धर्मांतरण रोककर सनातन धर्म की रक्षा करेंगे, यह प्रतिज्ञा लें ! – पू. चित्तरंजन स्वामी महाराज, शांती काली आश्रम, अमरपुर, त्रिपुरा
विद्याधिराज सभागार – त्रिपुरा जाने पर ही वहां के धर्मांतरण की स्थिति हमारी समझ में आ सकती है । वर्ष १९८५-८६ से त्रिपुरा में हिन्दुओं का बडी संख्या में धर्मांतरण होने लगा । मेरे गुरु शांतिकाली महाराज के साथ मैं भी धर्मांतरण रोकने के कार्य में लगा । मेरे बडे भाई का अपहरण कर उसे ‘तुम्हारे भाई को (पू. चित्तरंजन स्वामीजी को) धर्मांतरण रोकने का काम बंद करने के लिए कहो’ की धमकी दी; परंतु गुरुदेवजी की कृपा से मैंने मेरा कार्य जारी रखा । मैंने नौकरी छोडकर धर्मांतरण रोकने का प्रयास किया । इस कार्य में मुझे विश्व हिन्दू परिषद के अशोक सिंघल एवं रा.स्व. संघ के मोहन भागवत का सहयोग मिला, ऐसा प्रतिपादन पू. चित्तरंजन स्वामी महाराज ने किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में छठे दिन के सत्र में वे ऐसा बोल रहे थे ।
त्रिपुरा में धर्मांतरण की समस्या, उपाय एवं सफलता – इस विषय पर मार्गदर्शन करते हुए पू. स्वामी चित्तरंजन महाराज, शांति काली आश्रम, अमरपुर, त्रिपुरा#Vaishvik_HinduRashtra_Mahotsav
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उन्होंने आगे कहा…
१. ईसाई धर्मप्रचारक शिक्षा के नाम पर अनेक राज्यों में घुसपैठ करते हैं । मणीपुर एवं नागालैंड राज्यों में बडे स्तर पर हिन्दुओं का धर्मांतरण होता है । आज के समय में २५ पादरी, नन तथा १ सहस्र प्रचारक त्रिपुरा आकर धर्मांतरण का कार्य कर रहे हैं ।
२. त्रिपुरा के लोग भोलेभाले हैं । वे शिक्षा को महत्त्व देते हैं । इन ईसाईयों ने वहां बच्चों के लिए विद्यालय खोले हैं । विद्यालय में प्रवेश लेने के २-३ वर्ष उपरांत ईसाई धर्मप्रसार इन बच्चों के अभिभावकों से मिलकर उन्हें बोलते हैं, ‘‘तुम्हारा लडका बुद्धिमान है । उसमें अच्छी क्षमता है । आप उसे बाप्तिस्मा दें । (धर्मांतरण करें) हम उसे अच्छी शिक्षा प्रदान करेंगे ।’ भोलेभाले हिन्दू उनकी बातों में आते हैं तथा इस प्रकार उस परिवार का धर्मांतरण होता है ।
३. गुरुदेवजी के आशीर्वाद से हम धर्मांतरण के विरुद्ध लडाई लड रहे हैं । आनेवाले २-३ वर्षाें में हम मिजोरम एवं नागालैंड से आए इन ईसाई धर्मप्रचारकों को यहां से भगा देंगे ।
४. त्रिपुरा के मठों-मंदिरों में अनेक साधु-संत हैं; परंतु वहां आनेवाले हिन्दुओं को धर्म की शिक्षा नहीं दी जाती । उसके कारण धर्मांतरण की समस्या और अधिक फैल गई है । हिन्दू धर्म बच गया, तभी जाकर मठ-मंदिर टिके रहेंगे; इसलिए पहले हिन्दू धर्म को बचाने का प्रयास कीजिए ।
५. यहां देश के कोने-कोने से आए हिन्दुत्वनिष्ठ यह प्रतिज्ञा लें कि हम धर्मांतरण रोककर सनातन धर्म, हिन्दू धर्म की रक्षा करेंगे तथा आवश्यकता पडने पर धर्म के लिए प्राणों का भी त्याग करेंगे ।
हिन्दुओं के प्रतीकों को आक्रमकों द्वारा दिए नाम बदलना, हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है ! – दुर्गेश परूळकर, लेखक एवं व्याख्याता, ठाणे
मुगलों के एक भी बादशाह ने मानवता के हित में कभी कोई कार्य नहीं किया । क्रूरता ही मुगल बादशाहाें की पहचान है । इसके विपरीत छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज ने राष्ट्र-धर्म एवं संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए कार्य किया है । ताजमहल तेजोमहल है, कुतुबमीनार विष्णुस्तंभ है और तथाकथित ज्ञानव्यापी मस्जिद भगवान शिव का मंदिर है । आक्रमकों द्वारा दिए गए नाम, आक्रमकों का उदात्तीकरण है । अपना इतिहास पराभव का नहीं, अपितु विजय का है । शरद पवार को छत्रपति संभाजीनगर को ‘औरंगाबाद’ कहना हो, तो अवश्य कहें; परंतु मेरा प्रश्न है कि, ‘इस राष्ट्र के राष्ट्रपुरुष छत्रपति शिवाजी महाराज हैं अथवा औरंगजेब ?’ ‘छत्रपति संभाजी महाराजजी को अनेकानेक यातनाएं देकर औरंगजेब ने मारा था । क्या वह योग्य था ?’ ‘क्या शरद पवार के मन में छत्रपति संभाजी महाराज की अपेक्षा औरंगजेब के प्रति आदरभाव है ?’ देश स्वतंत्र होने के पश्चात स्थानों को आक्रमकों द्वारा दिए गए नाम बदलना, अपना राष्ट्रीय कर्तव्य है । हमारे लिए औरंगजेब प्रात:स्मरणीय नहीं, अपितु छत्रपति शिवाजी महाराज एवं धर्मवीर संभाजी महाराज हमारे लिए प्रात:स्मरणीय हैं । हमारे पूर्वजों द्वारा दिए गए नाम बदलने के पीछे अपनी संस्कृति नष्ट करना ही इन आक्रमकों का षड्यंत्र था । इसलिए आक्रमकों द्वारा दिए गए नाम बदलना, हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है, ऐसा वक्तव्य ठाणे के लेखक एवं व्याख्याता श्री. दुर्गेश परूळकर ने वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के छठे दिन किया ।
औरंगाबाद का छत्रपति संभाजीनगर नामकरण के विरोध के पीछे के षड्यंत्र का खुलासा करते हुए श्री. दुर्गेश परुळकर, लेखक एवं व्याख्याता, ठाणे, महाराष्ट्र.
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साधना करने से उद्योगपतियों की व्यावहारिक तथा आध्यात्मिक प्रगति होगी ! – रवींद्र प्रभूदेसाई, संचालक, पितांबरी उद्योगसमूह
रामनाथ (फोंडा) – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी, संत भक्तराज महाराजजी तथा परात्पर गुरु पांडे महाराजजी के मार्गदर्शन में व्यवसाय करते हुए धर्मसेवा कर सकते हैं । परात्पर गुरु पांडे महाराजजी ने मुझे ‘उद्+योजक = उद्योजक’ ऐसी उद्योग की व्याख्या बताई । उन्होंने कहा, ‘जिससे ऐहिक तथा पारलौकिक प्रगति होती है, उसे धर्म कहते हैं । आज कलियुग में अर्थशक्ति का अधिक प्रभाव है । इसलिए अर्थशक्ति की ओर दुर्लक्ष करने से हमारी हानि हो सकती है । आपके आस्थापन के कर्मचारियों की ऐहिक तथा आध्यात्मिक प्रगति करवाकर लेना, यह आपका दायित्व है ।’ हमारा ‘पितांबरी’ पाउडर देवताओं की मूर्ति स्वच्छ करने के लिए उपयोग किया जाता है । उसके उपरांत हमने पूजा से संबंधित विविध उत्पादन निर्माण किए ।
Must watch for all industrialists…
Addressing on contribution of industrialists for Dharmakarya and importance of spiritual practice
? Mr Ravindra Prabhudesai, Director, @pitambari_group, Thane, Maharashtra#Vaishvik_HinduRashtra_Mahotsav
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‘जो ईश्वर की जानकारी समाज तक पहुंचाता है, वह ईश्वर को अधिक प्रिय होता है ।’ ‘शनि की साडेसाती दूर करने के लिए शनि की उपासना की जाती है’, यह ध्यान में रखकर हमने ‘शनि उपासना’ उदबत्ती निर्माण की । उसके आवरण पर (कवर पर) ‘शनि की उपासना कैसे करें ?’ इसकी जानकारी दी । हम भी अपने उत्पादनों के आवरण पर (कवर पर) कुलदेवता एवं श्री गुरुदेव दत्त नामजप का महत्त्व बतानेवाली जानकारी दे सकते हैं । जिससे हजारों व्यक्तियों तक साधना पहुंचेगी । अभी प्रत्येक व्यक्ति व्यस्त है । उसे लगता है, ‘साधना वयोवृद्ध होने पर करनी चाहिए । व्यापारियों को यह ध्यान देना चाहिए कि व्यवसाय करते हुए अनेक अडचनें आती हैं । साधना करने से ईश्वर की कृपा होती है तथा वह अडचने छूटने में सहायता हो सकती है । मेरे आस्थापन के सभी १५ विभागों में कर्मचारियों द्वारा प्रतिदिन वैश्विक प्रार्थना तथा मारुतिस्त्रोत्र बुलवाया जाता है । इसके साथ ही १ हजार ५०० कर्मचारियों को सत्संग प्राप्त हो इसका नियोजन किया है । हमारे आस्थापन के कर्मचारी सात्त्विक होंगे, तो वहां भ्रष्टाचार नहीं होगा । उनसे साधना करवाकर लेने से हमे अधिक लाभ होता है, तथा हिन्दू धर्म की सेवा होती है ।
गढ-किलों पर किए गए अतिक्रमण हटाकर वहां पुनः भगवा फहराने के लिए संघर्ष जारी रहेगा ! – हर्षद खानविलकर, युवा संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति
विद्याधिराज सभागृह – महाराष्ट्र के शौर्य के प्रतीत गढ-किलों पर किए गए अतिक्रमण तो लैंड जिहाद है । गढ-किलों के कारण हमें छत्रपति शिवाजी महाराज का स्मरण होता है । आज की स्थिति में वहां बनाए गए मस्जिदों, मजारों एवं कब्रों के कारण ‘क्या ये गढ किले मुगलों के हैं ?’, ऐसा लगता है । पुरातत्व विभाग ने इसकी अनदेखी की है । यह महाराष्ट्रसहित भारत के सभी गढ-किलों के संदर्भ में दिखाई देता है । ठाणे के दुर्गाडी किले पर श्री दुर्गादेवी का मंदिर मस्जिद होने का दावा करना, रायगढ के कुलाबा किले पर पुरातत्व कार्यालय के पास बनाई गई मजार (मुसलमानों की कब्र) मुंबई का शिवडीगढ, रायगढ, सातारा का वंदनगढ, जलगांव का पेशवाकालिन पारोळा किला आदि किलों पर किए गए इस्लामी अतिक्रमण हिन्दुओं में बंसे सेक्यूलैरिजम का दुष्परिणाम है, ऐसा वक्तव्य हिन्दू जनजागृति समिति के युवा संघटक श्री. हर्षद खानविलकर ने किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में छठे दिन के सत्र में वे ऐसा बोल रहे थे ।
उन्होंने आगे कहा कि …
१. हिन्दू जनजागृति समिति एवं हिन्दुत्वनिष्ठों ने इसके विरुद्ध आवाज उठाई । प्रतापगढ पर अफजलखान की कब्र के इर्द-गिद बनाई गए बडी वास्तु हटाने के लिए अनेक हिन्दू संगठनों ने लंबे समयतक संघर्ष किया तथा अंततः १० नवंबर २०२२ अर्थात शिवप्रतापदिवस के दिन वहां का अवैध निर्माण ध्वस्त किया गया ।
२. कोल्हापुर के निकट विशालगढ के निकट की बाजीप्रभु देशपांडे एवं फुलाजीप्रभु देशपांडे की समाधियां उपेक्षित, तो रेहमानबाबा के दर्गाह के लिए सरकार ने ५ लाख रुपए दिए । ‘विशालगढ रक्षा एवं अतिक्रमणविरोधी क्रियान्वयन समिति’ के द्वारा इसके विरुद्ध अभियान आरंभ किया गया है । जबतक यह दर्गाह नहीं हटती, तबतक संघर्ष जारी रहेगा ।
३. गढ-किलों पर हो रहे इस्लामी अतिक्रमण रोकने के लिए मार्च २०२३ में ‘महाराष्ट्र गढ-किले संवर्धन मोर्चा’ निकालकर गढ-किले संवर्धन समिति गठित करने की मांग की । उसमें १ सहस्र ५०० शिवप्रेमी एवं हिन्दुत्वनिष्ठ उपस्थित थे । इस अवसर पर पर्यटनमंत्री मंगलप्रभात लोढा ने उपस्थित रहकर इस संदर्भ में बैठक बुलाने का तथा अतिक्रमण हटाने का आश्वासन दिया ।
४. गढ-किलों की रक्षा की यह लडाई स्वाभिमान एवं इतिहास की रक्षा की लडाई है । छत्रपति शिवाजी महाराज का शौर्य एवं पराक्रम अगली पीढियों को सिखाने के लिए इन गढ-किलों की रक्षा होना आवश्यक है । गढ-किलों से तो केवल ‘हर हर महादेव’ का नारा गूंजना चाहिए तथा वहां पुनः भगवा लहराना चाहिए । इसके लिए हमें संघर्ष जारी रखना पडेगा ।
तानाजी मालुसरे के १३ वें वंशज सुबेदार श्री. कुणाल मालुसरे का सम्मान
हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के छठे दिन नरवीर तानाजी मालुसरे के १३ वें वंशज सुबेदार श्री. कुणाल मालुसरे का सम्मान हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट ने किया । इसके साथ ही ‘गढ-दुर्ग संवर्धन मोर्चा’ एवं आगामी चलचित्र (फिल्म) ‘सूबेदार’ का वीडियो दिखाया गया ।