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आक्रांताओं द्वारा ध्वस्त किए गए देश के सभी मंदिरों का सरकार पुनरोद्धार करे – वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में मान्यवरों की मांग

बाएं से श्री. अनुप जयस्वाल, अधिवक्ता सुरेश कौदरे, श्री. जयेश थळी, अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन और श्री. सुनील घनवट

फोंडा (गोवा) – गोवा सरकार ने पोर्तुगिजों द्वारा नष्ट किए गए सभी मंदिरों का पुनरोद्धार करने का महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया है । उसी प्रकार विदेशी आक्रांताओं द्वारा गिराए गए देश के सभी मंदिरों का केंद्र सरकार पुनरोद्धार कर भारत की सांस्कृतिक विरासत को संजोए, यह महत्त्वपूर्ण मांग वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में की गई है । महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के समन्वयक श्री. सुनील घनवट ने १७ जून को आयोजित पत्रकार परिषद में यह जानकारी दी । इस अवसर पर काशी की ज्ञानवापी की मुक्ति के लिए न्यायालयीन लडाई लडनेवाले सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, गोमंतक मंदिर महासंघ के श्री. जयेश थळी, ज्योतिर्लिंग श्रीक्षेत्र भीमाशंकर देवस्थान के अध्यक्ष अधिवक्ता सुरेश कौदरे तथा विदर्भ की देवस्थान सेवा समिति के सचिव श्री. अनुप जायसवा उपस्थित थे ।

इस अवसर पर श्री. सुनील घनवट ने कहा, ‘‘हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन ने सदैव ही मंदिरों की मुक्ति तथा रक्षा की भूमिका ली है । इस अधिवेशन के माध्यम से मध्यप्रदेश का भोजशाला मुक्ति आंदोलन, तिरुपति बालाजी का अवैध इस्लामिक अतिक्रमण हटाना, पंढरपुर, शिरडी, कोल्हापुर एवं तुळजापुर के सरकारीकृत मंदिरों में हुए भ्रष्टाचार के विरुद्ध की लडाई आदि प्रमुख आंदोलन चलाए गए हैं । संस्कृति की रक्षा होने के लिए मंदिरों को संजोया जाना चाहिए । इसके लिए गोवा में गोमंतक मंदिर महासंघ काम कर रहा है, जबकि महाराष्ट्र में महाराष्ट्र मंदिर महासंघ कार्य कर रहा है । बहुत शीघ्र हम कर्नाटक एवं नई देहली में भी मंदिरों के न्यासियों की बैठक का आयोजन करनेवाले हैं ।

काशी के उपरांत मथुरा एवं किष्किंधा की मुक्ति के लिए लडाई लडेंगे ! – अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन

संपूर्ण देश के विभिन्न राज्य सरकारों ने मंदिरों के संबंध में जो कानून बनाए हैं, वो सभी कानून संविधान के अनुच्छेद १९, २१, २५, २६ एवं २७ का उल्लंघन करनेवाले हैं; इसलिए केंद्र सरकार इन सभी कानूनों को निरस्त करे तथा मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करे । उच्च न्यायालय ने कर्नाटक राज्य में स्थित हनुमानजी की जन्मस्थली किष्किंधा के विषय में बनाया गया कानून असंवैधानिक प्रमाणित किया है । इसलिए काशी के उपरांत मथुरा एवं किष्किंधा की मुक्ति के लिए लडाई लडी जाएगी ।

अन्य वक्ताओं द्वारा रखे गए विचार

१. गोमंतक मंदिर महासंघ के श्री. जयेश थळी ने कहा, ‘‘गोवा सरकार समयसीमा निर्धारित कर पोर्तुगिजों द्वारा ध्वस्त किए गए मंदिरों का पुनरोद्धार पूर्ण करे । इसके लिए मंदिर महासंघ सरकार द्वारा गठित की गई समिति का संपूर्ण सहयोग करेगा ।’’

२. विदर्भ की देवस्थान सेवा समिति के सचिव श्री. अनुप जयस्वाल ने कहा, ‘‘देवालय सेवा समिति ने मंदिरों की समस्याओं के समाधान के लिए ‘मुंबई सार्वजनिक विश्वस्त संस्था अधिनियम’ में परिवर्तन लाने का कार्य आरंभ किया है ।’’

३. अधिवक्ता सुरेश कौदरे ने कहा, ‘‘अनेक राज्यों में वहां की सरकारें मस्जिदों के इमामों एवं मुल्ला-मौलवियों को वेतन, जबकि मदरसों को अनुदान दे रही हैं; तो मंदिरों के पुजारियों को वेतन क्यों नहीं दिया जाता ? पुजारियों की अनेक समस्याएं हैं । वंशपरंपरासे कार्य कर रहे पुजारियों एवं प्रतिनिधियों के अधिकार एवं कर्तव्य सुरक्षित रहें; इसके लिए सरकार मुंबई सार्वजनिक न्यास संस्था’ के अधिनियम में सुधार करे । मंदिरों के न्यासियों एवं पुजारियों के मध्य के विवादों के समाधान के लिए महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के माध्यम से हम प्रयास करनेवाले हैं ।’’

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