ज्येष्ठ कृष्ण १०, कलियुग वर्ष ५११५
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दायीं ओरसे सूत्रसंचालक श्री. नागेंद्र शेणै, हिंदू जनजागृति समितिके राज्य प्रवक्ता श्री. मोहन गौडा तथा सनातन संस्थाकी श्रीमती आश्विनी प्रभु |
बेंगलुरू : रामनाथी, गोवामें ६ से १० जूनकी कालावधिमें होनेवाले द्वितीय अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनके संदर्भमें कर्नाटकके नम्म टीवी प्रणालपर १ जूनको चर्चासत्र आयोजित किया गया था । सीधे प्रक्षेपण होनेवाले इस चर्चासत्रमें दूरध्वनिके माध्यमसे नागरिकोंद्वारा पूछे गए प्रश्नोंको हिंदू जनजागृति समितिके राज्य प्रवक्ता श्री. मोहन गौडा, श्री. हर्षवर्धन शेट्टी तथा सनातन संस्थाकी श्रीमती आश्विनी प्रभुद्वारा उत्तर दिए गए । श्री. नागेंद्र शेणैद्वारा सूत्रसंचालन किया गया ।
धर्मांध मुसलमानद्वारा दूरध्वनिपर परामर्श ! (कहता है) निर्धन हिंदुओंके लिए कार्य करें !
कार्यक्रम आरंभ होनेके पश्चात दूरध्वनिपर प्रेक्षकोंद्वारा पूछे गए प्रश्नोंके उत्तर दिए जा रहे थे । केवल पांच मिनटमें ही अपना नाम महम्मद कहनेवाले मंगलुरूके एक मुसलमानकी दूरध्वनि आई । उसने बताया, ‘हिंदू राष्ट्रकी स्थापना करते समय निर्धन तथा संकटमें फंसे हिंदुओंकी उन्नतिके लिए आपको कुछ करना चाहिए । (निर्धन हिंदुओंका विचार करनेकी अपेक्षा मुसलमान मुसलमानोंमें होनेवाले निर्धनोंका विचार पहले करें ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) वह छोडकर आप केवल ‘लव जिहाद लव जिहाद’ नामका ही जप कर रहे हैं । (लव जिहादका षडयंत्र हिंदू खुले आम कर रहे हैं, इसलिए धर्मांध मुसलमान क्रोधित हो रहे हैं । हिंदुओ, लव जिहादका यह षडयंत्र निकाल दीजिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) उन सभीको किसी मनोरुग्णालयमें प्रविष्ट करना चाहिए । (यहां यह बात ध्यानमें आती है कि मनोरुग्णालयमें प्रविष्ट करनेकी किसको अधिक आवश्यकता है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात) (उसके इस आपत्तिजनक वक्तव्यके कारण प्रणालद्वारा दूरध्वनि खंडित की गई । )
निराशावादी दृष्टिकोण रखनेवाले हिंदू !
तिलक नामक एक प्रेक्षकद्वारा दूरध्वनिपर बताया गया, हिंदू राष्ट्रकी स्थापना करना कठिन है; क्योंकि हिंदू एक दूसरेको फंसाते हैं । किसी एक हिंदूको फंसाना अर्थात हिंदू समाजको फंसानेके समान है । (इसे ही कहते हैं कि हिंदुओंके शत्रु हिंदू ! इस प्रकार अपना व्यक्तिगत अनुभव पूरे हिंदू समाजको लगाकर हिंदुओंको कंलकित करना अनुचित बात है । जब किसी मुसलमानद्वारा अपराध होता है, तब भी सैकडों मुसलमान उसका साथ देते हैं, यह अनुभव क्या कहता है ? हिंदुओंमें वैसा ऐक्य होना क्या यह समयकी आवश्यकता नहीं है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
धर्मशिक्षाके अभावके कारण हुई हिंदुओंकी यह दु:स्थिति !
मैं भी एक हिंदू हूं । हिंदू राष्ट्र स्थापित करना, यह एक सपना है । अपने बच्चोंको हिंदू धर्मके संदर्भमें बताई जानेवाली जानकारी आज हिंदुओंके पास नहीं हैं । आज कोई भी पुरोहित आदि धर्मके विषयमें जानकारी नहीं देता । – भरत (धर्मशिक्षाका महत्त्व एक हिंदूके ध्यानमें आया । यदि इस प्रकार प्रत्येक हिंदूके ध्यानमें यह बात आएगी, तो समष्टि समस्याका निराकरण करने हेतु ईश्वरद्वारा निश्चित ही सहायता प्राप्त होगी ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात