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वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के दूसरे दिन ‘धर्म एवं मंदिरों की रक्षा’ विषय पर मान्यवरों द्वारा रखे गए स्पष्टतापूर्ण विचार !

संविधान में संशोधन कर हिन्दू राष्ट्र की निर्मिति करनी पडेगी ! – कोण्णियूर पी.पी.एम्. नायर, आचार्य, केरलीय क्षेत्र परिपालन समिति, मुंबई

कोण्णियूर पी.पी.एम्. नायर, आचार्य, केरलीय क्षेत्र परिपालन समिति, मुंबई

प्रत्येक व्यक्ति जब से प्रभु श्रीराम की भांति आचरण करेगा, उस समय रामराज्य आएगा । रामराज्य आने के लिए हिन्दुओं को धर्मशिक्षा देने की आवश्यकता है । चुनाव के समय नेतागण हमारे सामने हाथ फैलाकर मत मांगते हैं; परंतु हमारे मुख्य शासक भगवान हैं; इसलिए हमें उस मुख्य शासक के आंतरिक सान्निध्य में रहना होगा । संविधान में संशोधन कर ही हमें हिन्दू राष्ट्र की निर्मिति करनी है । भारत में समान नागरिक संहिता कानून, साथ ही धर्मांतरण रोकने के लिए कठोर कानून बनाया जाना चाहिए । कृषि एवं ऋषि की रक्षा होनी चाहिए ।

श्रद्धालुओं द्वारा दिए जानेवाले अर्पण का उचित विनियोग हो ! – विजय पवार, अध्यक्ष, आशापुरी माता मंदिर, सिंदखेड, धुले, महाराष्ट्र

विजय पवार, अध्यक्ष, आशापुरी माता मंदिर, सिंदखेड, धुले, महाराष्ट्र

गांव-गांव में अनेक छोटे-छोटे मंदिर हैं । इन मंदिरों को तहसील, जिला एवं राज्यस्तर के मंदिरों के साथ जोडा जाना चाहिए । श्रद्धालुओं द्वारा मंदिर में दिया जानेवाला अर्पण अमूल्य है; इसलिए उसका उचित विनियोग होना चाहिए ।

श्री तुळजाभवानी मंदिर के भ्रष्टाचार के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय तक लडाई लडेंगे ! – किशोर गंगणे, महाराष्ट्र मंदिर महासंघ, धाराशीव

किशोर गंगणे, महाराष्ट्र मंदिर महासंघ, धाराशीव

तुळजापुर के श्री तुळजाभवानी मंदिर के भ्रष्टाचार का प्रकरण वर्ष २०१० से मुंबई उच्च न्यायालय में न्यायप्रविष्ट है । इस भ्रष्टाचार की सी.आइ.डी. जांच पूर्ण होकर ४ वर्ष हुए; परंतु अभीतक कोई कार्रवाई नहीं की गई, यह खेदजनक है । वर्तमान स्थिति में भी मंदिर में भ्रष्टाचार चालू है । भगवान की कृपा से मंदिर के भ्रष्टाचार के विरोध में मैं लड रहा हूं । हम श्री तुळजाभवानी मंदिर के भ्रष्टाचार के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय तक लडेंगे ।

कानिफनाथ मंदिर को बचाने के लिए कानूनी लडाई जारी रहेगी ! – श्रीहरि आंबेकर, कान्होबा उपाख्य कानिफनाथ देवस्थान, गुहा, महाराष्ट्र

श्रीहरि आंबेकर, कान्होबा उपाख्य कानिफनाथ देवस्थान, गुहा, महाराष्ट्र

धर्मांधों ने कानिफनाथ मंदिर की ४० एकर भूमि हडप ली है । उसके उपरांत वर्ष २००५ में रंगपंचमी के दिन किसी को कुछ भी समझ में न आए, इस पद्धति से वक्फ बोर्ड ने इस भूमि पर अपना नियंत्रण स्थापित किया । उसके उपरांत एक न्यास बनाकर उसका दरगाह में रूपांतरण किया गया । उसके उपरांत उन्होंने उस भूमि के कागदपत्रों में समाहित कानिफनाथ देवस्थान कान नाम हटाकर ‘हजरत रमजान दरगाह’ के नाम से दरगाह का पंजीकरण किया । उसके उत्तर के रूप में हमने ग्रामसभा ली, उसमें पटवारी के यहां किया गया पंजीकरण रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया गया । वक्फ में हम १९ लोगों पर अभियोग प्रविष्ट किया गया । अब कानिफनाथ मंदिर को बचाने की हमारी कानूनी लडाई चल रही है तथा वह जारी ही रहेगी ।

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