित करनेवाली थी ।

२. ‘हिन्दू राष्ट्र कैसे होगा ?’ इस फलक के द्वारा ‘हिन्दू राष्ट्र में ‘शासनकर्ता, कानून, समाज, दंडनीति, सुरक्षाव्यवस्था एवं धर्म की शिक्षा देने की व्यवस्था कैसी होगी ?’, इस विषय में जानकारी दी गई थी ।

इसके साथ ही अध्यात्म के संदर्भ में जानकारी तथा हिन्दू जनजागृति समिति एवं हिन्दू विधिज्ञ परिषद के कार्य की जानकारी देनेवाले विभिन्न फलक सभागार में लगाए गए थे ।

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