अनुच्छेद ३७० को हटाकर भी कश्मीर में हिन्दू सुरक्षित नहीं हैं ! – राहुल कौल, अध्यक्ष, यूथ फॉर पनून काश्मीर, पुणे
रामनाथी – सरकार अभी भी कश्मीरी हिन्दुओं का नरसंहार स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है । उसके परिणामस्वरूप बंगालसहित भारत में जहां-जहां मुसलमानबहुल क्षेत्र है, वहां ‘कश्मीरी पैटर्न’’ चलाया जा रहा है । जबतक कश्मीर का नरसंहार स्वीकार नहीं किया जाता, तबतक कश्मीरी हिन्दुओं का पुनर्वास संभव नहीं है । यह केवल कश्मीरी हिन्दुओं के पुनर्वास का विषय नहीं है, अपितु देश में ६० से अधिक स्थानों पर इस्लामी जिहादी ‘कश्मीरी पैटर्न’ चलाकर अपना सर उठा रहे हैं । जिस कश्मीर ने भारत को भरतमुनि की देन दी, वह कश्मीर आज हिन्दूविहिन हो चुका है । कश्मीरी हिन्दुओं का नरसंहार अस्वीकार करने का यह परिणाम है । वर्तमान स्थिति में कश्मीर के ९९ प्रतिशत मुसलमान जिहादी विचारोंवाले हैं । वर्ष १९५९ में नरसंहार के संदर्भ में संसद में कानून पारित किया गया; परंतु अभीतक वह लागू नहीं हुआ है । भारत से हिन्दू धर्म को नष्ट करना हो, तो पहले यहां की संस्कृति को नष्ट करना होगा, इसे जिहादियों ने भलिभांति जान लिया है । कश्मीरी हिन्दुओं किया गया आक्रमण भारत की संस्कृति नष्ट करने के लिए किया गया है । पिछले १ सहस्र वर्षाें से कश्मीरी हिन्दुओं पर इस्लामी आक्रमण हो रहे हैं । वर्ष १९९० में कश्मीरी हिन्दुओं का जो पलायन हुआ, वह हिन्दुओं का ७ वां पलायन था । कश्मीर से अनुच्छेद ३७० हटाकर भी कश्मीर अभीतक हिन्दुओं के लिए सुरक्षित नहीं है, यह वास्तविकता है, ऐसा स्पष्टतापूर्ण प्रतिपादन पुणे के ‘यूथ फॉर पनून कश्मीर’ के अध्यक्ष राहुल कौल ने किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के दूसरे दिन (१७.६.२०२३ को) उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।
इस अवसर पर व्यासपीठ पर राजस्थान की ‘संयुक्त भारतीय धर्मसंसद’के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य राजेश्वर, बेंगलुरू (कर्नाटक) के श्री. प्रशांत संबरगी, ‘राष्ट्र-धर्म संगठन’ के संस्थापक अध्यक्ष श्री. संतोष केंचम्बा उपस्थित थे ।
हिन्दू राष्ट्र स्थापना के महायज्ञ में प्रत्येक हिन्दू परिवार के सदस्या आहुति दें ! – आचार्य राजेश्वर, राष्ट्रीय अध्यक्ष, संयुक्त भारतीय धर्म संसद, राजस्थान
पहले संपूर्ण विश्व में हिन्दू संस्कृति थी, अब वहाां अन्य धर्मी राज कर रहे हैं । कुछ वर्ष पूर्व हिन्दुओं ने कश्मीर से पलायन किया । आज के समय में देश में ६०० स्थानों पर छोटे पाकिस्तान बन गए हैं । अब वहां से भी धीरे-धीरे हिन्दू पलायन कर रहे हैं । अतः हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनी हो, तो उसके लिए सभी हिन्दुओं को जाति एवं स्वार्थ से परे जाकर संगठित होना पडेगा । संपूर्ण देश में अनेक जातिवादी नेता हैं, जो जातियों पर आधारित राजनीति करते हैं । उसके कारण वे हिन्दुओं को संगठित नहीं होने देते । उसके परिणामस्वरूप हिन्दू धर्म के आधार पर एकत्रित नहीं होते । देश के समस्त संत समाज ने हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने का प्रण लिया, तो उन्हें रोकने का सामर्थ्य किसी में नहीं है । इसलिए संतों को हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए संगठित होना चाहिए । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के महायज्ञ में प्रत्येक हिन्दू परिवार के सदस्यों ने आहुति दी, तो यह देश निश्चित ही हिन्दू राष्ट्र बनेगा ।
बौद्धिक युद्ध लडने के लिए आचार्य चाणक्य की बुद्धीमत्ता तथा छत्रपति शिवाजी महाराज का शौर्य आत्मसात करना आवश्यक ! – संतोष केंचम्बा, संस्थापक अध्यक्ष, राष्ट्र धर्म संगठन
रामनाथी – ‘वैश्विक अखिल भारतीय हिन्दू महोत्सव’ के समय ‘राष्ट्र धर्म संगठन’ के संस्थापक अध्यक्ष श्री. संतोष केंचम्बा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया, ‘देश में झूठे कथानक (नॅरेटिव्ह्स) रचकर सामाजिक माध्यम से प्रसारित करने का कार्य युद्धस्तर पर आरंभ है । इस माध्यम से वैचारिक आक्रमण हो रहा है । यह ‘सायबर जिहाद’ है । इस ‘कथानक युद्ध’ से निपटने के लिए योग्य कथा तैयार कर उसका प्रसार करना होगा । यह बौद्धिक युद्ध लडने के लिए आचार्य चाणक्य की बुद्धिमत्ता तथा छत्रपति शिवाजी महाराज का शौर्य आत्मसात करना आवश्यक है । वह ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के दूसरे दिन के तृतीय सत्र में बोल रहे थे । उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति का प्रसार योग्य पद्धति से होना चाहिए । हिन्दू संस्कृति का प्रसार करना यह हम सब का दायित्व है । भारत में गुरु-शिष्य परंपरा के अंतर्गत योग्य कथाओं के माध्यम से हिन्दू संस्कृति का प्रसार हो रहा है । यह परंपरा पुनर्जिवित कर कथाओं के माध्यम से हिन्दू संस्कृति का प्रसार करना आवश्यक है ।
हलालमुक्त भारत’ साकार करने के लिए जागृति अभियान चलाएंगे !’ – प्रशांत संबरगी, बेंगळूरू, कर्नाटक
रामनाथी – ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ के समय बेंगळुरू, कर्नाटक के हिंदुत्वनिष्ठ श्री. प्रशांत संबरगी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, ‘हिन्दू व्यापारियों का व्यवसाय मुसलमानों ने छीन लिया है । मटन, चिकन बिक्री के व्यवसाय में मुसलमानों ने एकाधिकार निर्माण किया है । इसका अपलाभ उठाकर मुसलमान ‘हलाल’ चिकन-मटन की बिक्री कर रहे हैं । मुसलमानों का यह एकाधिकार समाप्त करने के लिए बेरोजगार हिन्दू युवकों को इस व्यवसाय को अपनाना चाहिए । १५ प्रतिशत मुसलमानों ने ८५ प्रतिशत हिन्दुओं पर ‘हलाल’ पद्धति लादी है । ‘हलाल’ को हटाने के लिए कानूनी प्रणाली तथा पर्यावरण प्रणाली को ढाल बनाया जा रहा है । हिन्दुओं को ‘हलाल’ चिकन-मटन न खाकर ‘झटका’ चिकन-मटन खाने का निश्चय करना चाहिए । इसके लिए हिन्दुओं को ‘ग्राहक अधिकार’ का आधार लेना चाहिए । ‘हलालमुक्त भारत’ को साकार करने के लिए हिन्दुओं में जागृति अभियान चलाना चाहिए ।
श्री. प्रशांत संबरगी ने आगे बताया कि,
हिन्दू जनजागृति समिति ने ‘हलाल’ विषय पर जागृति करने का बहुत बडा कार्य किया है । ‘हलाल’ से मुक्ति पाने के लिए हिन्दुओं ने ग्राहक अधिकार कानून का आधार लेकर ग्राहक मंच द्वारा उत्तर मांगनी चाहिए । ग्राहक मंच ने ‘झटका’ मांस को अनुमति देनेवाला निर्णय दिया है । साथ ही उन्होंने बताया कि हिन्दुओं को ‘झटका’ मांस उपलब्ध कराने के उद्देश्य से हमने कार्यदल तैयार किया है । इस कार्यदल के माध्यम से बेरोजगार हिन्दू युवकों को ‘झटका’ मांस उपलब्ध कराकर देनेवाली दुकानें आरंभ करने के लिए सहायता की जा रही है ।
‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में ’उपस्थित वंदनीय मान्यवरों का विशेष सन्मान
१. राजस्थान के ‘संयुक्त भारतीय धर्मसंसद’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. आचार्य राजेश्वर (बाईं ओर से दूसरे) को हिन्दू जनजागृति समिति के मध्य प्रदेश एवं राजस्थान समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने पुष्पमाला, शॉल, श्रीफल एवं भेंटवस्तुएं प्रदान कर सम्मानित किया ।
२. पुणे के पू. सुरेश पुराणिकजी (बाईं ओर) को हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. महेश पाठक के हस्तों सम्मानित किया गया ।
३. कर्नाटक के किष्किंधा अंजनेय हनुमान मंदिर के महंत श्री. विद्यादास महाराज (बाईं ओर) को हिन्दू जनजागृति समिति के कर्नाटक राज्य समन्वयक श्री. मोहन गौडा के हस्तों सम्मानित किया गया । यांच्या हस्ते सन्मान करण्यात आला.