मूलतः मंदिरों का ‘व्यवस्थापन’ ठीक नहीं हैं, ऐसा कहकर सरकार द्वारा मंदिर नियंत्रित किए जाते हैं । तथापि मंदिर नियंत्रित करने के उपरांत मंदिर की भूमि भी सरकार नहीं संभाल पाती है । इसलिए उन पर अतिक्रमण होता है ! यह सरकार का कौनसा ‘आदर्श व्यवस्थापन’ है ? इसलिए मंदिर भक्तों के नियंत्रण में ही रहें, ऐसा कानून होना चाहिए ! – संपादक
अमरावती (आंध्रप्रदेश) – मंदिरों की भूमि पर हो रहा अतिक्रमण रोकने के लिए राज्य सरकार ने कानून पारित किया है । इस कानून के अंतर्गत अब न्यायालयीन प्रक्रिया के कारण अतिक्रमित भूमि लेने के संदर्भ में यदि निर्णय लेने में विलंब होता हो, तो धर्मादाय खाता अतिक्रमण करनेवालों को नोटिस भेजे, और यदि उनकी ओर से एक सप्ताह में उत्तर न आए तो वह भूमि नियंत्रण में ले सकते हैं ।
The State government has decided to take possession of the lands belonging to the Endowments Department from the encroachers by giving them a week’s time. | G.V.R. Subba Rao reportshttps://t.co/4Vj38RAB1b
— The Hindu – Vijayawada (@THAndhra) June 29, 2023
वर्तमान न्याय प्रक्रिया में मंदिरों की भूमि पर यदि अतिक्रमण हुआ हो, तो धर्मादाय न्यायकर्ता के पास परिवाद करना पडता है । तदनंतर अतिक्रमण करनेवाला व्यक्ति उस पर अपना पक्ष रखता है । इसमें अनेक वर्ष चले जाते हैं । तबतक यह भूमि अतिक्रमण करनेवाले के पास ही रहती है । इस कारण ही सरकार ने नया कानून बनाकर यह भूमि नियंत्रित करने का अधिकार धर्मादाय खाते को दिया है । अब अतिक्रमित सैकडों एकड भूमि नियंत्रण में ली जा सकती है।
स्रोत: दैनिक सनातन प्रभात