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‘राष्ट्रसुरक्षा’ इस विषयपर ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ पांचवे दिन मान्यवरों ने किया उद्बोधन

बाएं से अधिवक्ता अतुल जेसवानी, नीरज अत्री, आर्.एस्.एन्. सिंह, अनिल धीर, डॉ. सत्यमेव जयते लोक मंगल और सूत्रसंचालन मैं सौ. क्षिप्रा जुवेकर

‘वंदे भारत’ एक्सप्रेस पर किए गए आक्रमण तथा ‘कोरोमंडल’ एक्सप्रेस की दुर्घटना के पीछे जिहादी षड्यंत्र ! – आर्.एस्.एन्. सिंह, रक्षा विशेषज्ञ, देहली

आर्.एस्.एन्. सिंह, रक्षा विशेषज्ञ, देहली

रामनाथ देवस्थान – कुछ दिन पूर्व बालासोर में भीषण रेल दुर्घटना होकर उसमें ३०० से अधिक यात्रियों की मृत्यु हई । ३१ मार्च को देहली के शाहीनबाग का एक धर्मांध केरल गया तथा उसने वहां अलपुजा-कन्नूर एक्सप्रेस में पेट्रोल डालकर यात्रियों को जला दिया, जिसमें ३ यात्रियों की मृत्यु हुई तथा ९ लोग गंभीररूप से घायल हुए । उसके २ माह उपरांत एक समाजद्रोही ने एक खाली बोगी में आग लगा दी । उसकी बाजू में ही भारत पेट्रोलियम का गोदाम था । उस समय बडी दुर्घटना से हम बाल-बाल बच गए । यह ‘गजवा-ए-हिन्द’ है । इसी को ‘जिहाद’ कहते हैं, ऐसा प्रतिपादन रक्षा विशेषज्ञ आर्.एस्.एन्. सिंह ने किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के पांचवें दिन (२०.६.२०२३ को) उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे । इस अवसर पर व्यारसपीठ पर पंचकुला (हरियाणा) की ‘विवेकानंद कार्य समिति’के अध्यक्ष श्री. नीरज अत्री,  भुवनेश्वर (ओडिशा) के ‘इंडियन नैशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज’ के संयोजक अनिल धीर, हिन्दू जनजागृति समिति के पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं बिहार राज्य समन्वयक श्री. विश्वनाथ कुलकर्णी,  ‘सत्यमेव जयते’ संगठन के अध्यक्ष डॉ. सत्यमेव जयते लोक मंगल एवं मध्यप्रदेश की ‘हिन्दू सेवा परिषद’ के संस्थापक तथा प्रदेशाध्यक्ष श्री. अतुल जेसवानी ये मान्यवर उपस्थित थे ।

‘रेल जिहाद : आतंकवाद का नया रूप’ विषय पर बोलते हुए आर्.एस्.एन्. सिंह ने कहा कि देहली के शाहीनबाग में केरल से ‘पी.एफ्.आई.’ के कुछ लोग गए हुए थे, तो दूसरा आरोपी अलपुजा-कन्नूर एक्सप्रेस में हत्या करने के उद्देश्य से शाहीनबाग से केरल गया था । पुलिस जांच में आरोपी को स्थानीय स्तर से सहायता मिलने की बात कही गई है । केरल में जिहाद का ‘इको सिस्टम’ कार्यरत है । कुछ दिन पूर्व अहमदाबाद में बंगाल का एक जिहादी पकडा गया । बंगलुरू में डाका डाले जाने के प्रकरण में ४ जिहादियों को दंड मिला । उन्हें जिहाद के लिए पैसे इकट्ठा करने के लिए कहा गया था; इसलिए उन्होंने यह डाका डाला, यह स्पष्ट हुआ । इसी प्रकार से और तीन आरोपी दंडित हुए । इसी को ‘गजवा-ए-हिन्द’ कहा जाता है । जब से भारत में ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ रेलगाडी आरंभ हुई, तब से उस गाडी पर देश के विभिन्न स्थानों पर पथराव किया गया । ओडिशा का बालासोर एक अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है । उसके कारण ही रेल दुर्घटना कराने के लिए यह स्थान चुना गया होगा, ऐसा लगता है । सभी जिहादों की जडें एक-दूसरे के साथ जुडी हुई है, जिसकी कोई सीमा नहीं है ।

जिहाद के विरुद्ध लडने के लिए हिन्दुओं को शत्रुओं की गतिविधियों को समझ लेना आवश्यक ! – नीरज अत्री, अध्यक्ष, विवेकानंद कार्य समिति, हरियाणा

नीरज अत्री, अध्यक्ष, विवेकानंद कार्य समिति, हरियाणा

हम उस परंपरा से आए हैं, जहां सत्य को आदर्श माना जाता है, तो झूठ को अधर्म माना जाता है । शत्रु के साथ लडने के लिए हिन्दुओं को स्वबोध अर्थात स्वयं के धर्म को समझ लेना आवश्यक है, साथ ही शत्रु का प्रतिकार करने के लिए शत्रुबोध करा लेना अर्थात ही शत्रु की गतिविधियों को समझ लेना भी आवश्यक है । कुरआन में गैरमुसलमानों के लिए ‘काफिर’ शब्द का प्रयोग किया गया है । कुरआन में काफिरों के विरुद्ध जिहाद करने का संदेश भी दिया गया है ।

महाराष्ट्र में वारी की परंपरा में मुसलमानों ने घुसपैठ की है । वारी में सहभागी मुसलमान श्री विठ्ठल की महिमा बता सकते थे; परंतु उन्होंने ‘अल्ला देवे, अल्ला दिलावे’, ऐसा बोला । पश्चिम बंगाल, कश्मीर, केरल जैसे मुसलमान बहुसंख्यक राज्यों में वे हिन्दुओं के धार्मिक कार्यक्रमों में सम्मिलित नहीं होते । वे जहां अल्पसंख्यक होते हैं, वही ऐसे कृत्य कर निकटता बढाने का प्रयास करते हैं । अतः हिन्दुओं को पहले शत्रु की गतिविधयों को समझ लेना आवश्यक है, ऐसा स्पष्टतापूर्ण प्रतिपादन हरियाणा की ‘विवेकानंद कार्य समिति’के अध्यक्ष नीरज अत्री ने किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के पांचवें दिन (२०.६.२०२३ को) उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।

भारत की शिक्षा का स्तर बढाना आवश्यक ! – अनिल धीर, संयोजक, इंडियन नैशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज, भुवनेश्वर, ओडिशा

अनिल धीर, संयोजक, इंडियन नैशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज, भुवनेश्वर, ओडिशा

रामनाथ देवस्थान – भारत में जब गुरु-शिष्य परंपरा थी, तब भारत विश्वगुरु था । उस काल में असंख्य ग्रंथ लिखे गए । विदेश से विद्यार्थी यहां सीखने आते थे और अब उसका उलटा हो रहा है । भारत के ८ लाख ८० सहस्र विद्यार्थी विदेश में पढ रहे हैं और कालांतर में वे वहीं पर स्थायिक होनेवाले हैं । इसलिए भारत को यहां की शिक्षाव्यवस्था के स्तर को उठाने का प्रयत्न करना आवश्यक है, ऐसे उद्गार ‘इंडियन नैशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज’के संयोजक श्री. अनिल धीर ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’के ५ वे दिन (२०.६.२०२३) किए ।
वे आगे बोले, ‘‘ओडिशा में ६२ जनजातियां हैं । हमने वनवासियों से ३० सहस्र पोथियां एकत्र कीं और उन सभी को ओडिशा राज्य के संग्रहालय में भिजवा दिया । इन पोथियों में श्लोक इत्यादि नहीं थे, अपितु विमानों की निर्मिति कैसे करें ?, मंदिरों के निर्माण कार्य कैसे करें ? आदि प्रत्येक विषय पर विवरण दिया गया था । इससे ध्यान में आता है कि सहस्रों वर्षों पूर्व उन्होंने कितने उच्च स्तर का लेखन किया था । ऐसे आदिवासियों के पास काेई लिपी नहीं थी । उनका यह ज्ञान पिता से पुत्र का हस्तांतरित होता गया । इन आदिवासी बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, तो भारत अधिक अच्छी प्रगति करेगा । इसलिए सरकार को उनके लिए विशेष विद्यायल शुरू करने की आवश्यकता है।’’

जगन्नाथपुरी में २० जून को विश्वप्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा होते हुए भी इस दिन ओडिशा के हिन्दू धर्माभिमानी श्री. अनिल धीर ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’में उपस्थित थे ।

राष्ट्र के उत्थान के लिए योग एवं अध्यात्म की आवश्यकता ! – डॉ. सत्यमेव जयते लोक मंगल, अध्यक्ष, सत्यमेव जयते

डॉ. सत्यमेव जयते लोक मंगल, अध्यक्ष, सत्यमेव जयते

भारत स्वतंत्र होने के उपरांत शासकीय कार्यालयों में भ्रष्टाचार रुका नहीं । शासकीय कार्यालय, विद्यालयों आदि में योग एवं अध्यात्म की शिक्षा देने पर भ्रष्टाचार रोक सकेंगे । अध्यात्म भारत की शक्ति है । सरकार को इस ओर ध्यान देना आवश्यक है । बिना अध्यात्म के भारत निर्बल है । समाज में अध्यात्म का प्रसार करने पर राष्ट्र निर्माण का कार्य सुलभ होगा । शासकीय कार्यालयों में अध्यात्म, ध्यानधारणा एवं योग की शिक्षा दी होती, तो सुराज्य की संकल्पना साध्य हुई होती । ‘अध्यात्म’ भारत की महानता है । जब सर्व हिन्दू समाज अध्यात्म का अंगीकार करेगा, तब भारत सूर्य समान तेजस्वी होगा । ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ अपना ध्येय है । हिन्दुओं के साधना करने पर ही यह संकल्पना साध्य हो सकती है । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करते समय आनेवाले १ सहस्र वर्ष की रूपरेखा निश्चित करनी होगी, ऐसे उद्गार ‘सत्यमेव जयते’ संगठन के अध्यक्ष डॉ. सत्यमेव जयते लोक मंगल ने व्यक्त किए । वे यहां हो रहे वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के पांचवें दिन (२०.६.२०२३ को) उपस्थितों को संबोधित कर रहे थे ।

सामाजिक दुष्प्रवृत्तियों के विरुद्ध संवैधानिक पद्धति से लडाई लडने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति का ‘सुराज्य अभियान’ ! – विश्वनाथ कुलकर्णी, राज्य समन्वयक, पूर्वी उत्तरप्रदेश एवं बिहार

विश्वनाथ कुलकर्णी, राज्य समन्वयक, पूर्वी उत्तरप्रदेश एवं बिहार

रामनाथी – आज सभी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार फैल गया है, इसके प्रति सभी अप्रसन्न हैं; परंतु इसके संदर्भ में क्या किया जा सकेगा, यह ज्ञात न होने से वे इसमें फंस जाते हैं तथा इस भ्रष्ट व्यवस्था का एक अंश बन जाते हैं । ऐसी सामाजिक दुष्प्रवृत्तियों के विरुद्ध संवैधानिक पद्धति से लडने के लिए हिन्दू जनजागृति समिति ने वर्ष २०१७ में अक्षय्य तृतीया के शुभमूहूर्त पर ‘सुराज्य अभियान’ आरंभ किया । सरकारी एवं सामाजिक क्षेत्रों में निहित अनियमितताओं के विरुद्ध संवैधानिक पद्धति से लडना तथा जनजागरण करना, इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य है । ‘सुराज्य अभियान’ हमारे नित्य जीवन में आनेवाली प्रत्येक समस्याओं के लिए हैं । इसलिए हम सभी से यह आवाहन करते हैं कि आपके परिसर में हो रही अनियमितताओं के विरुद्ध संवैधानिक पद्धति से लडना आरंभ करें । यह भी हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य का ही एक महत्त्वपूर्ण अंग है, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं बिहार राज्य समन्वयक श्री. विश्वनाथ कुलकर्णी ने किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के पांचवें दिन (२०.६.२०२३ को) उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।

हिन्दुओं हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए अधिक तीव्रता से प्रयास करना होगा ! – अधिवक्ता अतुल जेसवानी, संस्थापक तथा प्रदेशाध्यक्ष, हिन्दू सेवा परिषद, मध्यप्रदेश

अधिवक्ता अतुल जेसवानी, संस्थापक तथा प्रदेशाध्यक्ष, हिन्दू सेवा परिषद, मध्यप्रदेश

हमारे आसपास ‘लव जिहाद’ की अनेक घटनाएं घटती हैं । इन घटनाओं को रोकने के लिए हिन्दुओं को जड तक जाकर कार्य करने की आवश्यकता है । इस प्रकार की कोई घटना ध्यान में आए तो हिन्दू बंधुओं को वह हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों तक पहुंचानी चाहिए । ‘धर्म पर आघात होने से पूर्व ही ‍वह ध्यान में आए’, ऐसी व्यवस्था हिन्दुओं को निर्माण करनी चाहिए । ‘हिन्दू राष्ट्र अर्थात केवल जिस पर हमारा अधिकार है, ऐसा भूमि का टुकडा नहीं, अपितु ‘जहां लव जिहाद, गोहत्या, बलात्कार, धर्मांतरण आदि नहीं होगा’, ऐसा राष्ट्र । ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होनी ही है’, यह सोचकर हिन्दुओं के शांत बैठने से नहीं चलेगा । इसके विपरीत हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए अधिक तीव्रता से प्रयास करना चाहिए । धर्मकार्य आस्था से करना चाहिए ।

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