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‘राष्ट्र-धर्म रक्षा हेतु संघर्ष एवं उद्योगपति संगठन’ इस विषयपर ‘वैश्‍विक हिंदु राष्ट्र महोत्सव’ में अनुभवकथन

भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करनेवालों को ही वर्ष २०२४ में मतदान करेंगे ! – अजित सिंह बग्गा, राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष, व्यापार मंडल एवं अध्यक्ष, वाराणसी व्यापार मंडल

अजित सिंह बग्गा, राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष, व्यापार मंडल एवं अध्यक्ष, वाराणसी व्यापार मंडल

‘औरंगजेब ने हिन्दुओं पर अनगिनत अत्याचार किए । मंदिर तोडे और मस्जिदें बनाईं । औरंगजेब द्वारा गिराए गए मंदिर अपने श्रद्धास्थान हैं । वे सभी मंदिर न्यायालयीन लढाई द्वारा, आंदोलन कर अथवा समय आने पर वीरगति को प्राप्त कर भी पुनर्स्थापित किए बिना नहीं रहेंगे । अपनी भावी पीढी को हमें राष्ट्राभिमान एवं हिन्दू धर्म की सीख देनी चाहिए । भारत में रहना है, तो ‘भारत माता की जय’ कहना ही होगा । भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए प्रत्येक हिन्दुत्वनिष्ठ को अपने क्षेत्र में जनजागृति करनी चाहिए । उसके लिए समय देना होगा । ऐसा करने से ही सभी हिन्दुओं में हिन्दू राष्ट्र की भावना निर्माण होगी । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने के लिए हमारे लहु में हिन्दुत्व होना चाहिए । हिन्दुओं को निश्चित कर लेना चाहिए कि जो राजकीय पक्ष भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करेगा, उसी पक्ष को वर्ष २०२४ में मतदान करेंगे’, ऐसे उद्गार व्यापार मंडल के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजीतसिंह बग्गा ने किए । वे वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के तृतीय दिन (१८.६.२०२३ को) बोल रहे थे ।

प्रत्येक जन अपने-अपने क्षेत्र में कार्यरत रहकर साधना करे ! – पू. प्रदीप खेमका, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था (झारखंड)

पू. प्रदीप खेमका, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था (झारखंड)

कोरोना महामारी के काल में लोग भयग्रस्त थे । सर्वत्र ही वैसा वातावरण था, तब भी मेरा व्यवसाय भली-भांति चल रहा था । मेरा ऐसा भाव है कि ‘मेरा व्यापार गुरुदेवजी का है ।’ साधना मैं अपने लिए कर रहा हूं । कोरोना के काल में मेरा व्यवसाय ठीक से चल रहा था । मेरे किसी भी कर्मचारी कोरोना से बाधित नहीं हुआ । इसप्रकार विविध प्रसंगों में मैंने वास्तव में साधना की शक्ति अनुभव की है । साधना का बल अत्यंत प्रभावी है । साधना ही अपने साथ-साथ कुटुंब, उद्योग एवं अपना कार्यक्षेत्र, इन सभी को सुरक्षित रखती है । मेरे २ कर्मचारियों ने ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त किया है । यह ध्यान में रख सभी नामजप, सत्संग, सत्सेवा, सत् के लिए त्याग करना, स्वयं के दोष एवं अहं निर्मूलन के लिए प्रयत्न करना, सतत ईश्वर के अनुसंधान में रहना, इसप्रकार साधना के प्रयत्न आचरण में लाएं । प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्र में कार्य करे; परंतु उसके साथ साधना करे, ऐसे उद्गार सनातन संस्था के धर्मप्रचारक झारखंड के पू. प्रदीप खेमका ने किए ।
वे वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के तृतीय दिन (१८.६.२०२३ को) उपस्थितों को संबोधित कर रहे थे ।

समलैंगिकता को मान्यता देने से भारत के अनेक कानूनों पर दुष्परिणाम होगा ! – अधिवक्ता मकरंद आडकर, अध्यक्ष, महाराष्ट्र शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक संस्था, नवी देहली

अधिवक्ता मकरंद आडकर, अध्यक्ष, महाराष्ट्र शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक संस्था, नवी देहली

सर्वोच्च न्यायालय में समलैंगिक संबंधों को कानूनी मान्यता देने की मांग करनेवाली १५ याचिकाएं प्रविष्ट हुई हैं । इन याचिकाओं में हिन्दू विवाह कानून को रद्द करना, २ पुरुषों अथवा २ स्त्रियों द्वारा एक-दूसरे के साथ किए गए समलिंगी विवाहों को कानूनी मान्यता देना आदि मांगें की गई हैं । आज के समय में देश जहां अनेक समस्याओं से जूझ रहा है, तो ऐसे में समलैंगिकता को मान्यता दी जाए अथवा नहीं, इस पर सर्वोच्च न्यायालय में १५ दिन सुनवाई हुई । देश में समलैंगिकता तथा समलैंगिक विवाहों को मान्यती दी गई, तो हिन्दू विवाह कानून का क्या होगा ? भरणभत्ता किसे दिया जाए ? महिलाओं को संरक्षण देनेवाले घरेलु अत्याचार प्रतिबंधक कानून का क्या होगा ? पत्नी पर अत्याचार हुआ, तो पत्नी के रूप में किसे न्याय मिलेगा ? जैसे अनेक प्रश्न हैं; उसके कारण समलैंगिकता को मान्यता देने से भारत के अनेक कानून बाधित हो जाएंगे । ‘समलैंगिकता को मान्यता नहीं दी गई, तो उससे देश की बडी हानि होगी’, ऐसा यदि न्यायाालय को लगता हो; तो न्यायालय उस प्रकार से संसद को बता सकता है; परंतु यह कानून बनाने का अधिकार न्यायालय का नहीं है । केंद्र सरकार ने सर्वाेच्च न्यायालय में ‘समलैंगिकता हमारी संस्कृति नहीं है’, ऐसा शपथपत्र प्रस्तुत किया है । अन्य देशों में क्या चल रहा है, इसकी अपेक्षा भारतीय संस्कृति इसे मान्यता नहीं देती, इसे हमें समझ लेना होगा, ऐसा प्रतिपादन नई देहली के ‘महाराष्ट्र शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक संस्था’ के अध्यक्ष अधिवक्ता मकरंद आडकर ने किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के तीसरे दिन उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।

इस अवसर पर व्यासपीठ पर व्यापार मंडल के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष तथा वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजितसिंह बग्गा, सनातन संस्था के धर्मप्रचारक झारखंड के पू. प्रदीप खेमका एवं कछार (असम) के हिन्दू जागरण मंच के जिलाध्यक्ष अधिवक्ता राजीव नाथ उपस्थित थे ।

उत्तर-पूर्व भारत में हिन्दू धर्मरक्षा के लिए प्रयास होने आवश्यक ! – अधिवक्ता राजीव नाथ, जिलाध्यक्ष, हिन्दू जागरण मंच, कछार, असम

अधिवक्ता राजीव नाथ, जिलाध्यक्ष, हिन्दू जागरण मंच, कछार, असम

रामनाथ देवस्थान – केवल श्रीराम मंदिर विवाद का समाधान कराने के लिए हिन्दुओं कको ६० वर्ष संघर्ष करना पडा । देश में हिन्दुओं की ऐसी अनेक समस्याएं हैं । इन प्रत्येक प्रश्नों का समाधान कराने के लिए हम लोकतांत्रित पद्धति से लडते रहे, तो उसके लिए अनेक वर्ष लगेंगे । इसलिए इन सभी समस्याओं का समाधान कराने के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना ही एकमात्र विकल्प है, ऐसा प्रतिपादन कछार (असम) के ‘हिन्दू जागरण मंच’ के जिलाध्यक्ष अधिवक्ता राजीव नाथ ने किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के चौथे दिन (१९.६.२०२३ को) उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।

अधिवक्ता राजीव नाथ ने आगे कहा,

‘‘असम में ब्रिटिशों के काल से ईसाई पंथियों की संख्या अधिक है । जहां-जहां उनकी संख्या बढी, वहां देश विभाजित हुआ है । असम में मुसलमानों की जनसंख्या भी ३६ प्रतिशत से अधिक है, साथ ही वहां के ९ जिले मुसलमानबहुल बन गए हैं । इसलिए असम की ओर ध्यान देना आवश्यक है । केवल असम ही नहीं, अपितु संपूर्ण उत्तर-पूर्व भारत में हिन्दू धर्मरक्षा के लिए प्रयास होने आवश्यक हैं । असम में धर्मांधों द्वारा योजनाबद्ध पद्धति से ‘लव जिहाद’ चलाया जाता है । उनके द्वारा १८ वर्ष से अधिक लडकियों को प्रेमजाल में फंसाया जाता है । उसके लिए वे वशीकरण तंत्र का भी उपयोग करते हैं । इसलिए ‘लव जिहाद’ में फंसनेवाली लडकियों को उससे बाहर निकालने के लिए बुद्धिकौशल के साथ नामजप जैसे आध्यात्मिक स्वरूपवाले उपायों का भी बहुत लाभ मिलता है । असम में ‘लैंड जिहाद’ की भी समस्या है; परंतु अब वहां हिन्दुत्वनिष्ठ सरकार होने के कारण इस समस्या का समाधान निकलने के लिए सहायता मिल रही है ।’’

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